hindi kavita
कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीवनी।

संजीवनी। संजीवनी।    याद आती है।    याद आती है जिनकी मधुर सुगंध, समा गई सांसों और रग रग में।    याद आती है वह रतिया जो बस गई आंखों की मुंदी हुई मेरी पलकों में।    और याद आते हैं अधर सुमधुरस जिनका रस...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी ।

संजीव-नी । ईश्वर का हर पल करो वंदन अभिनंदन।    जरा विचार कीजिए आपके पसंद करने न करने से  मैं आदमी न रहकर  छोटा जीव जंतु या चौपाया  हो जाऊंगा , और आपकी पसंदगी से  मैं आदमी से ईश्वर  हो जाऊंगा  या मेरी...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी। महिला शक्ति को प्रणाम।    कम ना समझो  महिलाओं की शक्ति को, मां दुर्गा के प्रति  इनकी भक्ति को।  नारी के जीवन के कई आयाम करते उनको नमन और प्रणाम।    दुश्मनों का नाश  करती मां भवानी अलौकिक अद्भुत है  नारी हिंदुस्तानी।...
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संजीव-नी|

संजीव-नी| कितने कितने हिंदुस्तान ? नल पर अकाल की व्यतिरेक ग्रस्त जनानाओं की आत्मभू मर्दाना वाच्याएं। एक-दूसरे के वयस की अंतरंग बातों,  पहलुओं को सरेआम निर्वस्त्र करती,  वात्या सदृश्य क्षणिकाएं, चीरहरण, संवादों से  आत्म प्रवंचना, स्व-स्तुति, स्त्रियों के अधोवस्त्रों में झांकती...
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कविता/कहानी 

फिर हम बैठेंगे अनशन पर

फिर हम बैठेंगे अनशन पर (व्यंग)-डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर,फिर हम बैठेंगे अनशन परकुछ बड़ा तो होने दो।अभी तो ये पहली बारिसकुछ पॉस इलाaके उर बस डूबीदिल्ली आधी पूरी डूबेयमुना में कुछ बाढ़़ तो आने दोहरियाणा ने...
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संजीव-नी।

संजीव-नी। अन्न की बर्बादी,दुनिया पर भारी।    ना करो अन्न की बर्बादी, भुखमरी पर है यह भारी, चारों तरफ छाई है गरीबी, भुखमरी और बेचारी, भोजन की अनावश्यक बर्बादी पूरी दुनिया पर पड़ रही है भारी।    थाली में लो भोजन उतना खा...
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कविता/कहानी  साहित्य/ज्योतिष 

संजीव-नी।

संजीव-नी। कविता,कत्ल हुआ इस तरह हमारा किश्तों मैं ,कभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल था मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी मुझे ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज पकड़ा...
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संजीव-नी। लंबी उम्र की ना दुआ किया करो।

संजीव-नी। लंबी उम्र की ना दुआ किया करो। संजीव-नी। लंबी उम्र की ना दुआ किया करो।    मोहब्बत में दर्द छुपा लिया करो, दर्द के छालों को छुपा लिया करो।    आशिकी छुपाना होती नहीं आसां, जमाने को मेरा नाम बता दिया करो।    हर दर्द की दास्तां होती है जुदा...
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संजीव-नी। फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है।

संजीव-नी। फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है। संजीव-नी।    फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है।    आओ उजालों से कुछ सीख लेते है, ताज़ी हवाओ से उमंगें भर लेते हैं।    जमाने की तमाम बुराई रखे एक तरफ, फूलों से दो पल,मुस्कुराना सीख लेते है।    पतझड़ में पत्तो को...
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सामना

सामना सामना रुख पहाड़ों की तरफ कियातो समझ आयाजन्नत इस धरा पर भी है। रुख बादलों की तरफ कियातो समझ आयाबदमाशी इनमें भी है। रुख बहती नदी की तरफ कियातो समझ आयाजीवन का बहाव इनमें...
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सामंजस्य

सामंजस्य सामंजस्य    जब आहत  ह्रदय शमशान बन जाए तो उसमें लाशे नहीं  भावनाएं राख हुआ करती है।    जब विश्वासी हृदय में बिखराव आ जाए तो अपने और पराए नहीं बस मौन रहा करता है।    जब वेदिती हृदय राख बन जाए है...
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जंग सियासी है विचार से जीतेंगे

जंग सियासी है विचार से जीतेंगे जंग सियासी है विचार से जीतेंगे    हम नफरत से नहीं, प्यार से जीतेंगे जंग सियासी है, विचार से जीतेंगे    शस्त्र हमारा सत्याग्रह है सदियों से उनको लगता है कटार से जीतेंगे    जनादेश लेकर आएंगे जनता से जनादेश वे ,लूटमार से...
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