swatantra prabhat kavita sangrah
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Read More... क्यों गुलाबों की तरह महकते नहींl
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी।क्यों गुलाबों की तरह महकते नहींlक्यों गुलाबों की तरह महकते नहीं,क्यूँ बहारों के साथ चहकते नहीं।दफ़्न हो रही है तमन्ना-ए-मोहब्बत,क्यूँ फ़िज़ाओं में अब वो रहते नहीं।मर जायेगा आशिक़ तनहा होकर,क्यूँ... अभी भी मिट्टी की खुशबू बची है।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नीl अभी भी मिट्टी की खुशबू बची है।लोहे और सीमेंट के अनंत फैलते जंगल मेंएक छोटा सा कोना अब भी साँस लेता जहाँ पौधों की कुछ टहनियाँधूल में हरियाली का सपना बुनती।पत्ते जो धूप नहीं देखते,... हिंदी पर न्योछावर हर दिल और जान है।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। हिंदी पर न्योछावर हर दिल और जान है। हिंदी है हमारी प्यारी भाषा, हिंदी है एक शक्तिशाली और विशाल ज्ञान की भाषा, आओ बनाएं इसे राष्ट्रभाषा। हिंदी भाषा हमारा मान और अभिमान है, हिंदी राष्ट्र का वैभवशाली गौरव गान... कविता-कुछ भवरों ने कलियों को छेड़ा
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By Office Desk Lucknow
संजीव-नी। बसंत गीत। कुछ भवरों ने कलियों को छेड़ा। छूटे कुछ पल, बीते कुछ पल, कुछ पलों ने दिल को छुआ, कुछ पलों ने मन को दी पीड़ा, कुछ पल थे सादे सादे, कुछ पलों में थी रोशनाई, कुछ पलों... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
ईमानदारी और ईमानदार। हां सचमुच यह सच है, कि वह इमानदार है यह भी सच है वह गरीब और फटे हाल है, आपदाओं से घिरा हुआ, आफतों का साथी, परेशानियां उसे छोड़ती नहीं, पर वह परेशान नहीं, मायूस भी नहीं,... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
कविता मेरा अज़ीज़ निकला मेरा ही कातिलकभी खँजर बदल गये कभी कातिल ।शामिल मै किश्तों में तेरी जिंदगी में,कभी ख़ारिज किया कभी शामिल।बड़े दिनों बाद रौशनी लौटी है शहर में,आज रूबरू हुआ यारों मेरा कातिल।... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
कविता, जरा आंखों से मुस्कुरा देना तुम। एहसास दिल में न दबा देना तुम, होठों से जरा सा मुस्कुरा देना तुमl ये दिल की लगी है न घबराना, जरा आंखों से मुस्कुरा देना तुम। नया रूप है तुम्हारे यौवन का,... संजीव -नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
कविता, चलो थोडा मुस्कुराते है।।चलो थोडा मुस्कुराते हैइस दवा को आजमाते है.कठिनाई में खिलखिलाते है,मुसीबत में भी मुस्कुराते हैं।जिसकी आदत है मुस्कुराना,वो ही ज़माने को झुकाते है।मायुसी विषाद की जड़ होती है,उदासी... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
कविता, प्यारी मां तेरी जैसी l स्वरूपा नारी सर्वत्र पूजनीय) पुरुषों को स्त्रियों का कृतज्ञ होना चाहियेl हर किसी की माँ हो, माँ हो मेरी जैसी, हर नारी लगती प्यारी मुझे मां जैसीl रोटी के इंतजाम में गई मां की... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
लंबी उम्र की ना दुआ किया करो। दिल में हर दर्द छुपा लिया करो, यादों को दिल में बसा लिया करो। इश्क छुपाना इतना होता नहीं आसां, मेरा नाम सरेआम बता दिया करो। हर दर्द की दास्तां है जुदा जुदा,... संजीव-नी|
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By Swatantra Prabhat Desk
आज मेरे दिल का क्या हाल है। आज न जाने मेरे दिल क्या हाल है, सुर है न ताल है हाल मेरा बेहाल है। आंखों से क्या जरा ओझल हुए तुम, जिन्दगी की हर चाल ही बेचाल है। सोते जागते... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
कविता तमाम रातों का जुगनू बना दिया मुझको। तेरी बेरुखी ने नया तजुर्बा दिया मुझको कैसे जीते यहाँ यह सिखा दिया मुझको। कोशिश लाख करूं उस पल को भूलता नहीं बेचैनी का एक सिलसिला दिया मुझको। तोक अपने उसूलों के... 