मतदाता को पढ़ नहीं पाए राजनैतिक दल 

मतदाता को पढ़ नहीं पाए राजनैतिक दल 

मतदाता खामोश है लेकिन बहुत कुछ उसके मन में है। कभी कभी गुस्सा तो हमारे मन में होती है लेकिन हम उसको उजागर नहीं करते। यही हाल इस समय देश की जनता का है। तमाम मुद्दे ऐसे हैं जिसकी वजह से जनता खुश नहीं है। यदि आरोप सत्ता पक्ष पर लगता है तो विपक्ष ने भी वह काम अपनी सरकार के समय में नहीं किए। और यही कारण है कि इस चुनाव में कुछ तो नया होगा। आज लोकसभा चुनाव का छठा चरण चल रहा है और आज के बाद एक और चरण बचेगा। चार जून को जब मतगणना शुरू होगी तो परिणाम काफी कुछ चौंकाने वाले हो सकते हैं। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों ने तो यह पहले से ही घोषणा कर दी है कि परिणाम कैसे आने वाले हैं लेकिन अभी सब इस छठे चरण और अंतिम चरण के मतदान का इंतजार कर रहे हैं। किसी भी सरकार के बनने और गिरने के लिए दो चरण बहुत होते हैं।
 
योगेन्द्र यादव और प्रशांत किशोर एक जाने-माने राजनैतिक विश्लेषक हैं यदि इनकी मानें तो किसी एक दल को बहुमत नहीं मिल रहा है हां किसी एक गठबंधन एनडीए या इंडी गठबंधन तो बहुमत की करीब पहुंच सकता है। ऐसा नहीं है कि यह भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ गुस्सा है। दरअसल देश में इतनी समस्याएं हैं जो एकाएक समाप्त नहीं हो सकतीं और न ही हम उनको खत्म कर सकते हैं। जो यह कहता है वह झूठ बोल रहा है। वैसे तो भारतीय जनता पार्टी ने गरीबों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई लेकिन इसका बोझ मध्यम वर्ग पर सीधे पड़ गया और महंगाई ने अपने उच्चतम स्तर को छू लिया जब कि आम व्यक्ति की आमदनी उस हिसाब से नहीं बढ़ी।
 
भारतीय जनता पार्टी ने गरीबों के लिए एक बहुत बड़ी योजना फ्री राशन की चलाई। सरकार लगभग अस्सी करोड़ जनता को फ्री राशन दे रही है इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अभी भी हमारे देश की आधी आबादी ग़रीबी रेखा से नीचे है। यह एक बहुत बड़ी योजना है इसकी बुराई विपक्ष भी नहीं कर पा रहा है। बल्कि अखिलेश यादव ने तो यह तक कह दिया कि हमारी सरकार यदि सत्ता में आती है तो हम जनता को पोष्टिक आहार देंगे। यानि कि कोई भी सरकार सत्ता में आए लेकिन इस योजना को खत्म नहीं कर सकती, बढ़ा तो सकती है। भारतीय जनता पार्टी ने भी जब इस योजना को शुरू किया था तो यह पूर्ण कालिक योजना नहीं थी लेकिन उनको इस योजना को पांच साल के लिए फिर से बढ़ाना पड़ा। लेकिन जनता की मांग फ्री नहीं है। हालांकि इस राशन योजना से भारतीय जनता पार्टी को पिछले कुछ चुनाव में काफी सफलता मिली है।
 
आवास योजना भी भारतीय जनता पार्टी की एक बहुत बड़ी योजना थी। हालांकि इस तरह की योजना मायावती ने कांशीराम आवास योजना के रुप में पहले शुरू की थी। फिर इसी योजना को केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम से लेकर आ गई। सरकार जब कोई भी योजना बनाती है तो बजट को इधर से उधर करना पड़ता है। और यहीं कारण है कि इन योजनाओं में धन की पूर्ति के लिए अन्य जगहों से पैसे की आवश्यकता की पूर्ति की जाती है। जिससे महंगाई बढ़ती है तो मध्यम वर्ग के साथ साथ निचले वर्ग पर भी महंगाई की मार पड़ती है। कुल मिलाकर जनता इस चुनाव में बिल्कुल खामोश है और अब वह परिणाम की प्रतीक्षा कर रही है।
 
यहां हम यह नहीं कह सकते कि मतदान बदलाव के लिए हो रहा है। क्यों कि विपक्ष को सरकार में जितना मौका मिला वह अभी तक भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिला है इसलिए मतदाता उनसे भी खुश नहीं है। वोट बराबर का मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन सरकार भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए की ही बनती दिख रही है। हां जो नारा भारतीय जनता पार्टी ने अबकी बार 400 पार का दिया था ऐसा होता कठिन दिखाई दे रहा है। बंगाल में ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी की सीधी टक्कर है। वहां ममता कुछ आगे दिखाई दे रहीं हैं। महाराष्ट्र में मामला 50-50 का नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी आगे दिख रही है लेकिन विपक्ष की सीट भी पिछले बार से बढ़ती नजर आ रहीं हैं। 
 
 बिहार में यदि पिछले विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो मामला 50-50 ही नजर आ रहा है लेकिन नितीश कुमार के एनडीए में शामिल हो जाने से भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचते दिखाई दे रहा है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी आगे निकलती दिखाई दे रही है। पंजाब में लड़ाई सीधे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच है। दिल्ली में भी इस बार टक्कर होती दिखाई दे रही है। क्यों कि दिल्ली में इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिल कर चुनाव लड़ रही है। दक्षिण भारत की बात करें तो वहां कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी से मतबूत स्थिति में नजर आ रही है। हालांकि वहां ऐसा नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी को बिल्कुल नकार दिया जाए। इस बार दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी ने रणनीति के तहत पूरी ताकत झोंक दी है।
 
आज जनता का मन राजनीति से ऊबने लगा है और पढ़ा लिखा वर्ग राजनीति पर बहस नहीं करना चाहता है। क्यों कि उसको राजनीति में अब हर दल एक से ही दिखाई दे रहे हैं। इस बार वास्तव में मतदाताओं का मन पढ़ने में राजनैतिक दल असफल रहे हैं। या यह कहें कि वह तमाम प्रयासों के वावजूद भी जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सके हैं। जिस तरह दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने एक प्रकार की नई राजनीति की शुरुआत की थी तो वहां की जनता ने उसको भरपूर सहयोग दिया था। इस चुनाव में यह भी साफ हो जाएगा कि आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता आज भी दिल्ली में है या वहां की जनता भी अब आम आदमी पार्टी से ऊब चुकी है।
 
 प्रशांत किशोर और योगेन्द्र यादव ने जिस तरह से अपना विष्लेषण जनता के समक्ष रखा है उसे एक दम से सटीक तो नहीं माना जा सकता। क्यों कि अभी हाल ही में चार राज्यों में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने एक राज्य की सत्ता बरकरार रखी है जब कि दो राज्यों की सत्ता कांग्रेस से छीनी है। अब लोकसभा से तुलना की जाए तो ऐसा नहीं हो सकता कि वहां भारतीय जनता पार्टी का ग्राफ नीचे गिरेगा। हरियाणा में किसानों की कुछ समस्याएं हैं जिससे कुछ नाराजगी दिख रही है। लेकिन वहां भी अभी तक भारतीय जनता पार्टी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है।
 
 जितेन्द्र सिंह पत्रकार 

About The Author

Post Comment

Comment List

अंतर्राष्ट्रीय

PM मोदी ने फ्रांस में ऐतिहासिक कब्रिस्तान पहुँच कर प्रथम विश्व युद्ध के बलिदालनी भारतीय सैनिकों को दी श्रद्धांजलि PM मोदी ने फ्रांस में ऐतिहासिक कब्रिस्तान पहुँच कर प्रथम विश्व युद्ध के बलिदालनी भारतीय सैनिकों को दी श्रद्धांजलि
  Indian Soldiers - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  (Prime Minister Narendra Modi ) ने बुधवार को फ्रांस (France) के राष्ट्रपति इमैनुएल

Online Channel