गुजरात का नाम बदनाम न करो  

गुजरात का नाम बदनाम न करो  

 


राकेश अचल 

महात्मा गांधी की जन्म और कर्म भूमि लगातार सुर्ख़ियों में हैं और ये तमाम सुर्खियां हैं बदनामी की। आज जब देश का नेतृत्व एक महान गुजराती कर रहा हो तब गुजरात को लगातार बदनाम करने की कोशिशें मुझे नागवार लगतीं हैं ।हाल ही में उज्जयनी में नव नृमित महाकाल लोक की मूर्तियों के आंधी में उड़ जाने से एक बार फिर गुजरात की बहुत बदनामी हुई ।

मै जितना प्रेम भारत से करता हूँ,उतना ही स्नेह मुझे गुजरात से है । गुजरात से प्रेम की एक वजह हो तो बताऊँ ।फिर भी यहां महात्मा गांधी का पैदा होना. सरदार बल्ल्भ भाई पटेल का यहीं से होना ही गुजरात प्रेम की असली वजह है । गुजरात से प्रेम की वजह द्वारिका भी है और सोमनाथ भी ।अमूल के उत्पाद भी हैं और गुजराती व्यंजन भी । गुजरात के उद्यमी भी हैं और गिर के शेर भी ।कच्छ का रण भी । 

Petrol Pump: पेट्रोल पंप पर लोग 100 रुपये की जगह 110 का क्यों डलवाते हैं तेल? जानें क्या है वजह Read More Petrol Pump: पेट्रोल पंप पर लोग 100 रुपये की जगह 110 का क्यों डलवाते हैं तेल? जानें क्या है वजह

गुजरात से प्रेम करने के तमाम कारण हैं इसीलिए मुझे सोते-जागते गुजरात की फ़िक्र रहती है । पिछले कुछ वर्षों से गुजरात को लगातार बदनाम करने की कोशिश की जा रही है । कभी दंगों के नाम पर, कभी भ्र्ष्टाचार के नाम पर । कभी भगोड़ों के नाम पर, तो कभी घटिया निर्माण के नाम पर । कोई नहीं है जो गुजरात की तारीफ़ करे ,जबकि गुजरात में तमाम बुराइयों के बावजूद प्रेम करने के लिए सबको साथ लेकर सबका विकास करने वाली सरकार के मुखिया यानि देश के प्रधानमंत्री जी भी हैं ।

8th Pay Commission: रेलवे कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर! इस दिन लागू होगा 8वां वेतन आयोग  Read More 8th Pay Commission: रेलवे कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर! इस दिन लागू होगा 8वां वेतन आयोग

गुजरात से प्रधानमंत्री तो मोरार जी देसाई भी बने लेकिन वे गुजराती कम मुंबईकर ज्यादा थे । वे मोदी जी की तरह सबका विकास करने के लिए सबको साथ लेकर नहीं चल पाए और दो-ढाई साल में ही अपनी सरकार गिरा बैठे । मोदी जी ने मोरारजी भाई देसाई से सबक सीखा और न केवल अपनी सरकार को पूरे पांच साल चलाया बल्कि अगले पांच साल के लिए भी मौक़ा दिलवाया । अब वे तीसरी बार गुजरात का झंडा बुलंद करने वाले हैं । लेकिन एक मोदी इतने बड़े गुजरात की नाक जितनी ऊंची करते हैं ,दूसरे मोदी उससे ज्यादा कटवा देते हैं । कभी बैंकों का पैसा लेकर भाग जाते हैं तो कभी कुछ और खेल कर जाते हैं । यानी मोदी के दुश्मन हम और आप नहीं बल्कि दूसरे मोदी हैं । गुजरात को बदनाम करने वाले मोदियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है।

देश के कर्मचारियों को मानसिक तनाव से मुक्त करेगा ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’ Read More देश के कर्मचारियों को मानसिक तनाव से मुक्त करेगा ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल’

मै बात कर रहा था गुजरात की । मोदी जी जबसे देश के प्रधानमंत्री बने हैं तभी से दिल्ली से लेकर जहाँ-जहां भाजपा की सिंगल या डबल इंजन की सरकारें हैं वहां-वहां गुजरातियों का मान रखा जाता है।  नौकरशाही से लेकर ठेकेदारी तक में गुजरातियों को प्राथमिकता दी जाती है । ऐसी ही प्राथमिकता गुजरात के अलावा तमिलनाडु को भी मिली और दूसरे दक्षिणी राज्यों को । क्योंकि वहां मोदी सरकार के मंत्री-संत्री और उप राष्ट्रपति तक हुआ करते थे ।लेकिन देश को शिकायत है कि गुजराती नौकरशाह हों या ठेकेदार सब मिलकर गुजरात का नाम बदनाम कर रहे हैं ।

हमारे मध्यप्रदेश में जब महाकाल लोक बनाने की बात आयी तो राजस्थान के शिल्पियों के बजाय मामा मुख्यमंत्री ने गुजरात के शिल्पियों को प्राथमिकता दी । लेकिन गुजराती भाइयों ने जो मूर्तियां बनाएं वे एक ही आंधी में चित हो गयीं।  नाक कटी मामा की और गुजरात की । दोनों को शायद नहीं पता कि लोक-परलोक बनाना इंसानों का नहीं ऊपर वाले का काम है । इसलिए जब नीचे वाले कोई लोक बनाएं तो कम से कम ईमानदारी से काम करें । लेकिन लोभ-लालच ,मुनाफाखोरी,कमीशनबाजी ने गुजरात के साथ-साथ मध्यप्रदेश की नाक कटा दी । अब इस कटी  नाक को जोड़ने का काम किया जा रहा है ।

गुजराती विदेशों में क्या झक्काट काम करते हैं। मैंने तो अमरीका में उनके द्वारा बनवाये गए तमाम मंदिर देखे हैं ।गर्व होता है उन्हें देखकर । लेकिन अपने देश में पता नहीं गुजरातियों को क्या हो जाता है ? गुजरात का अमूल भी अब अपनी मान-प्रतिष्ठा नहीं बचा पा रहा है । गुजरात में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा अगर खुद गुजरातियों ने बनाई होती तो उसका भी शायद उज्जैन के महाकाल लोक की प्रतिमानों जैसा हाल होता .। गनीमत है कि सरदार बल्ल्भ भाई की प्रतिमा चीनियों ने बनाई है , गुजरातियों ने नहीं ।

गुजरातियों को लांच्छित करने का मेरा कोई इरादा नहीं । मै हमेशा से गुजरातियों का सम्मान करता हूँ।  अनेक गुजराती मेरे जान से ज्यादा प्यारे मित्र हैं । गुजरात की हर चीज मुझे प्रिय हैं। फिर चाहे  वे नेता हों या खिलाड़ी अजय जडेजा । हमारे शहर की महारानी तक गुजराती हैं ।हम उनका भी दिल से सम्मान करते हैं । वे बड़ोदरा के राजपरिवार से हैं।गुजरात का सम्मान करना इस दौर में राष्ट्रधर्म है । जिसने गुजरात से प्रेम नहीं किया उसने भारत से प्रेम नहीं किया । असली भारतवासी वो ही है जो गुजरात का मुरीद है । गुजराती हर मामले में अव्वल होते हैं । मेहनत में ,ईमानदारी में ,बेईमानी में ,नेतृत्व में ,कलाकारी में ।  गुजराती असल जौहरी हैं । वे जानते हैं कि असली और नकली हीरे में कितना फर्क होता है ।

देश के नए संसद भवन से गुजरात का कितना कनेक्शन है, मुझे नहीं मालूम । लेकिन यदि कुछ है तो हमें नए संसद भवन पर भी नजर रखना चाहिए.।  नया भवन कम से कम 2024  तक तो अपना रंग-रूप न बदले । नए संसद भवन में ईंट-गारे से ज्यादा गुजरात की इच्छाशक्ति शामिल है ।वरना किसी और ने क्यों नहीं बनाया नया संसद भवन ? डॉ मन मोहन सिंह बनवा सकते थे । अटल जी बनवा सकते थे । .चंद्रशेखर को क्यों नहीं सूझा इस बारे में?  इंद्रकुमार गुजराल को किसने रोका था  नया संसद भवन बनवाने से ?  देवगौड़ा जी को भी इस बारे में कभी कोई ख्याल क्यों नहीं आया ? आखिर मोदी जी ने नया संसद भवन बनवाया ।नया इतिहास गढ़ना केवल गुजरातियों के बूते की बात है ।गुजराती किसी भी सीमा तक जाकर काम करते हैं,फील्ड भले ही कोई भी हो ।

आप सोचेंगे की आज बन्दा देश के तमाम ज्वलंत मुद्दे छोड़कर कहाँ आकर गुजरात में अटक गया ! गुजरात है ही ऐसा जहां हर कोई आकर अटक जाता है । कांग्रेस क्या ,आप क्या ,सब यहां आकर अटके हुए हैं । सबकी लालसा एक बार गुजरात जीतने की है । लेकिन कोई भी अब तक कामयाब नहीं हुआ है । पहले की बात छोड़ दीजिये । पहले गुजरात आज के गुजरात से भिन्न था । आज का गुजरात आज का गुजरात है.। गुजरात में एक रात बिताकर तो देखिये । गुजरात की बदनामी के तमाम कारणों पर धूल डालकर गुजरात को देखिये । बड़ा ही खूबसूरत नजर आएगा । आज गुजरात के पास राजधर्म के साथ ही राजदंड भी है । गुजरात में लोकतंत्र है ।गुजरात में न्यायतंत्र है।  गुजरात की ही ताकत थी जो उसने राहुल गांधी से उनकी लोकभा की सदस्यता  छिनवा दी ।

ऐसे गुजरात को नमन कीजिये । उज्जैन की मूर्तियों को भूल जाइये । उज्जैन में एक ही कालजयी मूर्ती महाकाल की है । बाक़ी को तो आज नहीं तो कल धराशायी होना ही है । फिर चाहे वे फाईवर  से बनाई जाएँ या पत्थर से । ध्वस्त हुई मूर्तियों को घटिया बताकर हम गुजरात का अपमान नहीं कर सकते । हम तो तब भी मौन थे जब गुजरात में खुद का बनाया पुल गिरा और सैकड़ों लोग मारे गए । इस सबके लिए गुजराती नहीं बल्कि काल जिम्मेदार है । गुजरात अजर है,गुजरात अमर है ।जय गुजरात,जय भारत ।

 

 

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel