स्वतंत्र प्रभात
प्रयागराज ब्यूरो
फाफामऊ प्रयागराज सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में तैनात चिकित्सा विभाग डीआईजी कौशल किशोर को उन्ही के विभाग के डॉक्टर द्वारा कराई गई जांच के बारे में जब एक अधिवक्ता ने छानबिन शुरू कर दिया तो ये बात डॉ कौशल किशोर सी आर पी एफ़ को बहुत नागवार गुजरा और अपने पद का दुरूपयोग करते हुये अधिवक्ता के ऊपर दबाव बनाने के लिये फर्जी मुकदमा पंजीकृत करा दिये, और यहां तक धमकी दे डाली कि तुम्हारा भाई मेरे यहाँ कार्यरत है
बीमार भी है,मेरे पास ही आयेगा तो उसके ग्रुप के कमांडेंट से बोलकर उसको नौकरी से बर्खास्त करा दूँगा,अधिवक्ता ने कहा कि मेरे भाई से इसमें क्या लेना देना है,आप को बता दे कि मेडिकल डीआईजी के खिलाफ अधिवक्ता ने 31 दिसम्बर 2022 में जांच कराने का प्रत्यावेदन वरिष्ठ अधिकारीयो भेज दिया था और इनके गलत तरीके के दबाव से आजिज आकर अधिवक्ताओं ने पूर्व में इनके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करने के लिये न्यायालय का शरण लिया
जिसकी सूचना मिलते ही डीआईजी कौशल किशोर ने बिना थाने गये अपने हमराहियों को भेज कर थाने में अपने प्रभाव के दम पर फर्जी मुकदमा पंजीकृत कराने का दबाव बनाकर मुकदमा दर्ज करा दिया,और तरह तरह का धमकी और मानसिक प्रताड़ना देने के सभी हथकण्डे अपनाने लगे,डीआईजी चिकित्सा के इस कृत्य से अधिवक्ता व उसका भाई जो उन्ही के विभाग में कार्यरत है को पूरे परिवार सहित भय व्याप्त है, डीआईजी जैसे सम्मानित पद पे बैठे लोगों का ये हाल,।
इस संबंध में थानाध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि किसी भी अधिकारी के द्वारा मुकदमा लिखा देने से यह साबित नहीं हो जाता है कि वह मुकदमा सही है जब तक की उस संबंध में कोई प्रमाणित अभिलेख नहीं प्रस्तुत करेंगे इस मामले में जिसके विरूद्ध मुकदमा कायम हुआ है उसने अनेक अभिलेख ऐसे प्रस्तुत किया है जिससे साबित होता है कि यह मामला स्वयं के बचाव के लिए लिखा गया है ।आगे जो भी अभिलेख वादी द्वारा प्रस्तुत होगा उसी के गुण दोष पर ही मामले की विवेचना होगी।