गोला तहसील तिराहे पर नई पुलिया धंसने से हड़कंप,रातोंरात पैचवर्क कर भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश, गुणवत्ता पर उठे गंभीर सवाल
ग़ोला बाजार गोरखपुर। गोला तहसील मुख्यालय तिराहे के पास रामजानकी मार्ग पर बनी नई पुलिया मात्र कुछ ही महीनों में धंस गई। पुलिया धंसने की तस्वीरें सामने आते ही पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। घटना प्रकाश में आते ही निर्माण कराने वाली कार्यदायी संस्था की घबराहट साफ नजर आने लगी। आरोप है कि रविवार देर रात टूटे हिस्से पर आनन-फानन में गिट्टी, सीमेंट डालकर चकत्ते लगाने का खेल शुरू हो गया, जिससे भ्रष्टाचार और घटिया कार्यशैली को छुपाने की कोशिश की गई।
तहसील मुख्यालय से महज 100 मीटर दूर उदासीनता का नमूना
पुलिया के धंसने का स्थान तहसील मुख्यालय से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर है, जहां से रोजाना अधिकारी और कर्मचारियों की आवाजाही होती है। इसके बावजूद पुलिया का इतनी जल्दी जर्जर हो जाना प्रशासनिक लापरवाही, कमजोर मॉनिटरिंग और निर्माण में खुलेआम अनियमितताओं का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।
Read More Harley-Davidson: हार्ले-डेविडसन ने लॉन्च की सबसे सस्ती बाइक, मात्र इतनी कीमत में ले जाएं घर स्थानीय लोगों के मुताबिक निर्माण के दौरान ही घटिया सामग्री और मनमाने तरीके की शिकायतें उठाई गई थीं, लेकिन उनकी अनदेखी कर दी गई। नतीजा यह हुआ कि पुलिया अभी ठीक से उपयोग में भी नहीं आई और भरभरा कर धंस गई। नागरिकों ने यह भी कहा कि यदि समय-समय पर सही निरीक्षण किया गया होता, तो यह खामी पहले ही पकड़ में आ सकती थी, जिससे बड़ा हादसा टल सकता था।
निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई की मांग
घटना के बाद लोगों में रोष व्याप्त है। नागरिकों का कहना है कि यह सिर्फ एक पुलिया का मुद्दा नहीं, बल्कि करोड़ों की परियोजनाओं में हो रही मनमानी का संकेत है। उनकी मांग है कि पूरी घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाए, जिम्मेदार अधिकारियों, इंजीनियरों और कार्यदायी संस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही पुलिया की स्थायी, मानक अनुरूप और गुणवत्तापूर्ण मरम्मत कराई जाए ताकि किसी बड़े हादसे की नौबत न आए।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और व्यापारियों ने भी प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार और मानकों की अनदेखी का यह परिणाम जनता की जान से खिलवाड़ करने जैसा है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
यह घटना न केवल निर्माण गुणवत्ता की पोल खोलती है, बल्कि सरकारी कामकाज की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी बड़े सवाल खड़े करती है।

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