डीएम साहब, एक नज़र हमारी ‘गांव की गंगा’ पर भी
आमी नदी में बह रही है ज़हर की धारा, गांवों में स्वास्थ्य संकट गहराया
प्रदेश के मुखिया के गृह जनपद गोरखपुर के खजनी तहसील का मामला
ख़जनी- गोरखपुर जिले के खजनी तहसील की जीवनरेखा कही जाने वाली आमी नदी आज प्रदूषण के कारण मौत का गंदा नाला बन चुकी है। उनवल क्षेत्र में नदी का पानी मिलों द्वारा छोड़े गए रसायनयुक्त अपशिष्ट के चलते पूरी तरह काले, चिपचिपे और बदबूदार रूप में बदल गया है। उठती तीखी दुर्गंध से आसपास के गांवों में लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। हालात इतने गंभीर हैं कि इलाके के अधिकतर हैंडपंपों का पानी भी दूषित हो चुका है, जिसे पीते ही ग्रामीण बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
इन गांवों में असर सबसे अधिक
उनवल, जरलही, कूड़ा भरत, छताई मंझरिया, सोहरा, भलुआन, ढढ़ौना, लमती, मखानी, गोरसैरा समेत कई गांव गंभीर रूप से प्रभावित हैं। स्थानीय निवासी दिनेश साहनी, विवेक, गब्बर त्रिपाठी, मोनू दूबे, शचीन्द्रनाथ मिश्रा, राहुल त्रिपाठी, मनोज साहनी, नंदू साहनी और श्रीप्रकाश गुप्ता का कहना है कि नदी अब “नदी” कम और “ज़हरीला नाला” ज्यादा प्रतीत होती है। ग्रामीणों ने गीडा क्षेत्र की मिलों पर प्रदूषण फैलाने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि “आमी बचाओ अभियान” अब केवल कागजों में सिमट कर रह गया है, जबकि रसायन लगातार नदी में बहाया जा रहा है।
ग्रामीणों की मुख्य मांगें
- नदी की त्वरित सफाई
- गीडा क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों पर कड़ी कार्रवाई
- प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य जांच कैंप
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी बढ़ाने और ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है—
“जब तक प्रशासन सख्त कार्रवाई नहीं करेगा, आमी नदी ज़हर उगलती रहेगी और हम बीमार पड़ते रहेंगे।”
स्थानीय लोग यह भी मान रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में आमी प्रदूषण बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है।
इस संबंध में खजनी के उपजिलाधिकारी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि मामले की जानकारी प्रशासन को है और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट मांगी गई है।

Comment List