ब्लाक में बर्बाद होता पेयजल,खराब पड़ा हैण्डपम्प,सूखी पड़ी क्यारी

ब्लाक में बर्बाद होता पेयजल,खराब पड़ा हैण्डपम्प,सूखी पड़ी क्यारी

कदौरा ब्लाक परिसर के बदतर हालात तो ग्राम पंचायतों का क्या होगा


स्वतंत्र प्रभात 

कदौरा जालौन

11अगस्त।एक तरफ सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर धन खर्च कर योजनाओं के जरिये ग्राम पंचायतों में विकास करवाया जा रहा है एव स्वच्छता को प्रमुखता देते हुए व्रक्षारोपन सहित पेयजल बर्बादी को रोकने के लिए लगातार प्रशिक्षण जारी है लेकिन बड़ी शर्म की बात है कि जहां अधिकारिक कार्यालय हो वही के बदतर हालात है जहां नितदिन बैठक कर उक्त बिंदुओं पर भाषण देने वाले अधिकारी खुद सरकार की मंशा के विपरीत रवैया अपनाते है तो जनता का क्या हाल होगा।

गौरतलब हो कि कदौरा विकास खण्ड में वर्तमान में बदतर हालात है जिसमें 71 ग्राम पंचायतों के लोग कहते है कि जब ब्लाक परिसर का ये हाल है तो ग्राम पंचायतों का क्या होगा। बुधवार को एक सर्वे के अनुसार देखा गया कि कदौरा विकास खण्ड में क्यारियां सूखी पड़ी है जबकि सरकार ने पर्यावरण शुद्ध रखने के लिए करोड़ो पौधरोपड़ करने का लक्ष्य रखा गया है


 लेकिन ब्लाक में जिम्मेदार सरकार की उक्त मंशा को महत्वविहीन समझते है। वही ब्लाक में लगे हैंडपैप जिससे परिसर में आवागमन करने वाले सैकड़ो लोग अपनी प्यास बुझाते थे जो कि खराब पड़ा है उस पर भी जिम्मेदार को कोई मतलब ही नही है।
इतना ही नही ब्लाक में पेयजल टँकी का पानी लगातार बर्बाद होता रहता है


 जिसे अधिकारी बन्द करवाना उचित नही समझते जबकि ब्लाक सभागार में आआये दिन सरक्षण पर लंबा चौड़ा भाषण देते नजर आते है कि पेयजल बचाओ और परिसर में बीडीओ आवास के नजदीक रखी टँकी के समीप नल से पानी लगातार बहता है जिसे बन्द कर पेयजल बचाने की फुर्सत तक नही है।


उक्त हालातो को देख चर्चा करते हुए लोगो ने कहा कि सरकार द्वारा महत्वपूर्ण योजनाएं जिम्मेदारों के शहारे चलाई जाती है जिससे उक्त अधिकारी ही उनका बेहतर क्रियान्वन करवा सके लेकिन चिराग तले अंधेरा वाली कहावत को चरितार्थ करते ब्लाक के जिम्मेदार को इन सब बातों से कोई लेना देना नही है।


बड़ी बात ये है कि ब्लाक परिसर की ही जब बद्दतर हालत है तो वास्तव में ग्राम पंचायतों में कौन ध्यान देगा।
फिलहाल अब ऐसी स्थितियों में जिम्मेदारों को दोष कौन दे क्यो कि उन्हें जो सही लगेगा फिलहाल यदि इन स्थितियों पर जिला प्रसाशन व जिला विभागीय अधिकारी ही गौरतलब करे तो शायद सुधार हो सकता है।
 

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