पुलिस के नाकामी की हो रही है चर्चा, सीसीटीवी कैमरे मे कैद हैं चोरी की वारदातें, फिर भी परिणाम नदारद

पुलिस के नाकामी की हो रही है चर्चा, सीसीटीवी कैमरे मे कैद हैं चोरी की वारदातें, फिर भी परिणाम नदारद

बस्ती- बस्ती जिले के कई मामले सीसीटीवी कैमरों में कैद होने के बावजूद पुलिस चोर या चोरी के माल तक पहुंच पाई। पीड़ित के साथ साथ स्थानीय लोग इसे पुलिस की घोर नाकामी मान रहे हैं। कुछ महीने पहले वी मार्ट के सामने से 14 नवम्बर 2025 को अधिवक्ता की बाइक होण्डा सी.बी. साइन नम्बर यू.पी. 51 ए.एन. 9013 चुराते हुये युवक सीसीटीवी कैमरे मे कैद हुआ। बड़े आराम से युवक टहलते हुये आता है और बाइक लेकर चला जाता है। इस घटना के खुलासे की बात तो दूर है कोतवाली पुलिस ने एफआईआर तक नही दर्ज किया।
 
इसी तरह कोतवाली थाना अंतर्गत सोनूपार चैकी क्षेत्र के कैली अस्पताल कैम्पस में कुछ दिन पहले दो युवक साइकिल चोरी करते हुए सीसीटीवी में कैद हुये थे। वीडियो फुटेज साफ दिखाता है कि दोनों आरोपी आराम से कैम्पस में घुसे और साइकिल लेकर फरार हो गए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो चुका है। पीड़ितों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध कराया, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी न तो चोरी हुई साइकिल बरामद हुई और न ही चोरों का कोई सुराग लगा।
 
इसी तरह कोतवाली थाना रौता चैकी क्षेत्र में रेनू राय के अस्पताल के ठीक सामने खड़ी मोटरसाइकिल की डिग्गी से सामान और हेलमेट चोरी कर लिया गया। पूरी वारदात अस्पताल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई जिसमे चोर का चेहरा और हरकतें साफ दिखाई दे रही हैं। इस मामले मे भी पुलिस अब तक कोई ठोस परिणाम नही दे पाई। न चोर पकड़े गए, न सामान वापस मिला। कई ऐसे मामले और हैं जिनमे चोरी की वारदात सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई है लेकिन पुलिस इन मामलों को ठंडे बस्ते मे डाल दिया। अब यह दावे के साथ नही कहा जा सकता है कि जो मामले सीसीटीवी मे कैद हो रहे हैं उसका अनावरण अनिवार्य रूप से हो ही जायेगा।
 
इन दोनों मामलों में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब चोर सीसीटीवी में कैद हैं, वीडियो सबूत मौजूद हैं, फिर भी पुलिस किसी नतीजे पर क्यों नही पहुंची। स्थानीय लोगों का कहना है कि छोटी-छोटी चोरियों पर भी अगर पुलिस इतनी निष्क्रिय रहेगी तो बड़े अपराधों के खुलासो पर क्या भरोसा किया जाए ? लोग पूछ रहे हैं क्या बस्ती पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज देखने और उसका एनालिसिस करने की तकनीकी क्षमता नहीं है? क्या गश्त और खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल हो चुका है? या फिर पुलिस महकमे में इतनी सुस्ती है कि सबूत होने के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही? बस्ती पुलिस की इस नाकामी से आम जनता में भय और असुरक्षा का माहौल बढ़ रहा है।
 
 

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