रेणुकूट के समाजसेवी विजय प्रताप सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने वाराणसी पहुंचकर निभाया दोस्ती का फर्ज, पेश किया नई मिशाल

भाई के प्रति अटूट प्रेम समाजसेवी डब्लू सिंह वाराणसी अस्पताल पहुंचे, मित्रता और सेवा का अनुपम उदाहरण

रेणुकूट के समाजसेवी विजय प्रताप सिंह उर्फ डब्लू सिंह ने वाराणसी पहुंचकर निभाया दोस्ती का फर्ज, पेश किया नई मिशाल

समाजसेवी डब्लू सिंह ने किया वाराणसी अस्पताल का दौरा

अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

सोनभद्र/ वाराणसी-

आज के भागम भाग और आपाधापी से भरे जीवन में जहाँ लोग अक्सर अपनी व्यक्तिगत व्यस्तताओं में उलझे रहते हैं पर ऐसे व्यक्ति बहुत कम ही देखने को मिलते हैं जो अपने मित्रों और प्रियजनों के लिए इतना गहरा स्नेह और चिंता रखते हों।

इसी संदर्भ में, रेणुकूट क्षेत्र के एक ऐसे ही असाधारण शख्सियत का उल्लेख करना अत्यंत महत्वपूर्ण है,जो न केवल अपने नि:स्वार्थ सेवा कार्यों के लिए जाने जाते हैं, बल्कि अपनी अटूट मित्रता के बंधन के लिए भी पहचाने जाते हैं विजय प्रताप सिंह, जिन्हें लोग प्यार से डब्लू सिंह के नाम से जानते हैं।डब्लू सिंह जो रेणुकूट और उसके आसपास के इलाकों में एक प्रतिष्ठित समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने हाल ही में वाराणसी के एक अस्पताल का दौरा किया।

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उनका यह दौरा किसी और से नहीं बल्कि उनके एक प्रिय दोस्त से मिलने के लिए था, जिसे वे अपने छोटे भाई जैसा मानते हैं। यह साधारण सी दिखने वाली घटना डब्लू सिंह के असाधारण व्यक्तित्व और अपने करीबियों के प्रति उनके गहरे और नि:स्वार्थ स्नेह को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।उनके आसपास रहने वाले लोग बताते हैं कि डब्लू सिंह हमेशा दूसरों की सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।

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उनकी पहचान एक ऐसे व्यक्ति की है जो बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की अपेक्षा किए लोगों के दु:ख और दर्द में सहभागी होते हैं और हर संभव मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। चाहे किसी गरीब परिवार की सहायता करनी हो, किसी जरूरतमंद को सहारा देना हो, अपने मित्रों और भाइयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहना हो, या किसी दुर्घटना में फंसे व्यक्ति की मदद के लिए दौड़ पड़ना हो, डब्लू सिंह हमेशा सबसे आगे रहते हैं।

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वाराणसी के अस्पताल में अपने प्रिय मित्र, जिसे वे छोटा भाई मानते हैं उनसे मिलने जाना, उनके इसी उदार और समर्पित स्वभाव का एक और जीवंत प्रमाण है। यह दर्शाता है कि उनके लिए मानवीय रिश्ते कितने अनमोल हैं और वे अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

उनकी यह मानवीय पहल उन लोगों के लिए एक गहरी प्रेरणा है जो आज के भौतिकवादी युग में मानवीय मूल्यों और रिश्तों की गहराई को कहीं न कहीं भूलते जा रहे हैं।डब्लू सिंह का यह कार्य न केवल उनके अपने भाई जैसे मित्र के प्रति उनके गहरे प्रेम और चिंता को दर्शाता है, बल्कि यह भी एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि सच्ची मित्रता और पारिवारिक बंधन आज भी

उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने पहले कभी थे। उनकी यह संवेदनशील पहल उन लोगों को आत्ममंथन करने के लिए प्रेरित करती है जो अपनी व्यस्त दिनचर्या में अपनों के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते।यह कहना कदापि अतिशयोक्ति नहीं होगी कि डब्लू सिंह आज के आपाधापी भरे युग में एक दुर्लभ और अनुकरणीय व्यक्तित्व हैं वे न केवल समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं, बल्कि अपने व्यक्तिगत रिश्तों को भी उतनी ही ईमानदारी और महत्व देते हैं।

उनका यह उदाहरण हमें यह महत्वपूर्ण सीख देता है कि सच्ची खुशी और संतुष्टि दूसरों की नि:स्वार्थ मदद करने और अपने प्रियजनों के साथ मजबूत और स्थायी संबंध बनाए रखने में ही निहित है। रेणुकूट और उसके आसपास के समुदाय के लोग वास्तव में भाग्यशाली हैं कि उनके बीच डब्लू सिंह जैसा एक नि:स्वार्थ, समर्पित और मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत व्यक्ति मौजूद है।

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