जनपद की गौशालाओं का है बुरा हाल
भूसा चारा, चूनी, चोकर सब गायब चरवाही पर आश्रित है पशु
On
बलरामपुर- देश में व प्रदेश में प्रधानमन्त्री व मुख्य मन्त्री को गो सेवा करते हमे सोशल मीडिया पर प्रमुख्ता से दिखाया जाता है। वहीं गावों के गौशालाओं में गो माता भूख प्यास से व्याकुल होकर दम तोड़ती नजर आ रही है। 1.तुलसीपुर विकास खण्ड का मैनहवा ग्राम पंचायत की गौशाला में भूसा चारा चूनी चोकर आदि का घोर अभाव पाया गया। वहां कार्यरत श्राईकों को होली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार में। मजदूरी तक नहीं मिली। पता चला कि पशु और श्रमिक दोनो भूख से बेहाल हैं। इस सम्बन्ध के ग्राम पंचायत सचिव मीनांक्षी राव ने बातचीत में फोन पर पूरी व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होने का दावा किया और कहा कि हम लोग गो वंशों का विशेष ध्यान रखते हैं।

2 .इसी प्रकार तुलसीपुर विकास खंड के ही नन्हुआ पुर ग्राम पंचायत में लाखों-लाख की लागत से निर्मित गौशाला का अभी तक संचालन ही शुरु नही हो सका है गोआश्रय स्थल नन्हुआ पुर शोपीस बनकर रह गया
3.पचपेड़वा विकासखण्ड के थारु बाहुल्य गांव भगवान पुर कोडर में दो वर्ष पूर्ण वना गोआश्रय स्थल लावारिस हालत में शासन प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहा है

4.पचपेड़वा विकास खण्ड के आदम तारा गांव के गौशाला में अनेक गाय बछड़ा भूख प्यास से दम तोड़ चुके हैं। ग्रामीणों द्वारा उच्चाधिकारियों से बात करने पर कुछ भूषा चारा और । की व्यवस्था की गई और पशुओं की चरवाही की व्यवस्था की गई।

5. पचपेड़वा, गैसडी और तुलसीपुर आदि विकासखण्डों के जंगल के गावों में बने गौशालाओं में पशुओं की जीवन चरवाही पर आश्रित है। उदाहरण के लिए पचपेड़वा के इमिलिया कोडर गौशाला में दो लोग तैनात है जो सुबह पशु को को खोल कर चराने ले जाते हैं और जंगलों में छोड़ देते हैं। शाम को जानवरों को लाकर गौशाला में कर देते हैं।
6. पूरे जिले मे के वनों के समीपवर्ती गायों मे आये दिन बाघों के हमले में मानव व पशुओं जान जा रही है। हालत यहाँ तक है। कि मोटर सायकिलों पर जा रहे लोगों पर वाघ हमला • कर के घायल कर देते हैं। कभी-कभी तो गांवो में दिन के उजाले में दिखाई पड़ जाते हैं। ऐसी दशा में गोवंशों को जंगल के अन्दर कैस सुरक्षित माना जा सकता है। इसके अलावा सेंचुरी जीन में पालतु पशुओं को • चराने से वन विभाग के आलाधिकारी व कर्म चारी कभी भी रोक लगा सकते हैं।


उल्लेखनी है कि किसी समय गाए बैल. बछड़ा किसानों की पूंजी हुआ करते थे जब भी किसानों के धन की गणना होती थी तो उसके पशुधन भी जोड़ा जाता था परन्तु अब इसे इस परिस्थित से बाहर कर दिया गया है। दूध दही घी मक्खन सबको चाहिये खेतो में डालने के लिए गोबर की खाद चाहिए बस गौ सेवा से ही घिन आती है
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
19 Apr 2025 18:07:09
आईएमए का ने विश्व लीवर डे पर किया प्रेस वार्ता का आयोजन, शराब लीवर के लिए है घातक -- डा....
अंतर्राष्ट्रीय
21 Mar 2025 21:05:28
रवि द्विवेदी रिंकू संग्रामपुर,अमेठी। संग्रामपुर क्षेत्र के कालिकन धाम के पवित्र स्थान गणेश देवतन पर आज गुरूवार से श्रीमद्भागवत कथा...
Online Channel
खबरें
शिक्षा

Comment List