भारत अमेरिका की मिडिल इस्ट कॉरिडोर योजना से चीन चित्त

जी 20 सम्मेलन में मोदी की कूटनीति का दुनिया ने लोहा माना! 

भारत अमेरिका की मिडिल इस्ट कॉरिडोर योजना से चीन चित्त


मनोज कुमार अग्रवाल 

इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी 20 अध्यक्ष बतौर कूटनीतिक सफलता की हेट्रिक करार दी जाए कि इटली ने चीन के अंतर्राष्ट्रीय रोड कारिडोर परियोजना से बाहर आने की घोषणा की है और दूसरी ओर नई दिल्ली में सम्पन्न  जी20 समिट में इटली ने इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकानॉमी कॉरिडोर में जुड़ने की घोषणा की है। इस समिट ने दुनिया में भारत की भागीदारी और कामयाबी के कई दरवाजे खोल दिए हैं। इस समिट में इंडिया.मिडिल ईस्ट.यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने की घोषणा की गई। भारतए यूएई  सऊदी अरबए अमेरिकाए फ्रांसए जर्मनीए इटली और यूरोपीय यूनियन सहित कुल 8 देशों के इस प्रोजेक्ट का फायदा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलेगा।

आप को बता दें कि मुंबई से शुरू होने वाला यह नया कॉरिडोर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव ;बीआरआइद्ध का विकल्प होगा। यह कॉरिडोर 6 हजार किमी लंबा होगा। इसमें 3500 किमी समुद्र मार्ग शामिल है।कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से यूरोप तक सामान पहुंचाने में करीब 40ः समय की बचत होगी। अभी भारत से किसी भी कार्गो को शिपिंग से जर्मनी पहुंचने में 36 दिन लगते हैंए इस रूट से 14 दिन की बचत होगी। यूरोप तक सीधी पहुंच से भारत के लिए आयात.निर्यात आसान और सस्ता होगा।मोदी और बाइडेन की इस कॉरिडोर निर्माण की योजना ने चीन पाकिस्तान को करारा झटका दिया है। 

एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि दिल्ली में जी.20 समिट में एक बार फिर अमेरिका ने अपनी पुरानी योजना को आगे बढ़ाया है। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने इस योजना के विस्तार का खाका पेश किया है।बताया जाता है कि चीन का दुनिया में आइसोलेट करने के मकसद के साथ अमेरिका के इस प्रोजेक्ट को अभी तक अच्छा समर्थन नहीं मिला । खाड़ी और अरब देशों में रेललाइन का वादा किया गया हैए लेकिन आशंका की गई कि अमेरिका का गंभीर इरादा और क्षमता नहीं है। 

लेकिन अब जी20 के अध्यक्ष पीएम मोदी ने ऐसी कूटनीतिक व्यूह रचना की और ऐसे देशों को भी साथ खड़ा कर दिया जिनके बीच मतभेद थे और जिनके राष्ट्राध्यक्ष आपस में हाथ तक नहीं मिलाते थे ।सबसे पहले भारत और अमेरिका इंडो.पैसेफिक क्षेत्र में काम कर रहे थेए लेकिन पहली बार दोनों मिडिल ईस्ट में साझेदार बने हैं।भारत की मध्य एशिया से जमीनी कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी बाधा पाकिस्तान का तोड़ मिल गया है। वह 1991 से इस प्रयास को रोकने की कोशिश कर रहा था।भारत के ईरान के साथ संबंध सुधरे हैंए लेकिन अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण ईरान से यूरेशिया तक के रूस.ईरान कॉरिडोर की योजना प्रभावित होती जा रही है।अरब देशों के साथ की भागीदारी बढ़ी हैए यूएई और सऊदी सरकार भी भारत के साथ स्थायी कनेक्टिविटी बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

अमेरिका को उम्मीद है कि इस मेगा कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट से अरब प्रायद्वीप में राजनीतिक स्थिरता आएगी और संबंध सामान्य हो सकेंगे।यूरोपीय यूनियन ने 2021.27 के दौरान बुनियादी ढांचे के खर्च के लिए 300 मिलियन यूरो निर्धारित किए थे। भारत भी इसका भागीदार बना।नया कॉरिडोर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का विकल्प है। कई देशों के चीन के कर्ज जाल से मुक्ति मिलेगी। जी.20 में अफ्रीकी यूनियन के भागीदार बनने से चीन और रूस के अफ्रीकी देशों में बढ़ती दादागीरी को रोकने में सहायता मिलेगी।रूस.यूक्रेन जंग पर मतभेद के बावजूद  संयुक्त घोषणापत्र में 8 देशों का इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन को जवाब देगा। देश की राजधानी में दो दिन चली जी20 समिट 10 सितंबर को खत्म हो गई। इस समिट को कुछ मायनों में ऐतिहासिक कहा जा सकता है। इंडोनेशिया के बाली में पिछले साल हुई समिट की तरह नई दिल्ली समिट पर भी रूस.यूक्रेन जंग का साया नजर आया। इसके बावजूद जॉइंट डिक्लरेशन जारी हुआ।

जी20 समिट आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 से ज्यादा राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। एक डील का जिक्र सबसे ज्यादा हो रहा है। ये है भारतए यूरोप और मिडिल ईस्ट की इकोनॉमिक कॉरिडोर डील।इसके अलावा करीब 3 साल बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की मोदी की मौजूदगी में गर्मजोशी वाली मुलाकात भी बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है। इसके अच्छे नतीजे जल्द देखने मिलेंगे।

 कहना होगा कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मंच पर ये भारत की बड़ी जीत है। हालांकिए इसके लिए दस महिने तक होमवर्क किया गया । सभी सदस्य देशों की सहमति के साथ नई दिल्ली समिट सहमति घोषणापत्र जारी हुआ। यूक्रेन मुद्दे पर सहमति बनाने में भारत ने काफी मेहनत की थी। इस बेहद विवादास्पद असहमति। वाले मामले को लेकर काफी अड़चने थींए लेकिन मोदी ने अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता का इस्तेमाल किया और जमी बर्फ पिघल गई। भारत की दलील यह थी कि यूक्रेन मसले का असर दूसरे अहम मुद्दों पर नहीं पड़ना चाहिए।

भारतए यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर पर बन रही सहमति ने सीपीइसी का सपना देख रहे चीन के होश फाख्ता हो गए हैं। दुनिया के कई गरीब देशों को कर्ज जाल में फंसाने वाले चीन ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव ;बीआरआइद्ध के जरिए यूरोप तक ट्रेड रूट बनाने का ख्वाब देखा है। इस मेगा प्रोजेक्ट का एक अहम हिस्सा पाकिस्तान में है। इसे चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर कहा जाता है। अब इसके जवाब में भारतए यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर डील हुई है। इसमें भारतए यूनाइटेड अरब ऑफ एमीरेट्स ए सऊदी अरबए यूरोपीय यूनियन ए इटलीए जर्मनीए फ्रांस और अमेरिका शामिल हैं। जल्द ही कुछ और देश हिस्सा बनेंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत मोदी ने 10 से ज्यादा राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। यह जी20 समिट  पर ही मुमकिन हो सका । ब्रिटेन से मुक्त व्यापार समझौता  और अमेरिका से कई समझौतों पर बातचीत जल्द ही नतीजे पर पहुंचेगी। अफ्रीकी यूनियन के 55 देश इसके लिए भारत को श्रेय दे रहे हैं। चीन अफ्रीकी महाद्वीप में तेजी से पैर पसार रहा है। भारत अब उससे दो कदम आगे निकल जाएगा और फ्यूचर में ट्रेड और खासतौर पर मिनरल माइनिंग में भारतीय कंपनियों को इसका फायदा मिलेगा।

जी 20 समिट अमेरिका और सऊदी अरब की दूरियां कम हुईं हैं। बाइडेन और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान  की करीब तीन साल से चली तल्खियां कम होती नजर आईं। मोदी की मौजूदगी में दोनों नेताओं ने पहली बार हाथ मिलाए। वर्ल्ड स्पेक्ट्रम में देखा जाए तो चीन ने हाल ही में सऊदी.ईरान डिप्लोमैटिक रिलेशन बहाल कराए थे। इसके बाद वो मिडिल ईस्ट में बड़ा रोल प्ले करने की कोशिश कर रहा था। बाइडेन और प्रिंस सलमान की वजह से अमेरिका और सऊदी अरब के बीच आ रही दूरियों का चीन फायदा उठाना चाह रहा था।अब चीन के अरमान आंसुओं में बह सकते हैं। 

इस समिट में एक ओर भारत ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से आतंकवाद के प्रोत्साहन के लिए अपनी जमीन इस्तेमाल नहीं करने देने का वचन लिया है वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भी कनाडा में हवा दी जा रही खालिस्तानी अलगाववादियों की भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों को लेकर दो टूक अपनी बात कह कर बैकफुट पर ला दिया है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर अपनी सफल कूटनीति की एक ऐसी बड़ी लकीर खींच दी है जो भविष्य के भारत के लिए कामयाबी और विकास की नया इतिहास लिखेगी। ;लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैंद्ध 9219179431

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