economics
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

नेटवर्क काटने से दंगा शांत नहीं होता है 

नेटवर्क काटने से दंगा शांत नहीं होता है  किसी भी राष्ट्र की असली परीक्षा तब होती है जब उसकी सड़कों पर अराजकता का शोर हो और सत्ता के गलियारों में निर्णयों की बेचैनी। भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे लोकतंत्र में जब भी कहीं हिंसा, दंगा या...
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संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

ख़ास आदमी के लिए आम ' सीतारामी बजट '

ख़ास आदमी के लिए आम ' सीतारामी बजट ' जब से समझने लायक हुआ हूँ तब से अब तक हर साल संसद में पेश   किये जाने वाले आम बजट को समझने की और समझने की कोशिश करता हूँ लेकिन कामयाबी नहीं मिलती। कभी बजट ' चूं-चूं का मुरब्बा '...
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