सिर्फ राज किशोर सिंह हरैया विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगाने में हुए है कामयाब

सिर्फ राज किशोर सिंह हरैया विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगाने में हुए है कामयाब

जिले के विधानसभा क्षेत्र हरैया की जनता ने सिर्फ राज किशोर सिंह को ही लगातार तीन बार हैट्रिक लगाने का मौका दिया


बस्ती। जिले के विधानसभा क्षेत्र हरैया की जनता ने सिर्फ राज किशोर सिंह को ही लगातार तीन बार हैट्रिक लगाने का मौका दिया। इसके अलावा स्वर्गीय रन बहादुर सिंह कांग्रेस के बैनर तले लगातार दो बार विधायक थे तो भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले स्वर्गीय जगदंबा सिंह लगातार दो बार विधायक हुए। इसके अलावा सुखपाल पांडे एवं सुरेंद्र प्रताप नारायण पांडे उर्फ कोर्ट साहब सिर्फ बारी-बारी ही विधायक बने।     

    हरैया  विधानसभा क्षेत्र 307 जो पहले 149 के नाम से जाना पहचाना जाता था ।लेकिन बाद में हुए परिसीमन  में इसकी पहचान विधानसभा क्षेत्र 307 के नाम से हुई ।हरैया विधानसभा क्षेत्र का इतिहास रहा है की यहाँ की जनता ने   राज किशोर सिंह को छोड़कर किसी को भी हैट्रिक लगाने का मौका नहीं दिया।   राज किशोर सिंह 2002 में हुए विधानसभा चुनाव मे  बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर विजई हुए थे और कैविनेट मंत्री बने ,तो 2007 में समाजवादी पार्टी के साईकिल पर सवार होकर विजय को हासिल किए ,वही 2012 के चुनाव में पुनः साइकिल पर सवार होकर के सदन में पहुंचे और अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। लेकिन चौथी बार 2017 मे हुए विधान सभा चुनाव मे भाजपा लहर में राजकिशोर सिंह भाजपा उम्मीदवार अजय सिंह से चुनाव हार गए थे।

इससे पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे मुरादीपुर गांव निवासी स्वर्गीय रनबहादुर सिंह 1957 और 1962 में लगातार दो बार विधायक बने लेकिन 67 के चुनाव में वह अपने ही गांव के पट्टी दार राम किशोर सिंह उर्फ भूसुर सिंह से मात खा गए । 1969 में हुए आम चुनाव में सुखपाल पांडे कांग्रेस उम्मीदवार बिंदेश्वरी लाल श्रीवास्तव को पराजित कर सोशलिस्ट पार्टी के बैनर तले सदन में पहुंचे लेकिन 1974 में हुए आम चुनाव में अपने पट्टीदारी के चाचा से चुनाव हार गए ।1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार और अपने चाचा सुरेंद्र प्रताप नारायण पाण्डेय को  जनता पार्टी के बैनर तले पराजित कर 19 74 के हार का बदला ले लिया ।1980मे हुए  मध्यावधि चुनाव में सुरेंद्र प्रताप नारायण पांडे उर्फ कोट साहब  बतौर कांग्रेस उम्मीदवार विजय को हासिल किए ।लेकिन 1985 के  विधानसभा चुनाव में दलित मजदूर किसान पार्टी के बैनर तले अपने भतीजे  सुखपाल पांडे से पटखनी खा गए ,1989 के चुनाव में सुरेंद्र प्रताप नारायण पांडे पुनः  कांग्रेस के बैनर तले विजेता हुए। लेकिन राम लहर में   1991 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार  स्वर्गीय जगदंबा सिंह से पराजित हो गए, 1993 के चुनाव में भी जगदंबा सिंह भाजपा के  परचम को फहराया।लेकिन  1996के हुए विधानसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार  सुखपाल पांण्डेय से चुनाव हार गए। 2022 के   विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। इस बार राजकिशोर सिंह फिर एकबार बसपा से अपनी किस्मत आजमा रहे है तो भाजपा ने अपने विधायक अजय सिंह पर ही दांव लगाया है।

कांग्रेस ने लबोनी सिंह को तो आम आदमी पार्टी ने सुरेश कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। समाजवादी पार्टी ने परशुराम पुर के पूर्व ब्लाक प्रमुख त्रयंबक नाथ पाठक को अपना उम्मीदवार बनाया है।फिलहाल सभी दलों के उम्मीदवार और कार्यकर्ता गांव गांव और घर घर जाकर जनसंपर्क में जुट गए है।

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