बस्ती जनपद में मौतों के मामले में निजी अस्पताल हो रहे ब्लैकमेल , आईएमए बना तमाशगीर 

आईएमए की रवैए से डाक्टरों में बढ़ी सुगबुगाहट अस्पताल संचालकों ने आईएमए के औचित्य पर उठाए सवाल

बस्ती जनपद में मौतों के मामले में निजी अस्पताल हो रहे ब्लैकमेल , आईएमए बना तमाशगीर 

 बस्ती। जनपद के प्राइवेट अस्पतालों में लगातार हो रही मौतों और उन पर हो रही ब्लैकमेलिंग से जनपदीय प्राइवेट स्वास्थ्य महकमा हड़बड़ा सा गया है । जनपद के प्राइवेट अस्पतालों में मौतों को लेकर आईएमए की सुस्ती ने अस्पताल प्रशासकों की और बेचैनी बढ़ा दिया है है , दबी जुमान ही सही प्राइवेट अस्पताल संचालक आईएमए को कोश रहे हैं ।मिली जानकारी के अनुसार केवल जनपद मुख्यालय पर दर्जनों से ज्यादा पंजीकृत प्राइवेट अस्पताल संचालित हैं और प्रतिदिन सैकड़ों ओपीडी लगभग सभी अस्पतालों पर हो रही है ।
 
इन्हीं रोगियों में से कुछ की मौत अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से हो रही है परन्तु ज्यादातर मामलों में रोगियों की मौंते प्राकृतिक तरीके अथवा बीमारी की गम्भीरता से हो रही हैं क्योंकि कोई भी प्राइवेट अस्पताल संचालक यह नहीं चाहेगा कि किसी भी रोगी की मौत उसके अस्पताल में हो और उसके संस्थान की बदनामी हो । इन सबके बावजूद कुछ मरीजों के परिजन मौत का ठीकरा अस्पताल प्रशासन पर फोड़ते हुए उनके संचालकों को ब्लैकमेल करते हुए मोटी फिरौती की माँग करते हैं ।
 
अभी इसका ताजा उदाहरण पीएमसी अस्पताल व डाक्टर तारिक का मामला जनपद में चल रहा है । यहाँ यह भी उल्लेखनीय हो जाता है कि प्राइवेट अस्पतालों के इतनी आपदा के बावजूद इनको संजीवनी देने का काम करने वाली संस्था आईएमए मूकदर्शक बनी हुई है । बस्ती में आईएमए के कर्णधार डा0 अनिल श्रीवास्तव जिनका एसोशिएसन पर दशकों से कब्जा है वे भी शायद मौत और ब्लैकमेलिंग की घटनाओं से अंजान बने रहते हैं । सूत्रों ने तो यहाँ तक बताया है कि बस्ती में आईएमए केवल चंदा वसूली तक सीमित होकर रह गयी है । अस्पताल प्रशासकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जो संस्था हमारे सुख दुःख में काम नहीं आ रही ऐसी दिखावा की संस्था का क्या औचित्य है ।

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