आत्मस्वीकृति और घर से शव बरामदगी के बावजूद मिली जमानत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, यूपी सरकार-आरोपी से जवाब तलब
स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो प्रयागराज
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र और जस्टिस विपुल एम पंचोली की पीठ ने पीड़िता की मां की याचिका पर अधिवक्ता राजेश जी. इनामदार और शाशवत आनंद की दलीलें सुनने के बाद राज्य सरकार और आरोपी आशीष गौतम उर्फ अरविंद कुमार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका के अनुसार, 35 वर्षीय राजकेसर चौधरी की हत्या के मामले में आरोपी ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि उसने जूट की रस्सी से गला घोंटकर हत्या की और शव को अपने नव-निर्मित घर के सेप्टिक टैंक में छिपा दिया। आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने वहीं से सड़ी-गली लाश बरामद की, जिसकी पहचान परिजनों और स्वतंत्र गवाहों ने की। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटना और अन्य कारण बताया गया है, जो स्पष्ट रूप से हत्या की पुष्टि करता है।
याचिका के अनुसार, 2 सितंबर 2025 को हाईकोर्ट ने आरोपी को लंबी हिरासत, धीमी ट्रायल प्रक्रिया और जेलों में भीड़ का हवाला देते हुए जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने इसमें आर्थिक अपराधों से संबंधित फैसलों का हवाला भी दिया। इसकी आलोचना करते हुए याचिका में कहा गया कि यह हत्या जैसे जघन्य अपराधों के संदर्भ में बिल्कुल अनुपयुक्त था।
Read More Driving License: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ड्राइविंग लाइसेंस की समाप्ति के बाद 30 दिन तक होगा वैधपीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट ने जगजीत सिंह बनाम आशीष मिश्रा के निर्णय का उल्लंघन किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पीड़ित पक्ष को हर चरण पर सुना जाना अनिवार्य है। याचिका में हाईकोर्ट के आदेश को कानूनी रूप से विकृत और तथ्यों की अनदेखी करने वाला बताया गया है। पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य और आरोपी से पूछा कि ऐसे भयावह और प्रमाणिक साक्ष्यों वाले केस में जमानत देने की परिस्थितियां क्या थीं? मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

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