सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली को किया बरी, 18 साल बाद रिहाई का रास्ता साफ

सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली को किया बरी, 18 साल बाद रिहाई का रास्ता साफ

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो प्रयागराज।

निठारी हत्याकांड के दोषी ठहराए गए सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने कोली की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार कर लीजिसके बाद अब वह जेल से बाहर आ सकेंगेक्योंकि बाकी सभी मामलों में वह पहले ही बरी हो चुके हैं। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवईन्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने दियाजिसने कोली की याचिका पर खुले कोर्ट में सुनवाई की थी।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवईजस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के 2011 के फैसले के खिलाफ कोली द्वारा दायर सुधारात्मक याचिका को स्वीकार कर लियाजिसमें एक मामले में उसकी दोषसिद्धि की पुष्टि की गई थी। कोली ने बारह अन्य मामलों में बाद में बरी होने के आधार पर सुधारात्मक याचिका की मांग की थी।

जस्टिस नाथ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि कोली को आरोपों से बरी किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के 15.02.0211 के फैसलेजिसमें उसकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया थाऔर 28.10.2014 के आदेशजिसमें उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई थीउनको वापस ले लिया गया और खारिज कर दिया गया।

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष सुरेंद्र कोली के खिलाफ ठोस और विश्वसनीय सबूत पेश नहीं कर पाया। अदालत ने माना कि जांच के दौरान कई गंभीर प्रक्रियागत खामियां रहींजिसके चलते दोषसिद्धि बरकरार नहीं रखी जा सकती। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि किसी व्यक्ति को सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर उम्रकैद या फांसी नहीं दी जा सकतीजब तक कि आरोप बिना किसी संदेह के साबित न हों।

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कोली की आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सेशन कोर्ट के 13.02.2009 के निर्णय और 11.10.2009 का निर्णय रद्द कर दिया। कोली को निर्देश दिया गया कि यदि वह किसी अन्य मामले में वांछित न हो तो उसे तत्काल रिहा कर दिया जाए।

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सुरेंद्र कोली ने सुप्रीम कोर्ट में निठारी हत्याकांड के मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए सुधारात्मक याचिका दायर की थीजिसमें तर्क दिया गया कि उसे दोषी ठहराने के लिए जिन साक्ष्यों का इस्तेमाल किया गया थावे बाद में उन अन्य मामलों में भी अविश्वसनीय पाए गएजिनमें उसे बरी कर दिया गया।

सुधारात्मक याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने टिप्पणी की थी कि यदि दोषसिद्धि बरकरार रखी जाती है तो एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हो जाएगीक्योंकि उसे शेष मामलों में बरी कर दिया गयाजबकि उन सभी में साक्ष्य एक जैसे थे।

इस वर्ष जुलाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निठारी हत्याकांड के अन्य मामलों में उसे और सह-अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपीलों को खारिज करने के बाद उसके खिलाफ यह अंतिम दोषसिद्धि है।

सुरेंद्र कोली 2006 के नोएडा निठारी कांड में मुख्य आरोपी थे। उस वक्त निठारी गांव में बच्चों के गायब होने और फिर उनके शवों के मिलने से पूरे देश में सनसनी फैल गई थी। जांच एजेंसियों ने कोली और उनके नियोक्ता मोनिंदर सिंह पंधेर को गिरफ्तार किया था। कोली को कई मामलों में दोषी ठहराया गया और उन्हें फांसी की सजा भी सुनाई गई थीजिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया।

निठारी गांव में रहने वाले बच्चे वर्ष 2004 से लापता हो रहे थे। बच्चों के लापता होने की जानकारी उनके परिजन थाना सेक्टर-20 पुलिस से लेकर बड़े पुलिस अधिकारियों तक  से कर रहे थे। लेकिन पुलिस गुमशुदगी लिखने के बजाए उन्हें दुत्कार कर भगा देती थी। गायब होने वाले बच्चों में अधिकतर लड़कियां थीं। पायल नाम की एक युवती भी निठारी की पानी की टंकी के पास से लापता हो गई। उसके पिता सेक्टर-19 में रह रहे नंदलाल ने डी-5 सेक्टर-31 कोठी के मालिक व जेसीबी के बड़े डिस्ट्रीब्यूटर मोनिंदर सिंह पंधेर पर बेटी के अपहरण का शक जाहिर करते हुए पुलिस से शिकायत की।

पुलिस ने कार्रवाई के बजाय नंदलाल को ही बेटी से देह व्यापार करने का आरोप लगाते हुए भगा दिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने मामले की रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश देकर सीओ स्तर के अधिकारी को प्रगति आख्या के साथ कोर्ट में बुलाया। इसके बाद उसी साल 15 दिसंबर को अधिकारियों ने कोठी मालिक मोनिंदर सिंह व नौकर सुरेन्द्र कोली से पूछताछ की लेकिन रात में ही दबाव के चलते उन्हें छोड़ दिया।

 

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