पाकिस्तान खुद अपनी तबाही का वारंट जारी करने पर आमादा है 

पाकिस्तान खुद अपनी तबाही का वारंट जारी करने पर आमादा है 

पाकिस्तान एक ओर भारत में अस्थिरता फैलाने के आतंकी काम में जुट कर भारत से  युद्ध का मोर्चा खोलने का खतरा  ले बैठा है वहीं आंतरिक अशांति से पाक का खंडित होना तय है। आप जानते हैं कि 1947 से पहले बलूचिस्तान एक स्वतंत्र रियासत थी, जिसे 1948 में पाकिस्तान ने बलपूर्वक अपने अधीन कर लिया था। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा और खनिज संसाधनों से भरपूर इलाका है, लेकिन यहां के निवासियों का मानना है कि उन्हें इन संसाधनों का लाभ नहीं मिल रहा। इस कारण 'बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी' व 'बलूचिस्तान लिब्रेशन फ्रंट' आदि बलूच संगठनों ने पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ रखा है।
 
बलूचिस्तान के लोगों के अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए 1970 के दशक में 'बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी' की स्थापना प्रमुख बलोच नेता मीर 'हबत खान मारी' और उनके पुत्र 'नवाब खैर बख्श मारी' ने की थी। पाकिस्तान सरकार ने 2006 में इसे एक आतंकवादी गुट करार दे दिया था।
 
इसी वर्ष 11 मार्च को 'बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी' के बंदूकधारियों ने 'जाफर एक्सप्रैस' का 'अपहरण' करके 30 लोगों की हत्या तथा अनेक लोगों को घायल करने के अलावा 214 लोगों को बंधक बना लिया था। इसे दुनिया का सबसे बड़ा 'रेल अपहरण' करार दिया गया है। बलूच विद्रोहियों की हमेशा से मांग रही है कि पाकिस्तानी सेना ब्लूचिस्तान के हिस्से को खाली कर दे, बलूच विद्रोहियों के गिरफ्तार सभी नेताओं को बिना शर्त रिहा कर दिया जाए और बलूचिस्तान के क्षेत्र में चल रहे चीन से जुड़े सभी प्रोजैक्ट तुरंत बंद किए जाएं।
 
इसी कारण 'बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी' ने पाकिस्तान से अलग होने के लिए अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं और पाकिस्तानी सेना पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है जिसके चंद ताजा हालात पाकिस्तान के लिए परेशान करने वाले है। आपको बता दें कि 23 अप्रैल को 'बलूच लिब्रेशन आर्मी' ने 'जामूरान' तहसील के 'तिगरान' में हमला करके 4 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला। 25 अप्रैल को बलूचिस्तान की प्रांतीय राजधानी 'क्वेटा' के 'मरगट' इलाके में बलूच विद्रोहियों ने 10 पाकिस्तानी सैनिक मार डाले। 27 अप्रैल को बलूचिस्तान के ग्वादर तथा केच जिलों में पाकिस्तानी गुप्तचर एजैंसी आई. एस. आई. के एक अधिकृत सरकारी 'डैथ स्क्वायड' के एक सदस्य तथा एक पाकिस्तानी सैनिक की हत्या कर दी गई।
 
28 अप्रैल को 'बलूच लिब्रेशन आर्मी' ने 'बुलेदा' तहसील में सरकारी 'डैथ स्क्वायड' के एक सदस्य नासिर करीम को मार डाला।* 1 मई को पंजगुर में 'डैथ स्क्वायड' का एक सदस्य मार दिया गया। * 4 मई को 'केच' जिले में एक पाक सैनिक की हत्या की गई।* 8 मई को 'बलूच लिब्रेशन आर्मी' के सदस्यों ने 'बोलन' में पाकिस्तानी सेना के वाहन पर हमला करके 12 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला।
 
बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना की कई चौकियों पर हमला करके वहां से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ कर 70 प्रतिशत बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण गैस पाइप लाइन को भी उड़ा दिया है। इसी बीच बलूच लेखक 'मीर यार बलूच' ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर बलूचिस्तान की आजादी का ऐलान करते हुए भारत सरकार से दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोलने की अनुमति देने की मांग भी कर दी है।
 
उन्होंने यह भी कहा है कि "सेना, फ्रंटियर कोर, पुलिस, गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई. और नागरिक प्रशासन में सभी गैर बलूच कर्मियों को तुरंत बलूचिस्तान छोड़ देना चाहिए क्योंकि बलूचिस्तान का नियंत्रण जल्द ही बलूचिस्तान राज्य की नई सरकार को सौंपने के बाद एक निर्णायक अंतरिम सरकार की घोषणा कर दी जाएगी।"
 
कुल मिलाकर इस समय पाकिस्तान अपने ही बुने हुए जाल में बुरी तरह फंस गया है। एक ओर भारत द्वारा 22 अप्रैल, 2025 के 'पहलगाम हत्याकांड' का बदला लेने के लिए 'आप्रेशन सिंदूर' जोरों से चल रहा है तो दूसरी ओर बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तान से अलग होने के लिए कमर कस ली है।
 
यही कारण है कि पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे 'आप्रेशन सिंदूर' तथा 'बलूच लिब्रेशन आर्मी' द्वारा चलाए जा रहे 'मुक्ति आंदोलन' से घबराकर अपने घर के नीचे बंकर में जा छिपा है।
 
ऐसे हालात में आने वाले दिनों में यदि पाकिस्तान का एक और टुकड़ा होने की खबर आ जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि अब तो कोई चमत्कार ही पाकिस्तान को इस मुसीबत से निकाल सकता है। हालात पाकिस्तान के हाथ से निकल रहे हैं अब पाकिस्तान के सामने देश को बचाना फजीहत का काम है कहना नही होगा कि पाकिस्तान अपनी गलत नीतियों के कारण अपने बर्बादी के वारंट पर दस्तखत कर चुका है। 

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