डब्ल्यूपीएल ऑक्शन: जहाँ पैसा नहीं, सपने अनुबंध हुए

क्रिकेट की सबसे बड़ी क्रांति: जब असंभव संभव हुआ

डब्ल्यूपीएल ऑक्शन: जहाँ पैसा नहीं, सपने अनुबंध हुए

स्मृति के बाद दीप्ति: भारतीय महिला क्रिकेट का नया सूरज

हॉल अचानक एक अनकहेजलते हुए आगोश में बदल गया। हर कोनाहर चेहराहर निगाह जैसे उस क्षण के लिए सजग हो गया था। जब दिल्ली के उस हॉल में हथौड़ा तीसरी बार गिरा ह्यूग एडम्स की आवाज़ गूंज उठी— “सोल्ड! थ्री क्रोर ट्वेंटी लख्स टू यूपी वॉरियर्स!”तो ऐसा लगा जैसे पूरे हिंदुस्तान की साँस एक ही क्षण में थम गई हो। 3.20 करोड़। सिर्फ़ एक आंकड़ा नहींयह एक सपनाएक संघर्षऔर एक गाँव की बेटी की असंभवता की जीत थी। वही लड़कीजिसकी बचपन की रातें उजाले से वंचितसंघर्ष और साधारण सपनों के बीच बीतींआज तीन करोड़ बीस लाख रुपए की अनुबंध राशि लेकर मैदान पर खड़ी थी। तालियाँ नहीं बजींदिलों की धड़कनें बजीं। यह कोई विमेन्स प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएलऑक्शन का क्षण नहीं थायह सपनों की जीत की चीख़ थीयह एक नए युग की शुरुआत थीयह भारत की महिला क्रिकेट में क्रांति का गर्जन था।

दीप्ति शर्मा ने सिर्फ़ रिकॉर्ड नहीं बनायाउसने एक पुरानीगहरी और जड़ जम चुकी मानसिकता को हमेशा के लिए दफ़न कर दिया। वही मानसिकता जो सालों से चुपचाप कानों में फुसफुसाती रही थी – “लड़कियाँ खेलेंगी तो क्या होगाशादी-ब्याह में क्या काम आएगा?” – उसकी हर फुसफुसाहट को दीप्ति ने 3.20 करोड़ के शक्तिशालीगरजते हथौड़े की गूँज से हमेशा के लिए दबा दिया। स्मृति मंधाना का 3.40 करोड़ का रिकॉर्ड तीन सालों तक अडिग और अटल था। दीप्ति ने उसे केवल इतना करीब पहुँचाया कि अब हर लड़की के मन में एक नयाबुलंद और निर्भीक विश्वास जाग उठा – “मेरा भी नंबर आ सकता हैऔर मैं भी इतिहास रच सकती हूँ।”

लेकिन सच्चाई यही है कि यह चमक अभी केवल सतही परत तक ही सीमित है। टॉप की दस खिलाड़ी कुल मिलाकर पंद्रह-बीस करोड़ कमा चुकी हैंजबकि नब्बे में से शेष खिलाड़ी दसबीस या तीस लाख की सीमित राशि में ही सिमट गए हैं। पैसा आयायह सच हैलेकिन अभी यह केवल कुछ चमकते सितारों तक ही सीमित रहा। नीचे की पायदान पर खड़ी वह लड़कीजो आज दीप्ति की उपलब्धियों को देखकर अपने सपनों को पंख दे रही हैउसके लिए अवसर का दरवाज़ा अभी भी आधा खुला है। और सवाल वही पुरानावही चुनौतीपूर्ण है – क्या यह क्रिकेट का बूम पूरे खेल के कोने-कोने तक फैल पाएगाया केवल ऊपरी मलाई में ही फँसकर रह जाएगा?

फिर भीएक सत्य निर्विवाद है – दीप्ति ने वह काँच की छत तोड़ दी जो दशकों से भारतीय महिला क्रिकेट पर भारी पड़ी थी। अब जिम्मेदारी और दबाव दुगुना हो गया है। हर गेंद पर निगाहें टिकी हैंहर रन पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन दीप्ति दबाव को महसूस नहीं करतीं – वह उसे कुचल देती हैंउसे अपने अंदाज़ में झुका देती हैं। विश्व कप 2025 मेंजब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हालात पूरी तरह चुनौतीपूर्ण हो चुके थेतब प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रही दीप्ति ने अकेले पांच विकेट झटक दिए और अर्द्धशतक जड़कर मैच को मोड़ दिया। मैदान पर वह लड़की आग बनकर उतरती हैहर कदमहर शॉट में जोश की लपटें उभरती हैं। 3.20 करोड़ ने उस आग को सिर्फ और ईंधन दिया हैऔर अब वह आग हर बाधा को जलाकर रास्ता बना रही है।

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डब्ल्यूपीएल अब सिर्फ़ एक लीग नहीं रहीयह एक आंदोलन बन चुकी हैएक आवाज़ जो हर भारतीय लड़की के सपनों को बुलंद कर रही है। हर बार जब कोई भारतीय बेटी करोड़ों में छा जाती हैकहीं न कहीं कोई माँ अपनी बेटी से कहती है – “पढ़ाई भी करक्रिकेट भी खेल। शायद एक दिन तू भी इतिहास रच दे।” यही असली जीत है। पैसा आयाचमक आईदबाव भी आयालेकिन सबसे बड़ी और गहरी चीज़ जो आईवह है – उम्मीद। लाखों लड़कियों के भीतर अब एक नई आग जगी हैएक अटूट विश्वास कि अब उनके सपने सिर्फ़ सपने नहीं रहेंगेअब वे अपनी मेहनत और जुनून से उन्हें वास्तविकता में बदल सकती हैं।

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3.20 करोड़ सिर्फ़ एक आंकड़ा नहीं हैंयह एक उद्घोषएक घोषणा पत्र है। यह उन तमाम लोगों के मुँह पर करारा तमाचा हैजो वर्षों तक कहते रहे कि महिला क्रिकेट बस “टाइमपास” है। आज वही “टाइमपास” तीन करोड़ बीस लाख की ताकत बन चुका है। दीप्ति शर्मा केवल यूपी वॉरियर्स की खिलाड़ी नहीं हैंवह हर उस लड़की की आवाज़वह हर उस सपना की प्रतिध्वनि हैं जिसे कभी नहीं सुना गया। जब तक वह मैदान पर हैंयह तूफ़ान रुकने वाला नहीं। और जब अगली बार कोई गाँव की लड़की धूप मेंपसीने में सराबोरगेंदबाज़ी करने निकलेगीतो उसके मन में सिर्फ़ एक ही चीख़ गूँज उठेगी – 3.20 करोड़। मेरी बारी भी आएगी!” यही है क्रिकेट की सबसे खूबसूरतसबसे प्रेरक जीत। बाकी सब तो इतिहास अपने आप लिख लेगा।

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