जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए वकील
स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो प्रयागराज।जेपी सिंह।
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सरकारी आवास से बेहिसाब नकदी मिलने के बाद जांच का सामना कर रहे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को लेकर विवाद बढ़ गया है. यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेने के साथ ही साथ उनकाे इलाहाबाद हाईकोर्ट (मूल न्यायालय) फिर से वापस भेजने का आदेश दिया गया है.इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के इस फैसले के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है. इसके तहत मंगलवार से हाईकोर्ट के वकील अनिश्चिकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
बार एसोसिएशन ने सोमवार को बुलाई गई आपातकालीन आम सभा में यह 11 बिंदुओं पर प्रस्ताव पास किया था. इसमें जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग चलाए जाने, सीबीआई व ईडी जैसी जांच एजेंसियाें से एफआईआर दर्ज कर जांच कराने जैसी मांगें शामिल हैं।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सोमवार को जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट वापस भेजने के अपने निर्णय की पोस्ट की. शाम को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए प्रस्ताव में जस्टिस वर्मा को वापस भेजने को लेकर के केंद्र सरकार से की गई सिफारिश सार्वजनिक कर दी गई.प्रस्ताव में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 20 मार्च 2024 को आयोजित बैठक में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है।
इसमें सबसे जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग चलाए जाने, उनके खिलाफ लगे आरोपों की ईडी–सीबीआई द्वारा एफआई आर दर्ज कर जांच कराने की मांग शामिल थी. शाम को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट कोजेजियम ने फिर से दिल्ली उच्च न्यायालय के जज यशवंत वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश की बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने अपने आवास पर ही मीटिंग बुला ली.इस मीटिंग के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे जाने के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आह्वान पर अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत हैं।
हाईकोर्ट बार के पदाधिकारियों का कहना है कि जस्टिस वर्मा को वह यहां कतई कार्यभार नहीं ग्रहण करने देंगे. अध्यक्ष अनिल तिवारी का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर आर–पार की लड़ाई का ऐलान करेंगे. पूर्ण रूप से हड़ताल पर रहने के अलावा सड़कों पर भी आंदोलन करेंगे।
हाईकोर्ट बार ने आम सभा में पास किए 11 प्रस्ताव
बार एसोसिएशन जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट या इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच या किसी अन्य हाईकोर्ट में ट्रांसफर का विरोध करता है।
मुख्य न्यायाधीश को सीबीआई, ईडी व अन्य जांच एजेंसियों द्वारा एफआईआर दर्ज करने और केस की निष्पक्ष जांच की तुरंत अनुमति देनी चाहिए।
जांच एजेंसियों को न्यायाधीश यशवंत वर्मा को यदि आवश्यक हो तो मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति से उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश को तुरंत सरकार से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश करनी चाहिए।
भारत के राष्ट्रपति और सरकार को महाभियोग की कार्यवाही में नागरिक समाज के सदस्यों को शामिल करके प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए तुरंत उपयुक्त कदम उठाने चाहिए।
कॉलेजियम के माध्यम से न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान दिए गए सभी निर्णयों की समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि न्यायिक प्रणाली में "सार्वजनिक विश्वास" को पुनः प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों का विश्वास जगाया जा सके।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरा जाए, क्योंकि हम न्यायाधीशों की कमी से जूझ रहे हैं और इस कारण से न्याय में देरी हो रही है तथा जनता का विश्वास प्रभावित हो रहा है. बार एसोसिएशन ने कहा कि "अंकल जज सिंड्रोम" के खिलाफ एक प्रस्ताव होना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम से अनुरोध है कि वह इस संबंध में तत्काल सुधार करे।
महासभा में यह भी संकल्प लिया गया कि इस प्रस्ताव की एक प्रति सरकार के साथ-साथ देश के सभी बार एसोसिएशनों को भेजी जाए, ताकि पूरे देश को "भारत के लोगों" की दुर्दशा के बारे में पता चले. बार एसोसिएशन ने सभी विधिक समुदाय से अनुरोध किया है कि न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता के लिए आवाज उठाएं, ताकि संविधान के मूल ढांचे अर्थात न्यायपालिका की शक्ति मानव जीवन के सभी पहलुओं पर लागू हो तथा न्यायिक प्रणाली में भ्रष्टाचार समाप्त हो।
बार एसोसिएशन को हमारे उद्देश्य के समर्थन में बड़ी संख्या में ईमेल और व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुए हैं. यहां यह उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि ये ईमेल और संदेश केवल वकीलों से ही नहीं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों से हैं, जिससे एसोसिएशन में यह विश्वास और भी बढ़ गया है कि हम सही उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं. इस प्रस्ताव को उन सभी तक पहुंचाया जाना चाहिए, ताकि वे हमारे आंदोलन में शामिल हो सकें।
वाराणसी के वकील भी विरोध में उतरे
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर अकूत संपत्ति मिलने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. आग बुझाने के बाद फायर फाइटिंग टीम को भारी मात्रा में जले हुए नकदी रुपए मिले थे. इसके बाद उनका ट्रांसफर यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया. जिसको लेकर अधिवक्ताओं में काफी रोष देखने को मिल रहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं के विरोध के बाद मंगलवार को वाराणसी के अधिवक्ताओं ने झाड़ू लगाकर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के विरोध सफाई अभियान चलाकर प्रदर्शन किया. वाराणसी के अधिवक्ताओं का कहना है कि न्यायपालिका में गरीब एवं पीड़ित लोग इंसाफ पाने के लिए गुहार लगाते हैं. जबकि, यहां पर्याप्त भ्रष्टाचार व्याप्त है. जस्टिस वर्मा के खिलाफ झाड़ू लगाकर विरोध प्रदर्शन किया गया है।
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