कमीशनखोरी की पोल खुलने के ड़र से सीएचसी लालगंज के डॉक्टरों ने सोशलमीडिया के पत्रकारों को पीटा

पुलिस के पहुंचने पर बची पत्रकारों की जान

कमीशनखोरी की पोल खुलने के ड़र से सीएचसी लालगंज के डॉक्टरों ने सोशलमीडिया के पत्रकारों को पीटा

सरकारी वेतन से नहीं भर रहा लालगंज सीएचसी में तैनात डॉक्टरों का पेट
 
रायबरेली।
ब्यूरो रिपोर्ट राजेश कुमार
 
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।जहां सब कुछ लोकतांत्रिक तरीके से होता है।लेकिन इस लोकतंत्र को खड़ा करने के लिए जिन चार स्तंभों का इस्तेमाल होता है,उनमें से एक स्तंभ आज लहूलुहान है।उसकी दरारों से खून रिस रहा है।क्योंकि उस स्तंभ को खड़ा करने वाले पत्रकारों की भारत में आए दिन हत्याएं हो रही हैं,उन पर लगातार हमले बढ़ रहे हैं।भ्रष्टाचार उजागर करना पत्रकारों को भारी पड़ रहा है।
 
एक ऐसा ही मामला जनपद रायबरेली के लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया है जहां डॉक्टरों द्वारा मरीजों की जेब में डाले जा रहे डाके का पर्दाफाश करना दो सोशल मीडिया पत्रकारों को भारी पड़ गया।मरीजों को कमीशन के चलते बाहरी दवाएं लिख रहे डॉक्टरों ने अपनी काली करतूत कैमरे में कैद होता देख पोल खुलने के ड़र से मामले से संबंधित साक्ष्य मिटाने के लिए डॉक्टर जैसे पेशे को कलंकित कर एक गुंड़े जैसी हरकत की और महकमे को बदनाम करने के साथ-साथ योगी सरकार की छवि को भी धूमिल किया है।जानकारी के मुताबिक लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शुक्रवार को इलाज कराने पहुंचे दो सोशल मीडिया के पत्रकारों की डॉक्टरों व उनके सहयोगी गुर्गों ने जमकर पिटाई कर दी।
 
डॉक्टरों और उनके गुर्गों की गुंडई देखकर अस्पताल परिसर में मौजूद मरीज सहम गए और थोड़ी देर के लिए अफरा तफरी का माहौल हो गया।सूचना पर पहुंची पुलिस के बाद किसी तरह युवकों की जान बची।पत्रकारों से मारपीट और धक्का मुक्की का यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है।हालांकि टुड़े क्रांति समाचार पत्र वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।वहीं पीड़ित युवकों ने आरोपी डॉक्टरों और उनके सहयोगी युवकों के विरुद्ध कोतवाली में शिकायती पत्र देते हुए कार्यवाही की मांग की है।गुरबक्शगंज थाना क्षेत्र के पिपरी मजरे गोझरी निवासी विजय प्रताप सिंह अपने साथी राम प्रकाश के साथ अस्पताल में इलाज कराने गए थे।
 
उनका कहना है कि बाहर की दवाएं लिखे जाने पर उन्होंने आपत्ति की।इस पर डॉक्टर गौरव पांडेय व उनके सहयोगी युवक मारपीट करने लगे।धक्का मारते हुए उन्हें बाहर तक खदेड़ दिया।इसी बीच डॉ सत्यजीत भी अपने अवांछित गुंडों के साथ पहुंचकर गाली गलौज करते हुए मारपीट की और गला दबाकर मार डालने की कोशिश की।बताया जाता है कि लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर गौरव पांडेय और डॉक्टर सत्यजीत ने दोनों पत्रकार युवकों को कमरे में बंद करके लात घूसों  से मारा पीटा और वीडियो डिलीट करने के लिए मोबाइल छीन लिया।पुलिस के पहुंचने पर किसी तरह युवकों की जान बची और मोबाइल वापस हुआ।
 
मारपीट देखकर वहां मौजूद बड़ी संख्या में मरीज सहम गए और काफी देर अस्पताल परिसर में अफरा तफरी का माहौल रहा।अस्पताल में तैनात उत्तर प्रदेश सैनिक कल्याण निगम के गार्डों ने बीच बचाव कर दोनों पक्षों को शांत कराया।अब समझने वाली बात ये है कि क्या पत्रकार स्वच्छ व साफ सुथरी पत्रकारिता नहीं कर सकता ? सरकारी वेतन मिलने के बाद भी क्या कमीशन के लिए मरीजों को बाहरी महंगी दवाएं लिखना उचित है ? यह कहना कदापि गलत नहीं होगा कि सरकारी अस्पताल लालगंज में डॉक्टर कम गुंड़ों की ज्यादा तैनाती है,जो सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी जमकर मरीजों का शोषण कर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं और सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का पोस्टमार्टम कर रहे हैं।
 

कमीशन के चक्कर में बाहरी महंगी दवा लिख रहे डॉक्टर

 
लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कमीशनखोरी के खेल पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।कमीशन के चक्कर में अस्पताल में तैनात चिकित्सक मनमाने तरीके से महंगी दवाइयां लिख रहे हैं,जिससे दूरदराज इलाकों से आने वाले बेबस और गरीब मरीज बाहर से इन दवाइयों को खरीदने के लिए मजबूर हैं। आपातकालीन कक्ष इस खेल का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है।यहां दुर्घटना और गंभीर बीमारी से पीड़ित पहुंचने वाले मरीजों को तत्काल दवा उपलब्ध कराने के बजाय परिजनों को दवा और अन्य सामग्री लाने के लिए बाहर भेज दिया जाता है।
 

मरीजों व तीमारदार से बदसलूकी,अभद्रता व मारपीट के लिए कुख्यात हैं डॉ. गौरव व डॉ. सत्यजीत

 
उल्लेखनीय है कि लालगंज सरकारी अस्पताल में बाहरी लोगों और अराजक तत्वों का बोल बाला है।सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने कुछ युवकों को अस्पताल में पाल रखा है जो उगाही का भी काम करते हैं और मरीजों की जांच भी करते हैं।डॉ गौरव पांडेय और डॉक्टर सत्यजीत का यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि इसके पहले भी कई बार अस्पताल आने वाले मरीजों के साथ बदसलूकी,अभद्रता व मारपीट की है लेकिन सरकारी डॉक्टर होने के करण कोई कार्यवाही नहीं हुई है,जिसके कारण दोनों डॉक्टर मनबढ़ हो गए हैं।
 

सीएचसी में डॉक्टरों के साथ बाहरी गुर्गों का जमावड़ा

 
एक ओर जहां सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयासरत है,वहीं लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।सीएचसी में कार्यरत एक एक डॉक्टर के साथ आधा-आधा दर्जन बाहरी गुर्गों का जमावड़ा देखा जा सकता है।ये बाहरी लोग डॉक्टर के एजेंट के रूप में काम करते हुए फर्जीवाड़े को बढ़ावा दे रहे हैं।कोई ऐतराज करता है तो यही एजेंट मरीजों से मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं।सूत्रों के अनुसार इन गुर्गों का मुख्य काम डॉक्टर के इशारे पर मरीजों को निजी जांच केंद्रों और मेडिकल स्टोरों की ओर मोड़ना है।मरीजों को सरकारी दवाओं की बजाय महंगी बाहरी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।अनावश्यक जांचों का दबाव डालकर निजी लैब से कमीशन की मोटी कमाई की जा रही है। यह पूरा खेल डॉक्टर और इन एजेंटों की मिलीभगत से चल रहा है। 
 

स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी खड़े कर रही कई सवाल

 
मरीजों का कहना है कि वे सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने आते हैं,लेकिन उन्हें फर्जी जांचों और महंगी सेटिंग की दवाओं के चक्कर में फंसाया जा रहा है।कहने को तो अस्पताल में एक रुपए का पर्चा बनाया जा रहा है,लेकिन मरीज का एक बार में डेढ़ से दो हजार रुपये से कम खर्चा नहीं लगता है।अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं है,इसके बावजूद फार्मासिस्ट और एजेंट मिलकर सरकारी डिस्पेंसरी में उपलब्ध सर्जिकल सामान से प्लास्टर चढ़ाकर न केवल मरीजों को लूट रहे हैं बल्कि उनकी जिंदगी से खिलवाड़ भी कर रहे हैं।
 
कमीशन की कमाई के बंटवारे को लेकर भी कई बार इन गुर्गों को आपस में झगड़ने की खबरें भी हैं।इस मामले में स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है। ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों से इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।यदि समय रहते इस गोरखधंधे पर रोक नहीं लगाई गई तो सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर से जनता का भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा। 

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