पटेल नगर विधान सभा में निर्णायक मतदाता पूर्वांचलियों की अनदेखा करते राजनीतिक दल पर पूर्वांचली पड़ सकते है भारी
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दिल्ली- दिल्ली में चल रहे इस चुनावी माहौल ने जहां इस कड़कड़ाती ठंड में भी गर्मी का एहसास दिला रही है और हर राजनीतिक दल हर वर्ग के वोटरों को लुभाने में लगे है वही बात करें तो पूर्वांचली मतदाता इस विधानसभा के चुनाव में केंद्र बने हुए है। भाजपा, आम आदमी पार्टी व कांग्रेस तीनों बड़े दल पूर्वांचली मतदाता को नए नए लुभावने वादों से बांधने में लगे है। दिल्ली में पहली बार इस विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय राजनीतिक दल पूर्वांचली मतदाता को लुभाने के लिए प्रदेश स्तर से भोजपुरी गीतों के माध्यम से चुनावी गीत लांच करते देखे जा रहे है।
विधानसभा पटेल नगर में भी पूर्वांचली मतदाता लगभग 40 प्रतिशत है जो कि किसी भी दल की जीत ये स्वयं सुनिश्चित कर सकते है या ये पूर्वांचली स्वयं अपने पूर्वांचल के किसी भी व्यक्ति को अपना अगुआ बनाकर चुनाव लड़ा सकते है और उसको चुनाव जीतबा भी सकते है क्योंकि इनकी इतनी बड़ी संख्या है लेकिन उसके बावजूद भी पटेल नगर विधान सभा से किसी भी बड़े राजनीतिक दल (भाजपा, आप व कांग्रेस) ने अपना उम्मीदवार पूर्वांचल से नहीं दिया उसका एक बड़ा कारण इन पूर्वांचलियों में आपसी मतभेद माना जा रहा है।
पूर्वांचलियों का आपस में मतभेद रखना ही उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा हुआ है जबकि विधानसभा पटेल नगर में पूर्वांचल के अच्छे कद के नेता मौजूद है फिर भी ये पैसे वालों के आगे पीछे चुनाव के मद्दे नजर दौड़ते देखे जा रहे है विधानसभा पटेल नगर से बसपा ने अपना दांव इस बार एक पूर्वांचली पर लगाया है जिनका नाम राम अवतार भारती है जो बसपा की तरफ से उम्मीदवारी कर रहे है।
अब देखना होगा कि क्या पूर्वांचल अपनी एक जुटता का परिचय देते हुए राजनीतिक दलों के बंधन से अपने आपको मुक्त करते हुए अपने पूर्वांचली भाई की मदद करता है या राजनीतिक दलों के बंधन में बंध कर अपनी मिट्टी की खुशबू को भूलता है। पूर्वांचलियों को जिस दिन स्वयं पर भरोसा हो जाएगा कि जीत हार के बीच में उनकी बहुत बड़ी भूमिका है उस दिन वे सभी राजनीतिक दलों पर पटेल नगर ही नहीं बल्कि पूरी दिल्ली पर भारी पड़ेंगे।
बीजेपी ने जिसे अपना उम्मीदवार बनाया है वे पिछली बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी के तरफ से विधायक चुने गए थे और उनके ऊपर ईडी सीबीआई की गत वर्ष रेड भी पड़ चुकी है जिसके बाद वे बीजेपी की सदस्यता लेकर इस बार बीजेपी की तरफ से उम्मीदवारी कर रहे है जबकि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पिछले चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव हारने के बाद इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की तरफ से उम्मीदवारी कर रहे है।
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