कानून के खिलाफ दलीलें देना बर्दाश्त नहीं करेंगे: सुप्रीम कोर्ट।
इससे पहले कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की जमकर खिंचाई की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि कड़ी जमानत शर्तें महिलाओं पर भी लागू होती हैं।
स्वतंत्र प्रभात।
इससे पहले कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की जमकर खिंचाई की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि कड़ी जमानत शर्तें महिलाओं पर भी लागू होती हैं। तब कोर्ट ने बताया था कि धारा 45 के प्रावधान में जमानत के लिए महिलाओं को दो शर्तों से साफ तौर पर छूट दी गई है। आज मामले में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडी की ओर से पहले की गई दलील के लिए शुरुआत में माफी मांगी। तुषार मेहता ने कहा कि पिछली दलील मिस कम्युनिकेशन की वजह से हुई थी।
जस्टिस ओका ने कहा, ‘मिस कम्युनिकेशन का कोई सवाल नहीं है। हम यूनियन ऑफ इंडिया की इस तरह की दलीलों की कभी सराहना नहीं करेंगे।’ इस बात को दोहराते हुए कि वह माफी मांग रहे हैं, एसजी ने जवाब दाखिल करने के लिए मोहलत मांगी। यह कहते हुए कि आरोपी महिला आपराधिक गतिविधियों की सरगना थी और केवल महिला होने के आधार पर उसे जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
जस्टिस ओका ने कहा कि अगर केंद्र की ओर से पेश होने वाले लोग कानून के बुनियादी प्रावधानों को नहीं जानते हैं, तो उन्हें इस मामले में क्यों पेश होना चाहिए और 11वें घंटे में जवाब दाखिल करना यह दिखाता है कि यह अंतिम है कि पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में जमानत देने से इनकार किया जाना चाहिए।
Read More Central Govt Employees: ECHS में इलाज के दामों में बड़ा बदलाव, 15 दिसंबर से लागू होंगी नई दरेंसरकारी स्कूल की टीचर शशि बाला पर शाइन सिटी ग्रुप ऑफ कंपनीज को अपराध की आय को लूटने में मदद करने का आरोप है। ईडी के आरोपों के अनुसार, उसने कंपनी के डायरेक्ट रशीद नसीम के विश्वासपात्र के तौर पर काम किया और धोखाधड़ी वाली योजनाओं के जरिये निवेशकों को ठग कर अवैध लेनदेन में मदद की। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहले आरोपों की गंभीरता और अपराध की आय को छिपाने और उसका इस्तेमाल करने में उसकी कथित संलिप्तता को देखते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसलिए उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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