संजीव-नी।
On
वक्त कभी रुकता नहीं संजीव।
बेवफाई मैं किसी से करता नहीं
सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं।
जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है
वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं।
जाम पीकर देखिये सियासत का कभी
ता जिंदगी ये नशा कभी उतरता नहीं।
पैरों पर झुकती है उसी के दुनिया
जो जोखिम उठाने से डरता नहीं।
बहाना पड़ता पसीना बेहद हर पल
बुरा वक्त यूं तो कभी संवरता नहीं ।
अजब-गजब मंजर देखे मैंने यहां
वक्त है कि ये कभी रुकता नहीं।
शीश मेरा ईश्वर के अलावा संजीव
किसी के सामने कभी झुकता नहीं।
संजीव ठाकुर
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