Indian Railways: ट्रेन के डिब्बों के क्यों होते हैं अलग-अलग रंग? ये है बड़ी वजह
क्यों होते हैं ट्रेन के डिब्बों के अलग-अलग रंग?
ट्रेन के डिब्बों का रंग उनकी गति, डिजाइन और उपयोग के आधार पर तय किया जाता है। नीले रंग के कोच पारंपरिक ICF कोच होते हैं। ये मध्यम गति वाली ट्रेनों में उपयोग किए जाते हैं और भारतीय रेल में कई दशकों से चल रहे हैं।
लाल रंग के डिब्बे आधुनिक LHB कोच होते हैं, जो जर्मन तकनीक से तैयार किए गए हैं। ये तेज गति के लिए बने होते हैं और अधिक सुरक्षित भी माने जाते हैं। हरे रंग के कोच आमतौर पर गरीब रथ ट्रेनों में इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें एसी सुविधा कम किराए पर मिलती है।
Read More Gold Silver Price: दिसंबर के पहले दिन सोना-चांदी के दामों में गिरावट, जानें आज के ताजा रेट्स भूरे रंग के कोच पुराने मीटर गेज नेटवर्क में उपयोग किए जाते थे, जो अब अधिकांश स्थानों पर ब्रॉड गेज में बदल दिए गए हैं।
कोच पर बनी रंगीन पट्टियों का मतलब क्या होता है?
अगर आपने ध्यान दिया हो तो कई कोचों पर पीली, सफेद, लाल या हरी पट्टियाँ भी बनी होती हैं। इन पट्टियों का अपना विशेष अर्थ है। पीली पट्टी यह दर्शाती है कि डिब्बा दिव्यांग यात्रियों या चिकित्सा सहायता की जरूरत वाले यात्रियों के लिए आरक्षित है।
सफेद पट्टी नीले रंग के ICF कोचों पर पाई जाती है और जनरल क्लास को दर्शाती है। लाल पट्टी प्रथम श्रेणी (First Class) कोच होने का संकेत देती है। हरी पट्टी महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों पर लगाई जाती है।

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