hindi sahitya
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Read More... एक कवि, एक मधुशाला, और पूरी सदी पर छाया हुआ नशा
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By Swatantra Prabhat UP
हरिवंश राय बच्चन: हिंदी को सिर्फ भाषा नहीं, एक नशा बना दिया अभी भी मिट्टी की खुशबू बची है।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नीl अभी भी मिट्टी की खुशबू बची है।लोहे और सीमेंट के अनंत फैलते जंगल मेंएक छोटा सा कोना अब भी साँस लेता जहाँ पौधों की कुछ टहनियाँधूल में हरियाली का सपना बुनती।पत्ते जो धूप नहीं देखते,... ख्वाबों की दुनिया सजाई थी मैंने।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। ख्वाबों की दुनिया सजाई थी मैंने। दिल में ख़्वाबों की दुनिया सजाई थी मैंने, तेरे आने की चाहत जगाई थी मैंने। तेरे आने से महफ़िल गुलज़ार हो उठी, राह पलकों पे अपनी बिछाई थी मैंने। तेरी पायल की छन... हिंदी पर न्योछावर हर दिल और जान है।
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी। हिंदी पर न्योछावर हर दिल और जान है। हिंदी है हमारी प्यारी भाषा, हिंदी है एक शक्तिशाली और विशाल ज्ञान की भाषा, आओ बनाएं इसे राष्ट्रभाषा। हिंदी भाषा हमारा मान और अभिमान है, हिंदी राष्ट्र का वैभवशाली गौरव गान... कविता-हवा में खुशबू बन जाऊंगा मैं
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By Swatantra Prabhat Desk
संजीव-नी।। हवा में खुशबू बन जाऊंगा मैं ll तेरी पलकों में समाँ जाऊंगा मैं। तेरे स्वप्न में आज आ जाऊंगा मैं। महकती बयार बन जाएगी तू, तेरी सांसों में समा जाऊंगा मैं।। . महलों की अजीम शान है तू। तेरे... कविता-कुछ भवरों ने कलियों को छेड़ा
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By Office Desk Lucknow
संजीव-नी। बसंत गीत। कुछ भवरों ने कलियों को छेड़ा। छूटे कुछ पल, बीते कुछ पल, कुछ पलों ने दिल को छुआ, कुछ पलों ने मन को दी पीड़ा, कुछ पल थे सादे सादे, कुछ पलों में थी रोशनाई, कुछ पलों... कड़वे और मीठे बोलों का खेल
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By Swatantra Prabhat Desk
शब्दों की महिमा को अपरंपार और अक्षर को नश्वर बताया गया है ।वैसे तो लेखनी की तीव्रता तलवार से ज्यादा नुकीली और भाले से ज्यादा चुभने वाली होती है। तलवार की धार से मनुष्य एक बार बच भी सकता है... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
वक्त कभी रुकता नहीं संजीव। बेवफाई मैं किसी से करता नहीं सच्चा प्यार भी कभी मरता नहीं। जो अपना सुरूरे मिजाज रखता है वो अपनी हद से कभी गुजरता नहीं। जाम पीकर देखिये सियासत का कभी ता जिंदगी ये नशा... संजीव-नी ।
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By Swatantra Prabhat UP
ईश्वर का हर पल करो वंदन अभिनंदन। जरा विचार कीजिए आपके पसंद करने न करने से मैं आदमी न रहकर छोटा जीव जंतु या चौपाया हो जाऊंगा , और आपकी पसंदगी से मैं आदमी से ईश्वर हो जाऊंगा या मेरी... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
क्या सचमुच अकेला है वह। अकेला है वह? उसने सोचा, वह अकेला नहीं है, उसके सोचने के पहले सोचने के बाद और सोचने के बीच, वह अकेला नहीं है, सब हैं उसके साथ । कई मित्र हैं उसके, हजारों, वाह... काव्य प्रेम
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By Swatantra Prabhat Desk
कब किताबों के पनों सेप्यार हो गयापता ही न चला। कब अल्फाज़ो कालफ्ज़ो से इकरार हो गयापता ही न चला। कब शब्दों कोमात्राओंं से नूरी इश्क़ हो गयापता ही न चला। कब प्रकृति का... संजीव-नी।
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By Swatantra Prabhat Desk
अन्न की बर्बादी,दुनिया पर भारी। ना करो अन्न की बर्बादी, भुखमरी पर है यह भारी, चारों तरफ छाई है गरीबी, भुखमरी और बेचारी, भोजन की अनावश्यक बर्बादी पूरी दुनिया पर पड़ रही है भारी। थाली में लो भोजन उतना खा... 