रबी की बुवाई के बीच खाद-बीज की ओवररेट बिक्री चरम पर

शिकायतों के बाद भी दुकानदार बेखौफ—प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल

रबी की बुवाई के बीच खाद-बीज की ओवररेट बिक्री चरम पर

गोंडा। जिले में किसानों की रबी की बुवाई चरम पर है, और इसी महत्वपूर्ण कृषि सीज़न में कस्बा आर्यनगर, मल्लापुर, गोपालबाग, दुल्हापुर, पहाड़ी और कौड़िया क्षेत्र सहित कई स्थानों पर डीएपी व अन्य खाद-बीज की ओवररेट बिक्री ने किसानों की कमर तोड़ रखी है। मजबूरी में किसान मनमाने दामों पर खाद-बीज खरीदने को विवश हैं, जबकि प्रशासनिक सख्ती केवल कागजनुमा निर्देशों में सिमटकर रह गई है। किसानों का कहना है कि रबी की बुवाई के चलते खाद-बीज खरीदना टाला नहीं जा सकता, और दुकानदार इसी जरूरत का फायदा उठाकर सरकारी दरों की खुली धज्जियाँ उड़ा रहे हैं।
 
शिकायतें जिला अधिकारी तक पहुँचीं, लिखित आवेदन दिए गए, लेकिन न परिणाम दिखा और न कोई अभियान चला। किसानों के बीच गुस्सा साफ दिखाई देता है— “शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। लगता है दुकानदारों के हौसले प्रशासन से भी ज्यादा बुलंद हैं।”
 
कानून-व्यवस्था और नियंत्रण तंत्र दोनों पर प्रश्नचिन्ह
एक ओर कौड़िया क्षेत्र में दस माह पूर्व मिले अधजले शव की पहचान तक न कर पाने की पुलिसिया विफलता ने कानून-व्यवस्था की कमजोरी उजागर की है, वहीं दूसरी ओर खाद-बीज की काला-बाजारी न रोक पाने से प्रशासनिक ढाँचों की नाकामी सामने आ गई है। दोनों मोर्चों पर प्रशासन की निष्क्रियता जनता को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि “जिले में कानून का असर जमीन पर नहीं, बल्कि सिर्फ फाइलों और बयानबाजी तक सीमित है।”
 
किसानों का विश्वास डगमगाया, कार्रवाई की मांग तेज मौसमी खिड़की सीमित है, बुवाई का समय निकलता जा रहा है, और किसान महंगी दरों पर खाद-बीज लेने को मजबूर हैं। प्रशासन की चुप्पी और कार्रवाई का अभाव संकेत देता है कि स्थानीय स्तर पर निगरानी तंत्र कमजोर है या फिर दुकानदारों पर लगाम कसने की मंशा नहीं है।

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