Haryana: हरियाणा में बिजली निगम को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, 7.50 लाख मुआवजा देने के आदेश

Haryana: हरियाणा में बिजली निगम को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, 7.50 लाख मुआवजा देने के आदेश

Haryana: हरियाणा से बड़ी खबर सामने आ रही है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड (UHBVNL) को 'प्रशासनिक उदासीनता' के लिए फटकार लगाई है। 

जानकारी के मुताबिक, साथ ही अनुकंपा नियुक्ति (कम्पैशनेट अपॉइंटमेंट) के एक मामले में हक देने से इनकार के कारण आजीविका के नुकसान और मानसिक उत्पीड़न के लिए याचिकाकर्ता को ब्याज सहित 7.50 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। Haryana News

मिली जानकारी के अनुसार, यह मामला याचिकाकर्ता के पिता से संबंधित था, जो 2 जून, 1999 को एक कार्य-संबंधी दुर्घटना में 100 प्रतिशत दिव्यांग हो गए थे और उन्होंने चिकित्सा आधार पर समय से पहले सेवानिवृत्ति (VRS) का विकल्प चुना था। Haryana News

कोर्ट ने कहा-

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जानकारी के मुताबिक, जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने यूएचबीवीएनएल को याचिकाकर्ता को 25 सितंबर 2017 को याचिका दायर करने की तिथि से वास्तविक वसूली तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 7,50,000 रुपए का भुगतान करने का निर्देश देते हुए कहा, "यह मामला प्रशासनिक उदासीनता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जिसके परिणामस्वरूप एक योग्य उम्मीदवार को आजीविका से वंचित होना पड़ा। याचिकाकर्ता विधिवत लागू सरकारी नीति के अनुसार अनुग्रह राशि के लिए पात्र था। Haryana News

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मिली जानकारी के अनुसार, उसके दावे के निर्णय के तरीके से न केवल याचिकाकर्ता की आजीविका का नुकसान हुआ है, बल्कि एक वैध अपेक्षा से वंचित होने के कारण उसे काफी मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी है। यह राशि दो महीने के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया गया। Haryana News

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खामियाजा

जानकारी के मुताबिक, पीठ ने कहा, 31 जुलाई, 2001 के पत्र के माध्यम से, याचिकाकर्ता को अनुग्रह राशि योजना के तहत नियुक्त करने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, उनका दावा केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि 9 जून, 2003 को अपनाई गई नई पॉलिसी के तहत, विकलांगता के कारण चिकित्सा कारणों से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के आश्रितों की नियुक्ति के लिए कोई प्रावधान मौजूद नहीं है। Haryana News

तर्क तक दिया

मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस बराड़ ने माना कि यह तर्क तर्कहीन था। प्रतिवादी द्वारा दिया गया आधार पूरी तरह से अस्वीकार्य है। दुर्घटना के समय और याचिकाकर्ता के पिता की सेवानिवृत्ति के समय 1992 और 1995 की दो योजनाएं लागू थीं। याचिकाकर्ता ने 2001 में सभी दस्तावेज विधिवत प्रस्तुत कर दिए थे, फिर भी उसकी कोई गलती न होने पर भी 2004 में निर्णय आया। Haryana News

जानकारी के मुताबिक, अनुकंपा नियुक्ति के अंतर्निहित उद्देश्य का उल्लेख करते हुए, जस्टिस ने कहा, यह स्थापित कानून है कि अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित मामलों का निर्णय तत्परता के साथ किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसे लाभ प्रदान करने के पीछे उद्देश्य अक्षम कर्मचारी के आश्रितों को ऐसी अक्षमता के कारण उत्पन्न अचानक वित्तीय संकट से उबरने में सहायता करना है। Haryana News

मुआवजा मिला

मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस बराड़ ने आगे कहा कि अगर निगम ने तुरंत कार्रवाई की होती तो याचिकाकर्ता "पहले ही प्रयास में अनुकंपा नियुक्ति का लाभ उठा सकता था। इसके बजाय, उसे और उसकी मां को दर-दर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ा। Haryana News

जानकारी के मुताबिक, लंबे समय से हो रहे उत्पीड़न और आजीविका के नुकसान को देखते हुए, अदालत ने कहा: "इस समय, याचिकाकर्ता लगभग 47 वर्ष का है, जो सरकारी सेवा के लिए पात्र होने की आयु से कहीं अधिक है और सेवानिवृत्ति की आयु के बहुत करीब है। विभाग द्वारा मानवीय गरिमा के प्रति की गई घोर उपेक्षा के लिए उसे मुआवजा मिलना चाहिए।

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