बेसिक शिक्षा विभाग में अजब गजब खेल एक साथ दो कार्य शिक्षा अर्जन और शिक्षण कार्य कैसे
किसी सक्षम अधिकारी के आदेशों से बाई डी कॉलेज में रेगुलर वी ए की क्लास लेता रहा शिक्षा मित्र और स्कूल में करता रहा अध्यापन कार्य
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शिक्षामित्र के पद पर तैनात रहते बी ए की डिग्री संस्थागत छात्र के रूप में हासिल करने का मामला
लखीमपुर खीरी- जनपद खीरी के बेसिक शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है बेसिक शिक्षा विभाग अरसे से भ्रष्टाचार का पर्याय बना हुआ है यहां आए दिन घपले घोटाले के नए-नए मामले अखबारी सुर्खियां बनते हैं मामला चाहे फर्जी अंक पत्रों पर नौकरी कर रहे शिक्षकों और शिक्षामित्र का हो और फिर चाहे फर्नीचर खरीद घोटाला हो या फिर कोरोना काल में एमडीएम एवं बच्चों को निशुल्क मिलने वाले ड्रेस जूता मोजा तथा स्कूल बैग वितरण का मामला रहा हो हमेशा विभाग अखबारी सुर्खियां बनता रहा है जिसके चलते जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल की लाख सख़्ती और सक्रियता के बावजूद शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटती नजर नहीं आ रही है बेसिक शिक्षा प्रणाली में कोई अमूल सुधार होते नजर नहीं आ रहा है।
क्या है पूरा मामला
मामला विकासखंड फूलबेहड़ के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय भीखनापुर से जुड़ा है जहां शिक्षामित्र के पद पर तैनात शिक्षामित्र सतीश कुमार द्वारा प्रधानाध्यापक और खंड शिक्षा अधिकारी के मिली भगत से नियम कानून को ताक पर रखकर एक साथ दोहरा लाभ लेते रहे और जिम्मेदारखंड शिक्षा अधिकारी फुलबेहड सहित प्रधानाध्यापक चैन की नीद सोते रहे उनको अपने शिक्षामित्र के इस कृतय की भनक तक नहीं लगी मामले पर गौर फरमाए तो शिक्षामित्र सतीश कुमार एक और जहां शिक्षामित्र के पद पर प्राथमिक विद्यालय भीखनापुर में बतौर शिक्षामित्र शिक्षण कार्य में संलग्न है।
वहीं दूसरी तरफ युवराज दत्त महाविद्यालय में बी ए की रेगुलर छात्र के तौर पर डिग्री हासिल कर करते रहे अब अहम सवाल यह है कि किस समय पर सतीश अपनी बी ए की क्लास अटेंड करते थे और किस समय स्कूल में शिक्षण कार्य करते थे इस यक्ष प्रश्न का उत्तर शिक्षामित्र सतीश कुमार से लेकर प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय भिखनापुर व खंड शिक्षा अधिकारी फुलबेहड के पास भी ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं एक साथ दो काम कैसे संभव है उक्त नियमित कक्षाओं के लिए किसी सक्षम अधिकारी से अनुमति ली गई थी।
नियमानुसार सेवा के दौरान व्यक्तिगत परीक्षा देने के लिए भी विभागीय अनुमति लिए जाने की आवश्यकता होती है इनके द्वारा तो बतौर नियमित छात्र रहकर बी ए की डिग्री हासिल की गई है अहम सवाल यह पैदा होता है एक तरफ शिक्षामित्र की सेवाएं देते रहे और दूसरी तरफ बाय डी सी से नियमित छात्र के रूप में शिक्षा भी ग्रहण करते रहे दोनों काम एक साथ कैसे संभव हो सकते हैं नियमानुसार महाविद्यालय में प्रत्येक विषय के प्रवक्ता द्वारा अपनी कक्षा प्रारंभ करने से पूर्व कक्षा में उपस्थित छात्राओं की उपस्थिति दर्ज करना होता है और उक्त उपस्थिति का विवरण विश्वविद्यालय को भेजने का प्रावधान है।
यदि किसी छात्र की महाविद्यालय में उपस्थित 75% से कम होती है तो ऐसे छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाती तो फिर उक्त सतीश कुमार दो काम एक साथ शिक्षा अर्जन और अध्यापन किस प्रकार देते रहे लोगों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार लंबे समय से यही पर तैनात प्रधानाध्यापिका जी अकसर र विलंब से ही विद्यालय आती हैं जिनके गैर मौजूदगी में यही शिक्षामित्र साहब ही विद्यालय के समस्त कार्य संचालित करते हैं ऐसा लोगों का आरोप है एमडीएम हो या फिर अन्य कार्य सूत्र बताते हैं की उक्त शिक्षा मित्र के चाचा श्री राम इसी विद्यालय की न्याय पंचायत में एनपीआरसी के पद पर पदासीन रहे हैं।
जो अब रिटायर हो चुके हैं और शिक्षामित्र आज भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है विद्यालय के प्रधानाध्यापक और खंड शिक्षा अधिकारी फुलबेहड द्वारा कूटरचना करके दोहरा लाभ लेने वाले उक्त फर्जी वाडा के मास्टरमाइंड शिक्षामित्र के विरुद्ध आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है सारे मामले को धनवल के दम पर दफनाने का खेल बदस्तूर खेला जा रहा है यदि मामले का बेसिक शिक्षा अधिकारी खीरी प्रवीण कुमार तिवारी द्वारा लिया जाए संज्ञान और मामले की कराई जाए निष्पक्ष जांच तो होगा दूध का दूध और पानी का पानी फिलहाल मामला जांच का विषय बना है।
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