वीडियो की सुस्ती के कारण ब्लाक कप्तानगंज मे दम तोड़ रही स्वच्छता अभियान, ग्राम पंचायतों में भी भ्रष्टाचार
-ग्राम पंचायतों मे विकास कार्यो मे लापरवाही कागजो में साफ-सफाई एवं विकास कार्य
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खबर चलने बाद भी परिसर मे पड़ा कूड़ा-कचरा को हटवाने का नही लिए सुधि आलसी विडीओ ब्लाक परिसर मे पड़ा कूड़ा कचरा ग्राम पंचायतो मे साफ सफाई एवं विकास कार्यों को कर रही बयां
बस्ती।
बस्ती जिलेकेकप्तानगंज खण्ड विकास अधिकारी कप्तानगंज के सुस्ती के कारण ब्लाक परिसर मे कूड़ा - कचरा डायपर की गंदगी से पटा हुआ है। सरकार द्वारा चलायी जा रही स्वच्छता जागरूकता अभियान पर पानी फिर रहा है, जिसका नतीजा यह है स्वच्छता अभियान के साथ ग्राम पंचायतों मे विकास कार्य दम तोड़ती नजर आ रही है।
सूत्रो के मुताबिक - ब्लाक कप्तानगंज के अधिकारी कर्मचारी सुविधा शुल्क के बोझ तले इस कदर दबे हुए हैं कि स्वच्छता जागरूकता अभियान एवं विकास कार्यो को अनदेखी कर रहे है। सुविधा शुल्क इकट्ठा करने मस्त अधिकारीयों की गंदगी की तरफ उनका ध्यान नहीं जा रहा है। ध्यान जाए भी तो कैसे जब इन साहब के ध्यान कहीं और है स्वच्छता की दुहाई देने वाले स्वच्छ भारत मिशन को सुचारू रूप से संचालित कराने / करने के बजाय आराम फरमाते नजर आ रहे भारत सरकार द्वारा लाखों रुपये खर्च कर स्वच्छ भारत मिशन का जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
परन्तु अधिकारी कर्मचारी सरकार का वेतन लेकर भी अधिकारी कर्मचारी असमर्थ दिख रहे है । और सरकार की छवि धूमिल करने में लगे हुए हैं। ब्लॉक परिसर में पड़े कूड़ा कचरा डायपर की (गंदगी) को किसी भी कार्य दिवस पुष्टि के लिए देखा जा सकता है। वही ग्राम पंचायतों मे स्वच्छता अभियान के साथ विकास कार्यो को उच्चअधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायतो का निरक्षण कर स्वच्छता अभियान एवं विकास कार्यो को परखा जा सकता है।ग्राम पंचायतों में बने पंचायत भवनो पर सचिवों की उपस्थिति को ग्रामीणों से सचिवो के नाम या फिर ग्रामीणों द्वारा उन्हे पहचानें की बात उच्चअधिकारियों द्वारा निरीक्षण कर ग्रामीणों से जाना जा सकता है।
जहां से चौंकाने वाले नतीजे मिलेंगे अधिकतर ग्राम पंचायतों में सचिवों के उपस्थित पंचायत भवनों पर केवल मुंह दिखाई के लिए ही उपस्थित होते हैं। बाकी दिन जनता के जनप्रतिनिधियों को सचिवों के कार्यालय का चक्कर लगाते हुए ब्लाक परिसर में लगे सीसी टीवी कैमरे में देखे जा सकते है। कि किस प्रकार जन प्रतिनिधियों को उनके कार्यलाय का चक्कर लगानापड़ रहा है। ग्राम पंचायत सचिवों को बाखूबी मालूम है कि जांच की उच्चअधिकारीयों के लिए किसी भी एक विकास खण्ड की परिपूर्ण रूप से जांच करना संभव नही है। जिसका फायदा उठाकर सचिवों द्वारा मनमानी तरीके से कार्य करने मे सफ़ल दिखाई दे रहे है। ऐसा नही कि इनकी कमियों को मिलने पर उच्च अधिकारियो द्वारा उनके ऊपर कार्यवाही नही की जाती है।
कार्यवाही होने के वावजूद भी बेलगाम भ्रष्ट किस्म के अधिकारी कर्मचारीयों एवं सचिवों के हरकत मे सुधार न होना विकास कार्यों के लिए संकट बना हुआ है। ग्रामिणो को अपना एक छोटा सा कार्य कराने के लिए इन महान सचिवों के कार्यालयों का चक्कर लगाते ऐडी के चप्पल तक घीस जा रहे है। हतास होकर ग्रामिणो द्वारा सुविधा शुल्क देने को मजबूर हो रहें हैं। जिसको लेकर उच्च अधिकारी के कार्यालयों में शिकायतो का भरमार भ्रष्ट सचिवों का सबुत दे रहा है। समय रहते यदि उच्च अधिकारियो के गतिविधियों में सुधार नही लाया गया तो निश्चित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का सपना केवल सपना ही रह जाएगा ।
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