चित्रा त्रिपाठी की इस फोटो पर आये भद्दे कमेंट,ऐसे लोगों की सोच पर है ये लेख
बड़े और अमीरो को हमने अपने से छोटी स्त्रियों से विवाह करते देखा है।उसको हम प्यार का नाम देते है।
आखिर स्त्री में हम सिर्फ सूंदरता ही क्यो खोजते है।उसकी योग्यता और उसके गुण क्यो नही खोजते।
स्वतंत्र प्रभात-
चित्रा त्रिपाठी ने इस फोटो के साथ पोस्ट किया था,नीचे लोगो के रियेक्ट थे,अरे आँटी,डार्क सर्कल्स हो गए है,बाल सफेद हो गए है, चेहरे पर झुर्रियां हो गई है।फिल्टर ज्यादा यूज किया है।आखिर स्त्री में हम सिर्फ सूंदरता ही क्यो खोजते है।
उसकी योग्यता और उसके गुण क्यो नही खोजते।
जबकि उस प्यार में सूंदरता समय के साथ गंवाने के कारण एक स्त्री का तिरस्कार हुआ है ये किसी को नही दिखता है।
हम सब ने समय के साथ गंजे होते,बुढे होते,मोटे होते पुरुषों से स्त्रियों को चिपके देखा है।मेरा पति मेरा देवता की लाइन भी स्त्रियां ही बोलती है।
सुहाग के लिये व्रत भी स्त्रियां ही रखती है।बीमार हो,अपाहिज हो जाये लेकिन मेरा सुहाग भाग बना रहे,
चाहे कुछ न करे चारपाई में ही रहे लेकिन ज़िंदा तो रहे।ऐसी बोलते सिर्फ स्त्रियों को देखा है।ताकि वो उसके लिये सज और संवर सके जिसके साथ वो जीवन जीने आई है।कितने पुरुषों को देखा है चारपाई में पड़ी स्त्री की सेवा करते।कुछ को छोड़के सबके लिये बोझ बन जाती है,
उसके जाते ही समाज शादी कर देता है।लेकिन स्त्री आपके लिये लगी रहती है।
शराबी है उसे मारता है फिर भी वो जिंदा रहे इसलिए पड़े पड़े उसके मुँह में खाना डालते देखा है।
तो आपसे भी बस एक स्त्री यही चाहती है जब वो समय के साथ बालो की सफेदी,डार्क सर्कल्स के साथ झुर्रियो वाली बनती है तो आप उस समय उसकी सूंदरता नही बल्कि उसके वर्षो के समर्पण को देखे।
अपने वर्षों के रिश्ते में उसे ये विश्वास दिलायें की सूंदरता सेकंडरी है तुम हो यही मेरे लिये जरूरी है।मैंने शुरुवात सूंदरता से की थी लेकिन अब प्यार बस तुमसे है।उसमे तुम्हारी कम होती सूंदरता से मुझे कुछ फर्क नही पड़ता।
ये दिल बस तुम्हे चाहता हैं..

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