राजेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह ।

राज्यपाल द्वारा 161 छात्र-छात्राओं को पदक तथा  1,42,482  को दी गयी उपाधि।

राजेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह ।

सेवा पखवाड़ा के अन्तर्गत विश्वविद्यालय भी करें योगदान। राज्यपाल।

स्वतंत्र प्रभात।
रिपोर्ट दया शंकर त्रिपाठी 
 ब्यूरो प्रयागराज।

  राज्यपाल  आनंदीबेन पटेल सोमवार को प्रो0 राजेन्द्र सिंह ‘‘रज्जू भैया’’ विश्वविद्यालय में आयोजित छठे दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में सम्मिलित हुई ।
राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह कार्यक्रम का शुभारम्भ जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से  किया तथा विश्वविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया।


 कुलाधिपति  द्वारा सरायइनायत के प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को स्कूल बैग एवं अन्य उपहार सामाग्री का वितरण किया तथा आगनबाड़ी केन्द्रों से आयीं हुई प्रतिनिधियों को खेल का सामान व आंगनबाड़ी किट प्रदान किया।

 दीक्षांत समारोह में कुल 161 छात्र-छात्राओं को पदक तथा कुल 1,42,482 छात्रों को उपाधि दी गयी। राष्ट्रीय स्तर पर खेलों में पदक प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय के 05 खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि का वितरण किया।

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     कार्यक्रम में उपस्थित लोगो को सम्बोधित करते राज्य पाल ने  कहा कि तीर्थनगरी प्रयागराज तथा संगम के पावन तट पर स्थित प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के छठे दीक्षान्त समारोह में आप सभी के मध्य उपस्थित होकर मुझे अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।

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राजेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह ।

रोजगार परक शिच्छा की करे तैयारी।


   उन्होंने कहा कि  इस दीक्षांत समारोह में पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं का प्रतिशत अधिक है। उन्होंने विश्वविद्यालय में विद्यार्थिंयों की संख्या बढ़ने पर खुशी जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अगले 10 वर्ष में रोजगार परक विषय क्या हो, कैसे पढ़ाया जाये, जो नवजवानों को रोजगार प्राप्त करने में सहायक हो, इसकी तैयारी हमें आज से ही करनी होगी। आज के भारत में विदेशों से कई कम्पनियां भारत में निवेश कर रही है तथा बड़े-बड़े उद्योग लगा रही है एवं उत्तर प्रदेश में कई डिफेंस काॅरिडोर बनने की तैयारी हो रही है, इसलिए हमारा दायित्व बनता है, हम ऐसे कोर्स शुरू करें, जिससे कि आने वाले समय में बच्चों को वहां पर रोजगार मिलने में कठिनाई न हो।

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 दूसरे की जिंदगी बचाने के लिए आए आगे।

 उन्होंने कहा कि हम सभी को दूसरे की जिंदगी को बचाने के लिए आगे आना होगा, इसलिए अंगदान जो सबसे पुनीत कार्य है, उसके लिए हमें लोगो को जागरूक करना होगा, । 

   राज्यपाल    ने कहा कि हमारे देश की नारी शक्ति को एक नई ऊर्जा देने वाला ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ गत दिवस राज्यसभा और लोकसभा से पूर्ण बहुमत से पास हो गया है। इससे देश की महिलाओं को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।  देखने में आया है कि सरवाइकल कैंसर महिलाओं में बहुत ज्यादा होने लगा है, यह उत्तर प्रदेश में ज्यादा संख्या में है। यह देखकर मुझे बहुत निराशा होती है।

शिछा की दिशा दच्छता परक हो।

 

  राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में वैश्वीकरण का दौर है।  सूचना प्रौद्योगिकी, नाभिकीय विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, विज्ञान की अन्य विधाओं, तकनीकी क्षेत्र, अभियांत्रिकी और चिकित्सा क्षेत्र आदि में उल्लेखनीय प्रगति की है। परन्तु अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें हमें दक्षता हासिल करना है। इस दृष्टि से उच्च शिक्षा की दिशा वास्तव में महत्वपूर्ण है। 

उन्होंने कहा कि यह जानकार बड़ी खुशी हुई कि विश्वविद्यालय ने शोध को बढ़ावा देने के लिए 10 करोड़ का बजट रखा है। हमें सबसे ज्यादा काम रिसर्च को बढ़ावा देने में करना होगा। यह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस अवसर पर अध्यक्ष, शासी निकाय, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार प्रो0 प्रदीप कुमार जोशी ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थिंयों सेकहा की मैं इस बात के लिए आमंत्रित करना चाहता हूं कि वह भी विश्वविद्यालय में उच्च शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा तथा छात्र जीवन की समरसता का ध्यान रखते हुए विभिन्न कार्यक्रमों में भी स्वस्थ प्रतिस्पर्धी माहौल बनाए रखने का प्रयास करें

इस अवसर पर  राज्यमंत्री, उच्च शिक्षा  रजनी तिवारी ने कुलपति ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर  विधायक शहर उत्तरी  हर्षवर्धन वाजपेयी, विधायक करछना पीयूष रंजन निषाद, मण्डलायुक्त विजय विश्वास पंत, जिलाधिकारी  नवनीत सिंह चहल, मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार सहित अन्य सम्बंधित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।


नैनी जेल में महिला बंदियों से राज्यपाल ने की मुलाकात। जेलप्रसासन को दी हिदायत।

  राज्यपाल  ने जिला कारागार नैनी पहुंचकर वहां पर महिला बंदियों से संवाद किया। और कहा कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई अवश्य करायें। बच्चा जब छः साल से ऊपर हो जाये, तो उसे अपने साथ न रखकर पढ़ाने का प्रयास करें। 

 उन्होंने महिला बंदियों से कहा कि जब आपकी सजा पूरी हो जाये, तो अपने बेटे-बेटियों को अच्छा संस्कार दें, जिससे समाज में वह अच्छे से अपना जीवन आगे बढ़ाये।  जब यहां से छूटे, तो आप अपने अंदर कोई बदले की भावना न रखें, यह संकल्प लेकर ही यहां से बाहर जायें।

ज्यादातर महिला बंदी दहेज उत्पीड़न से सम्बंधित प्रकरणों में निरूद्ध है। उन्होंने कहा कि हमें यह प्रण लेना चाहिए कि दहेज जैसी कुप्रथा को छोड़कर आगे बढ़े, न दहेज देंगेे और न ही दहेज लेंगे। यहीं बात अपने बच्चों को भी समझायें। उन्होंने जेल प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि जिन महिलाओं के बच्चे यहां पर है, उनकों खेल-कूद, शिक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा बढ़ावा देने का प्रयास करें।

 

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