संजीव-नी। ना करो अन्न की बर्बादी

संजीव-नी। ना करो अन्न की बर्बादी

 
 
ना करो अन्न की बर्बादी,
भुखमरी पर है यह भारी,
चारों तरफ छाई है
गरीबी, भुखमरी और बेचारी,
भोजन की अनावश्यक बर्बादी
पूरी दुनिया पर पड़ रही है भारी।
 
थाली में लो भोजन उतना
खा सको हो तुम जितना,
 
खाना थोड़ा तुम कम खा लो,
गरीबों, लाचारों को 
भूखे मरने से बचा लो,
उतना ही खाओ 
जितना पचा लो,
 
थाली में ना छोड़ो तुम अन्न को
ना करो बेइज्जती
अन्न उगाने वालों की 
मेहनत , मशक्कत को।
 
थाली में अन्न छोड़ना 
पड़ता है भारी,
बढ़ती है संक्रामकता
और तेज होती इससे बीमारी।
 
पर्यावरण की सुरक्षा 
भी है हमें करना
गरीबों के लिए भोजन
सुरक्षित है हमें रखना।
 
आओ आज से शपथ लें,
अन्न और भोजन की
करेंगे हम हर तरह सुरक्षा,
भूखो की इस तरह करेंगे रक्षा।
 
अन्नदाताओं के खून पसीने की मेहनत का करेंगे सम्मान,
थालियों में छोड़कर
नहीं करेंगे 
अन्न औऱ भोजन का अपमान।
 
संजीव ठाकुर

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