मेक्सिको का शॉक: भारत के निर्यात पर टैरिफ़ की आग

मेक्सिको का शॉक: भारत के निर्यात पर टैरिफ़ की आग

[जहाँ संकट वहाँ अवसर: भारत का मेक्सिको व्यापार युद्ध]
[सुरक्षा नहींचुनौती मिली: भारत और मेक्सिको का व्यापार मोड़]

10 दिसंबर 2025, यह तारीख एशियाई व्यापार इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज हो गई है। मेक्सिको की सीनेट ने तेजी से उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दीजिसकी कल्पना पहले असंभव लग रही थी—गैर-एफटीए एशियाई देशों से आयात पर ऊंची टैरिफ दीवार। यह नियम जनवरी 2026 से लागू होगा और 1,400 से अधिक उत्पादों को प्रभावित करेगाजिसमें अधिकांश पर टैरिफ 35 प्रतिशत तक होगीजबकि कुछ प्रमुख सेक्टरों (जैसे ऑटोमोबाइलकुछ ऑटो पार्ट्सस्टील और टेक्सटाइल) पर यह 50 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। ऑटोमोबाइलटेक्सटाइलमशीनरीस्टील और प्लास्टिक—ये सभी प्रमुख सेक्टर इस नए बदलाव की चपेट में हैं।

भारत के लिए इस फैसले की मार सबसे गहरी है। न कोई एफटीएन कोई प्राथमिकता आधारित सुरक्षा—भारत मेक्सिको की नजर में पूरी तरह असुरक्षित खड़ा है। 2024–25 में भारत ने मेक्सिको को लगभग 5.3–5.7 बिलियन डॉलर का निर्यात कियाजिसमें अकेले ऑटोमोबाइल सेक्टर की हिस्सेदारी लगभग बिलियन डॉलर तक पहुंचती है। मेक्सिको भारत का तीसरा सबसे बड़ा कार निर्यात बाजार है। अब वोल्क्सवैगनह्युंडईमारुति और निसान जैसी कंपनियों के वाहनों पर लगने वाली ड्यूटी वर्तमान 20 प्रतिशत से बढ़कर कुछ मामलों में 50 प्रतिशत तक पहुंच सकती है (हालांकि अधिकांश उत्पादों पर 35 प्रतिशत की सीमा)।

यह सिर्फ आंकड़ों का मामला नहीं—यह रोजगारसप्लाई चेननिवेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर मंडराता गहरा संकट है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है: क्या यह हार का संकेत हैया भारत के लिए रणनीति बदलकर व्यापार के नए युग की शुरुआत करने का मौकासच्चाई यह है कि मेक्सिको का यह फैसला अचानक नहीं उभरा। इसके पीछे अमेरिकी दबाव की छाया साफ दिखती है। डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और यूएसएमसीए (यूनाइटेड स्टेट्स-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंटकी नज़दीकी समीक्षा ने मेक्सिको को उस मोड़ पर खड़ा कर दिया हैजहाँ अमेरिका की नाराज़गी मोल लेना उसके लिए महंगा पड़ सकता है। चीन से आने वाले लगभग 130 बिलियन डॉलर के आयात पर अमेरिकी चेतावनियाँ लंबे समय से जारी थीं। निशाना भले चीन थालेकिन प्रभाव की आग की लपटें भारत तक भी पहुँच गईं—अनचाहीलेकिन बेहद तीखी।

मेक्सिको की सरकार इस फैसले को घरेलू उद्योगों की ढाल बताने की कोशिश कर रही हैलेकिन असल इरादा कहीं अधिक स्पष्ट दिखाई देता है—अमेरिका को साधने का। चीन को रोकने की अमेरिकी मुहिम में अब भारत जैसे देशों के हित भी अनचाहे नुकसान झेल रहे हैं। भारतीय ऑटो उद्योग पहले ही एसआईएएम (सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफ़ैक्चरर्सके ज़रिये मौजूदा स्थिति बनाए रखने की मांग उठा चुका थापर अब टैरिफ़ की इस लहर को थाम पाना लगभग नामुमकिन हो गया है।

मानव अधिकार दिवस : सभ्यता के नैतिक विवेक का दर्पण Read More मानव अधिकार दिवस : सभ्यता के नैतिक विवेक का दर्पण

नुकसान का स्वरूप वाकई गंभीर है। ऑटो निर्यात में लगभग बिलियन डॉलर की चोट का अनुमान हैजबकि कुल निर्यात में 2026 में 15-25 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है (हालिया ट्रेंड्स के आधार पर)। गुजराततमिलनाडु और महाराष्ट्र के ऑटो क्लस्टर्स पर इसका सीधाभारी असर दिखेगा। टेक्सटाइल सेक्टर में 35 प्रतिशत तक की टैरिफ सूरत और कोयंबटूर जैसे केंद्रों को प्रभावित करेगी। स्टील और प्लास्टिक में जेएसडब्ल्यू जैसी कंपनियां लगभग 300 मिलियन डॉलर तक का कारोबार गंवा सकती हैं। अनुमान है कि 2026 में कुल निर्यात 15 से 25 प्रतिशत तक गिर सकता है—एक ऐसा झटका जो पूरे व्यापार ढांचे को हिला देगा।

वंदे मातरम पर चर्चा : सवाल नीति और नीयत का Read More वंदे मातरम पर चर्चा : सवाल नीति और नीयत का

दूसरी ओरमेक्सिको भी इस निर्णय से पूरी तरह सुरक्षित नहीं। इतने भारी टैरिफ़ वहां की उत्पादन लागत को 10–15 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं और घरेलू महंगाई का जोखिम भी तेज़ी से उभर सकता है। फिर भी भारत के लिए यह संकट अवसर का एक नया दरवाजा खोल सकता है। इतिहास गवाही देता है कि बड़े झटकों ने कई बार भारत को मजबूत बनाया है। 2018 में अमेरिकी स्टील टैरिफ के बाद भारत ने अपनी क्षमताएं बढ़ाईं और आत्मनिर्भरता की दिशा में नई गति पकड़ी। आज पीएलआई स्कीमों के कारण ऑटो क्षेत्र में रिकॉर्ड निवेश हो चुका है।

डिजिटल अरेस्ट से लाखों परिवारों के जीवन में अंधेरा पसरा  Read More डिजिटल अरेस्ट से लाखों परिवारों के जीवन में अंधेरा पसरा 

अब भारत के सामने स्पष्ट राह है—डिप्लोमेसी और व्यापारिक रणनीति को नए सिरे से धार देना। भारत–मेक्सिको एफटीए को अब शीर्ष प्राथमिकता बनाना होगा। यदि पूर्ण एफटीए तुरंत संभव न होतो कम से कम पीटीए (प्रीफ़रेन्शियल ट्रेड एग्रीमेंट) के ज़रिये कुछ महत्वपूर्ण सेक्टरों को राहत दी जा सकती है। लैटिन अमेरिका में फिलहाल भारत का व्यापार केवल प्रतिशत है—इसे दोगुना करने का समय आ चुका है।

बाज़ार विविधीकरण आज भारत की सबसे तत्काल और निर्णायक जरूरत बन चुका है। मेक्सिको पर निर्भर निर्यात का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीकाआसियानब्राज़ील और चिली जैसे उभरते बाज़ारों में सहज रूप से स्थानांतरित किया जा सकता है। इससे न केवल जोखिम कम होगाबल्कि नए अवसरों के लिए दरवाजे भी खुलेंगे। चीनी सप्लाई चेन से बाहर निकलने की कोशिश कर रही वैश्विक कंपनियों—फॉक्सकॉनएप्पल और कई अन्य—को भारत में और बड़ेतेज़ और स्थायी निवेश अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं। ईवीसोलरसेमीकंडक्टर और हाई-टेक कंपोनेंट्स में भारत अगले दशक की सबसे तेज़ उभरती शक्ति बन सकता है।

पीएलआई स्कीम को अब ऑटो कंपोनेंट्स से आगे बढ़ाकर ईवी पार्ट्सबैटरी सिस्टम और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक्स की दिशा में और मजबूत आधार दिया जा सकता है। निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए सब्सिडीटैक्स रिफंड और फास्ट-ट्रैक मंजूरी तंत्र बेहद आवश्यक हैं। और यदि जरूरत पड़ेतो भारत डब्ल्यूटीओ के मंच पर भी इस टैरिफ को चुनौती दे सकता हैक्योंकि यह संरक्षणवाद की चरम सीमा को दर्शाता है।

इसके बावजूद भविष्य में अवसरों की संभावनाएं कहीं अधिक उज्ज्वल दिखती हैं। लैटिन अमेरिका में 200 से अधिक भारतीय कंपनियां पहले से काम कर रही हैं—आईटीफार्मा और ऑटो उद्योगों में लगभग बिलियन डॉलर के निवेश के साथ। यदि भारत सुविचारित रणनीति अपनाता हैतो 2030 तक भारत–मेक्सिको व्यापार 20 बिलियन डॉलर के पार पहुँच सकता है। वैकल्पिक बाजारों में 10 प्रतिशत वृद्धि ही लगभग 500 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त लाभ दे सकती है।

यह टैरिफ़ तूफ़ान भारत को रोकने नहींबल्कि जगाने आया है। वही राष्ट्र बड़ी छलांग लगाते हैंजो संकट की राख में अवसरों की चिंगारी पहचान लेते हैं। भारत के पास नवाचारआर्थिक कूटनीति और वैश्विक साझेदारी—तीनों की सशक्त शक्ति मौजूद है। इस चुनौती का सीधा सामना करके भारत न सिर्फ मेक्सिको की बाधा को पीछे छोड़ेगाबल्कि वैश्विक व्यापार की नई धुरी बनकर उभरेगा। भारत सिर्फ एक निर्यातक नहींअंतरराष्ट्रीय व्यापार का अनुभवी योद्धा है। और इस बार भीलड़ाई कठिन जरूर है—पर परिणाम विजय के ही पक्ष में खड़े हैं।

 

प्रो. आरके जैन “अरिजीत”,

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel