बढ़ते अपराध:-" नहीं रुकते हिंसा और बलात्कार" 

स्वतंत्र प्रभात। 
 
समाज में बढ़ते हुए इन अपराधों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि गिनती करना मुश्किल है। अनगिनत ऐसे सवाल भी हैं जिनके उत्तर आज तक गुमनाम होकर रह गए, जिनका निवारण नहीं किया जा सका, या तो अपराधियों की वो डायरी पुलिस स्टेशनों में दबी पड़ी हुई हैं या किसी रिश्वतखोर नेता द्वारा वह सारे अपराध की फाइलों को नष्ट कर दिया गया। बहुत ही दुखद स्थिति है हमारे समाज में कि बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है, जहां देखो हर एक घंटे में बलात्कार की घटना की खबर सुनाई देती है। बेटियों को जल्दी न्याय नहीं मिलता है, इसका अंजाम यह होता है बेटियां खुद ही अपना फैसला ले लेती है या तो वह फांसी फांसी लगाकर एक कमरे में खुद को खत्म कर देती है या फिर गुमनामी के अंधेरों में कहीं खो जाती हैं, जहां उन्हें न्याय नहीं मिलता है, और जब न्याय की वो गुहार लगाती हैं तो उनको किसी अकेले सुनसान रास्ते में ले जाकर हत्या कर दी जाती है। इस तरह की आपराधिक मामले बहुत बढ़ गए हैं। इसके अलावा ऐसे भी अपराध है जहां इंसानियत शर्मसार है, एक कांड हुआ था जिसे लोग गोधरा कांड के नाम से जानते हैं इस बर्बर अपराध में 59 यात्री जलकर मरे थे और जो इस में अपराधी थे उसका राज्य सरकार कुछ भी नहीं कर पाई थी, उसके बाद कई दंगे भड़के जिसमें राज्य सरकार इसे रोकने में असफल रही। 
अपराध के मामले में एक मामला 19 साल की लड़की भी थी जो 5 महीने की गर्भवती थी, बिलकिस बानो नाम था उसका। उसी के सामने उसी के परिवार के 15 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी, उस परिवार में एक 3 साल की छोटी सी बच्ची थी जिसे जमीन में पटक पटक कर मारा गया, उसके बाद इंसानियत को शर्मसार करती हुई यह घटना हुई कि उन्हीं के पड़ोसियों ने जिनकी संख्या 20 थी उन सभी 20 पड़ोसियों ने एक छोटी सी बच्ची के साथ बलात्कार किया, उन्हें लगा कि वह लड़की मर गई है तो उसे उसी हालत में छोड़कर वो लोग चले गए। यह मामला उस समय 2003 में बंद कर दिया गया था, क्योंकि इसके कोई साक्ष्य नहीं मिले, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने जांच हुई और फिर एक नए वकील को नियुक्त किया गया बाद में इसे मुकदमे को मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया, यह फैसला 2008 में आया जिसमें से 20 लोगों की संख्या में 13 आरोपी को सजा मिली और 11 को आजीवन कारावास मिला लेकिन इस मामले में सजा देने के लिए 5 साल का समय लग गया, अब आप यह बताइए इन 5 सालों में उस बच्ची की क्या हालत हुई होगी? सजा देने में अपराधियों को इतना समय लग जाता है और वह बेखौफ घूमते रहते हैं।
चोरी की वारदातों को देखिए, लूट और हत्या कांड के मामले इतनी ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं, इस पर प्रशासन की नजर जल्दी नहीं जाती है, न्याय मिलने के लिए लोगों को कई सालों तक इंतजार करना पड़ जाता है। कई लोगों को किडनैप करके फिरौती मांगी जाती है और इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती है कि फिरौती की मांग पूरी करने के बाद उस इंसान को वो लोग छोड़ दे जिन्होंने उन्हें किडनैप किया है। रोजाना अखबारों में लूट डकैती की भयावह खबरें देखकर लोग डरे सहमे से घर से बाहर नहीं निकलते हैं, कहीं बच्चे चोरी हो रहे हैं इसकी अफवाह फैलाई जाती है और कहीं-कहीं पर बच्चों के साथ बुरा सलूक करके उन्हें कत्ल कर दिया जाता है। 
लूटपात का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि आजकल दुकानदार भी अपने हिसाब से सामानों के रेट निश्चित कर देते हैं, जनता को क्या है उन्हें तो सामान लेना ही है, महंगा भी होगा तो वह तो यदि उनकी जरूरत होगी तो वह तो लेंगे ही! मिलावटी का दौर सभी जगह फैला हुआ है, न्याय को तरसते हुए लोग बेबस से थके हारे अपने आत्मबल को ही खोते चले जा रहे हैं। आम जनता छली जाती है और नेताओं के वहीखाते घूसखोर के हाथों में रहते हैं, इनके किए गए अत्याचार सामने खुलकर कभी नहीं आते। यह पैसों के दबाव में अपने अपराधों को दबा देते हैं। पुलिस भी बिक रही है, बेटियों की आबरू लूट रही है, रक्षक ही भक्षक बने बैठे हैं, आखिर न्याय कौन करें? घरेलू हिंसा भी बढ़ती जा रही है, भाई-भाई एक दूसरे के सहायक नहीं रहे और माता पिता को आश्रम का रास्ता दिखा देते हैं। बहू बेटियां दहेज की आग में पिसी जा रही है, जमाना बदलने के बाद भी आजकल मखमली बातों में लेकर ससुराल वाले बहुओं से कहते हैं कि "घर की बागडोर तुम्हारे हाथ में है अपने माता-पिता से कहो, कि यह सामान मेरे ससुराल में नहीं है" बस इसी तरह की लूट मची हुई है। जमीन जायदाद को लेकर झगड़े इतने बढ़ गए हैं कई सालों तक इसमें भी घर परिवार के लोग फंस कर रह जाते हैं। अपराधिक मामलों पर शिकंजा नहीं कसा जाता है, सोशल मीडिया से लेकर घर की चहार दीवारों तक बस अपराध ही अपराध नजर आते हैं, भला कैसे होगा न्याय? कब प्रशासन मजबूत होगी? और सभी कार्यवाहियां जल्द खत्म होंगी! बेटियों को जल्दी न्याय कब मिलेगा?
लोगों को ब्लैकमेल करना, सरकार द्वारा निर्धारित की गई सभी नीतियां अब अनैतिक दिखती सी नजर आ रही है। जब तक समाज के लोग जागरूक नहीं होंगे, हिंसा बढ़ती रहेगी, यदि सभी प्रशासन हरकत में आ जाए तो न्याय के लिए किसी को भटकना नहीं पड़ेगा, बेटी का घर भी बचेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जातिवाद के आधार पर नौकरियाँ देना बंद हो जाएगा। इन बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए जनता और सरकार का साथ जरूरी है, सभी एकजुट होकर इन आपराधिक मामलों को खत्म करने का प्रयास करें तभी भारत में एकता और न्याय स्थापित होगा। कानूनी कार्रवाई मजबूत होना चाहिए ताकि कोई भी अपराधी अपराध करने से डरे, बलात्कार करने वाले को तुरंत फांसी की सजा दी जानी चाहिए केस टाले नहीं!
विचार करे, न्याय करे और हर इंसान एक सच्चा न्यायाधीश बने, राष्ट्र की सुरक्षा के लिए

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