स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। उन्नाव-लालगंज के लिए प्रस्तावित फोरलेन निर्माण हेतु किसानो की अधिग्रहीत भूमि के लिए सरकार द्वारा स्वीकृत मुआवजा की दरो में किसान हितो के साथ जमकर कुठाराघात किया जा रहा है।
अर्जित भूमि से प्रभावित किसानो के हको की लड़ाई लड़ रहे प्रदेश को-आपरेटिव यूनियन के सदस्य रामबोध शुक्ल ने उक्त आरोप लगाते हुए बताया कि सरकार द्वारा घोषित मुआवजे की दरो के अनुसार सर्किल रेट से शहरी क्षेत्रो में दोगुना और ग्रामीण क्षेत्रो में चार गुना अधिक मुआवजा देय है
लेकिन उन्नाव-लालगंज राजमार्ग हेतु अर्जित भूमि के बदले सरकार अपने घोषित सर्किल रेट को अंगूठा दिखा प्रभावित किसानो को अपनी मनमर्जी के माफिक मुआवजा दे रही है। जनपद के गदनखेड़ा, कोरारी मोड़, कुर्मापुर, पचोड्डा, सिकन्दरपुर कर्ण, बहुराजमऊ, लालकुंआ, बीघापुर, पाटन, बिहार आदि के किसानो के हितो को अनदेखा किया जा रहा है। जहां के किसानो की अर्जित भूमि के बदले सर्किल रेट को नजरन्दाज कर कृषि योग्य भूमि का मुआवजा दिया जा रहा है। विडम्बना यह है कि मार्ग निर्माण के लिए अर्जित भूमि की किसान जब रजिस्ट्री करने जाता है
तो उसे सर्किल रेट के अनुसार स्टाम्प अदा करना पड़ता है परन्तु मुआवजा कृषि भूमि का दिया जा रहा है। जिसे सरकारी दादागिरी कहना गलत नहीं होगा। जिसके विरूद्ध किसानो द्वारा दाखिल आपत्तियों का आजतक निस्तारण नहीं किया गया है। भूमि अधिग्रहण का प्रकाशन 2012 में हुआ था जिसके बाद से लेकर अब तक सैकड़ो किसानो ने आपत्तियां दाखिल की हैं लेकिन जिला प्रशासन ने आजतक एक भी आपत्ति का निस्तारण नहीं किया है जिससे किसान अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए उच्च न्यायालय भी नहीं जा सकते हैं। एक प्रश्न के जवाब में श्री शुक्ल ने बताया कि इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की गयी
तो उन्होंने जिलाधिकारी को तुरन्त पत्र लिखा लेकिन आजतक कोई एक्शन नहीं लिया गया। कोआपरेटिव सदस्य श्री शुक्ल ने आबादी वाले क्षेत्र में जिला प्रशासन द्वारा घोषित सर्किल रेट के अनुसार मुआवजा देने की मांग की है तथा जिन किसानो को कृषि योग्य भूमि का मुआवजा दिया जा चुका है उन्हें भी सर्किल रेट के अनुसार मुआवजा दिये जाने की मांग की है। वार्ता में रामबोध शुक्ल, के0के0वर्मा तथा जितेन्द्र कुशवाहा आदि मौजूद रहे।