चर्चित वाड़ा- डीएम की कार्यवाही कब ?

चर्चित वाड़ा- डीएम की कार्यवाही कब ?

चर्चित वाड़ा- डीएम की कार्यवाही कब ?


सफेदपोश  भू-कारोबारी : बाबा के ‘बुल्ड़ोजर का इंतजार‘ डीएम के पाले मे ‘गेंद‘  

जांच कमेटी पट्टा निरस्त व भूमि का दुर्वियोजन रोकने की ‘सिफारिश‘

बाबा का बुल्डोजर कब करेगा चर्चित सर्राफ बाडे को निस्तानाबूत

बिना आराजी नं0 डाले भू-कारोबारी बैनामा करने को ‘बेकरार‘

ललितपुर 

अरवो की नामी-बेनामी सम्पत्ति बनाने वाले चर्चित सफेदपोंश भू-कारोबारी चेहरो ने नगर मे स्थित बेशकीमती चर्चित सर्राफ वाडे को खुर्द-बुर्द कर करोडो के बैनामा किये थे। शिकायत पर डीएम आलोक सिह ने 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। 

1 माह पूर्व कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप चुका है। अब बुल्डोजर की कार्यवाही की गेंद डीएम आलोक सिह के पाले मे है। सूत्र बताते है कि चर्चित सर्राफ वाडे पर बुल्डोजर की कार्यवाही से बचाने के लिये डीएम कार्यालय मे तैनात तथाकथित एक ओएसडी ईमानदार डीएम को गुमराह कर सफेदपोश भू-कारोबारियो के लिये अन्दरखाने मदद कर रहा है।

 जांच रिपोर्ट आने के बाबजूद जिला प्रशासन का अब-तक भू-कारोबारियो पर कार्यवाही न करना कही न कही प्रशासन को कटघरे मे खडा करता नजर आ रहा है। जिसके चलते भू-कारोबारियो के हौंसले बुलन्दियां पर है।

 वही उक्त जमीन पर बिना आराजी न0 डाले सफेदपोश भू-कारोबारी बैनामा करने को उतावले हो चुके है। बाबा के बुल्डोजर ने चुनावी सभाओ मे खूब शोहरत बटोरने के बाद बीजेपी सरकार का पार्ट 2 शुरू हो चुका है। सफेदपोश भू-कारोबारियो पर बाबा के बुल्डोजर की कार्यवाही का इंतजार जनता बेसब्री से कर रही है। नगर के चर्चित 38 दबंग सफेदपोश भू-कारोबारियो पर बाबा के बुल्डोजर की कार्यवाही का इंतजार भी जनता को है।

 साहिब के पाले मे ‘गेंद‘ कार्यवाही कब ?
नगर की चर्चित 120 करोंड़ की बेशकीमती जमीन सर्राफ वाडे पर सफेदपोश भू-कारोबारियो ने कब्जा कर रखा है। कौडियो के दाम हथिया चुके सर्राफ वाडा 1 वर्ष से शहर मे चर्चा का विषय बना हुआ है। बेशकीमती भूमि को हथियाने के लिये भू-कारोबारी लगातार कुचक्र रचते चले आ रहे है। 

शिकायत पर डीएम आलोक सिह ने इस चर्चित मामले को गंभीरता से लेकर 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। जिसका पत्रांक सं0 2278/ओएसडी-शिकायत जांच/2021-22 तीन जनवरी 2022 को जिलाधिकारी ने आदेश दिया था कि आराजी सं0 2076/1 व 2077 अन्दर हद नगर पालिका परिषद ललितपुर की भूमि की जांच के लिये अनिल कुमार अपर उप जिलाधिकारी द्धितीय अखिलेश कुमार गुप्ता तहसीलदार न्यायिक प्रकाश यादव नायब तहसीलदार सदर शामिल थे।
 डीएम का आदेश था कि इस मामले मे जांच कमेटी 1 सप्ताह मे अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करे एंव भूमि की ब्रिकी और निर्माण पर भी रोक का आदेश जारी किया गया था। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट फरवरी के प्रथम सप्ताह मे डीएम को भेज दी थी, लेकिन रिपोर्ट पहँुचने के 1 माह बाद भी प्रशासन द्रारा कोई कार्यवाही न की जाने के चलते सफदेपोश भू-कारोबारियो के हौंसले बुलन्दियो पर बने हुए है। प्रशासन ने शीघ्र ही चर्चित वाडे पर अवैध कब्जा करने वाले भू-कारोबारियो पर कार्यवाही नही की तो जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियो पर से जनता का भरोसा उठ जायेगा।
 सुर्खियो मे बना सर्राफ ‘वाड़ा‘
चर्चित सर्राफ बाडे का बडा भू-भाग बेचा जा चुका है। जिस पर एक शोपिंग माल बन चुका है। दरअसल यह जमीन खेती के लिये तत्कालीन लम्बरदारन से 86 साल पहले 30 साल के लिये पटटे पर ली गई थी। सन् 1966 तक खेती हुई। फिर इसका अन्य उपयोग होने लगा।
 इस जमीन पर खेती के लिये एक बडा कुंआ बनवाया गया था। बाद मे आबादी मे आ जाने के बाद जमीन की कीमत बढते ही पटटेदारो की नियत बदल गई। राजस्व कर्मियो से मिलकर यह जमीन तिकडम बिठाकर अपने नाम करा ली। फिर करोडो की बिक्री का खेल शुरू होते देर नही लगी।  
 अवैध पट्टेदारो की ‘मौंज‘
नवीनीकरण सन् 1994 को खत्म हो गया। कभी शहर के बाहर रहने वाली यह जमीन अब-तक शहर के बीचो-बीच अन्दर आ गई। इसकी कीमत हजार गुना बढ गई। कीमती जमीन पर भू-माफियाओ की निगाहे लग गई। 
अब इस भूमि को नियमानुसार केबट खाते मे समामेलित करने के बजाय राजस्व कर्मियो से मिलकर इसे पटटेदारो के वारिश विजय कुमार, रविन्द्र कुमार, अनिल कुमार, अरूण कुमार पुत्रगण पटटेदार हुकुमचंद तथा अक्षय कुमार, सुनील कुमार पुत्रगण कपूरचंद के नाम दर्ज करा लिया गया। इसके बाद इस जमीन की जमकर खरीद बिक्री हुई। सादा स्टाम्प पर एग्रीमेन्ट कर माफिया ने लेआउट डालकर कभी कौडियो की जमीन को सोने के भाव बेचना शुरू कर दिया। अब यहा बडे-बडे कई भवन बन चुके है। जिनकी कीमत अरवो  रूपये हो चुकी है।
 साजिश ‘उजागर‘
नगर पालिका अन्दर हद स्थित बेशकीमती सर्राफ बाडे की बेशकीमती भूमि का विवाद अभी थमने का नाम नही ले रहा। आराजी सं0 2076 रकवा 0.130 है0 व आराजी सं0 2077 रकवा 1.477 है0 जमीदारी क्षेत्र की भूमि है। इस भूमि का पटटा सदर लम्बरदार स्व. बद्रीनारायण चैबे ने दिनांक 19/04/1934 को 30 वर्ष की अवधि के लिए स्व. मुन्ना लाल सर्राफ को किया था।
 जिसकी अवधि वर्ष 1964 मे समाप्त हो चुकी है। नियमानुसार राजस्वकर्मियो को भूमि का मौका मुआयना कर गश्ती जारी कर पटटा धारको के नाम काटना चाहिए था। रााजस्व अभिलेखो मे भूमि को बंजर खाता सं0 1 मे दर्ज कर देना चाहिए था। लेकिन राजस्वकर्मियो ने सर्राफ परिवार के साथ दुर्रभीसन्धि करके उनके नाम तो नही काटे। उल्टा वारिसान के रूप मे उनके नाम दर्ज कर दिए। जो नियम विरूद्ध है।
 दलाल मीडिया ‘हिस्सेदार‘
भू-कारोबारियो ने चर्चित सर्राफ बाडे मे दो प्रतिशत की हिस्सेदारी देकर दलाल मीडिया सिडिकेट को अपना बेनामी पार्टनर बना लिया था। मीडिया सिडिकेट के साथ कुछ दलाल मीडियाकर्मी उनके पाले मे आकर भू-कारोबारियो की पहरेदारी शुरू कर दी है। लेकिन सच की कलम के पहरेदारो ने दलाल मीडिया सिडिकेट और भू-कारोबारियो की जिला प्रशासन व जनता के सामने बेनकाब कर दिया।
राजस्व की चोरी करने मे निखिल तिवारी ‘माहिर‘
 सत्ताधारी भू-कारोबारी निखिल तिवारी ने तमाम आवासीय बैनामा करने का खुलासा हुआ है। अब इन-पर बिना लेआउट पास कराये खरीददार व्यवसायिक निर्माण कर रहे है। इन रजिस्ट्रियो मे राजस्व की चोरियो का बडा खुलासा सामने आया है।  
- निखिल तिवारी ने अंजना जैन पति संतोष जैन को एक प्लाट 2076/2077 का बैनामा किया है। जिसकी मालियत 11.93 लाख है। जिसे इन्होने 11.50 लाख रूपए मे खरीदा है। आवासीय मे खरीदी गई जमीन पर व्यवसायिक निर्माण किया जा रहा है।
- दूसरी रजिस्ट्री अजय जैन साईकिल व प्रमोद गुप्ता ने प्रकाश जैन पुत्र हजारी लाल को की है। आवासीय मैे रजिस्ट्री कराकर प्रकाश जैन ने व्यवसायिक निर्माण कराया था।
डीएम से की ‘सिफारिश‘
सूत्र बताते है कि 3 सदस्यीय जांच कमेटी ने इस मामले की जांच की तो कई बिन्दुओ को देखकर आश्चर्य मे पड गए कि नान जेड ए व केबट खाता सं0 1 की भूमि को नियम-विरूद्ध तरीके से पट्टा धारक के वारसान कैसे बेंच रहे है। 
जिसका उन्हे कोई कानूनी अधिकार नही है। जांच कमेटी न अपनी रिपोर्ट मे इस अवैध पटटे को निरस्त करने व भूमि का दुर्वियोजन रोकने के लिये डीएम से उचित आदेश पारित करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा कई अन्य सिफारिशे भी जांच आंख्या मे अपनी रिपोर्ट मे की थी।  
 
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