
टूटी-फूटी सड़कों का कब होगा उद्धार गड्ढा मुक्त का समय कब होगा आधार
काश! जनता का दर्द भी समझ लेते..
बस्ती।
बस्ती जिले के शहरी क्षेत्र मालवीय रोड इस समय सबसे खराब सड़कों में है। दो किमी लम्बी सड़क में अनगिनत खतरनाक गड्ढे हैं जो राहगीरों के सामने रोज मुश्किलें खड़ी करते हैं।
लोग इसमे गिरते हैं चोटिल होते हैं और मन ही मन जिम्मेदारों को कोसते हुये चले जाते हैं। कुछ ऐसे गड्ढे भी हैं जिनमे पानी भर जाता है और तेज रफ्तार वाहन बगैर ब्रेक लगाये गुजरते हैं तो बगल में चलने वाले राहगीर गंदे पानी से सराबोर हो जाते हैं। नगरपालिका क्षत्र की ये सड़क बने अभी 5 साल नही हुये।
इससे पहले ही सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। बताया जाता है कि निर्माण करने वाली संस्था की सड़कों के अनुरक्षण की जिम्मेदारी है। यह अवधि 5 साल ही निर्धारित की गयी है लेकिन 3 साल में ही सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई। जनप्रतिनिधि इतने गैर जिम्मेदार हैं कि उन्हे जनता की बुनियादी जरूरतों से कुछ लेना देना नही है। हालत ये है कि सुबाष तिराहे से लेकर नेहरू तिराहे तक सड़क के अनगिनत गड्ढे दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। अभी हाल ही में खेल महाकुंभ का उद्घाटन करने आये गृहमंत्री अमित शाह आये थे, एक दिन पहले आनन फानन में उन रास्तों को गड्ढा मुक्त कर दिया गया जहां से उन्हे गुजरना था, बाकी सड़क वैसे ही रह गयी।
काश! एक बार जनता का भी दर्द समझ लेते ? स्थानीय लोगों का कहना है कि नेताओं और अफसरों को कमीशन से मतलब है, उनका हिस्सा उनको मिल गया, सड़क चाहे तीन साल चले या 1 साल उन्हे कोई फर्क नही पड़ता। हालांकि जब सड़क और डिवाइडर का निर्माण हो रहा था तब गुणवत्ता को लेकर अनेकों सवाल खड़े हुये थे, लेकिन संवेदनहीन नेताओं और अफसरों ने कोई जवाबदेही महसूस नही की। नतीजा ये हुआ कि मियाद पूरी होने से पहले ही सड़क जवाब दे गयी। सदर विधायक, सांसद, नगरपालिका प्रशासन सभी इन दुश्वारियों पर मौल साधे हैं
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