शीतपूर गरम झरना और कृषि समृद्धि से निखर रहा है प्रगतिशील पाकुड़िया
पर्यटन, कृषि और ग्रामीण संपर्क व्यवस्था में तेजी से हो रहा सुधार
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पाकुड़िया, पाकुड़, झारखंड:-
जनजातीय क्षेत्र के रूप में पहचान रखने वाला पाकुड़िया प्रखण्ड इन दिनों पर्यटन और कृषि, दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रखण्ड के राजपोखर पंचायत अंतर्गत शीतपूर गांव से लगभग दो किलोमीटर दूर स्थित प्राकृतिक गरम झरना वर्षों से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
सदियों से निरंतर प्रवाहित यह गर्म जलकुंड मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा सहित कई राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ से गुलजार रहता है। आदिवासी साफाहोड़ समाज के लोग अपनी पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार यहां स्नान, पूजा-अर्चना और संथाली लोकगीतों व आध्यात्मिक गीत-संगीत के साथ मेला जैसा माहौल बनाते हैं।
■ पर्यटन स्थल के विकास पर सरकार का फोकस:
हाल के वर्षों में राज्य सरकार और पाकुड़ जिला प्रशासन की पहल से गरम झरना परिसर का सौंदर्यीकरण, सफाई व्यवस्था, स्नान गृह, कुंड का जीर्णोद्धार, मंदिर निर्माण एवं शौचालय सुविधाओं का विकास किया गया है। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि शीतपूर गरम झरना आज एक बेहतर विकसित पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है।
■ सड़क और बिजली सुधार से बढ़ी रौनक:
झारखंड राज्य गठन के बाद पाकुड़िया प्रखण्ड की कई सड़कों के निर्माण व मरम्मत से ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच आसान हुई है। पाकुड़िया से पाकुड़, दुमका, बंगाल के मुरारई-नलहाटी होते हुए रामपुरहाट और कोलकाता तक का सफर अब कम समय में पूरा संभव है। बिजली व्यवस्था में सुधार ने भी क्षेत्र के आर्थिक-सामाजिक विकास को गति दी है।
■ कृषि हब बनता पाकुड़िया
सिंचाई कूपों, तालाबों और चेक डैमों के निर्माण से प्रखण्ड के किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ विविध सब्जियों की खेती बड़ी मात्रा में करने लगे हैं। राम-सीता चौक (पुराना बस स्टैंड) पर रोजाना बड़ी संख्या में किसान आलू, बैंगन, करैला, और अन्य स्थानीय सब्जियां लेकर पहुंचते हैं। इन दिनों बाजार में सब्जियों की निरंतर उपलब्धता से पाकुड़िया का सब्जी बाजार जीवंत बना हुआ है।
स्थानीय सब्जी विक्रेता ओशि अली और अफताब अंसारी की दुकानें ग्राहकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहती हैं। अफताब अंसारी अपनी सौम्य व्यवहार शैली और सम्मानजनक संबोधनों (दादी, बुआ, दीदी) से विशेष लोकप्रिय हैं। वे बटन मशरूम सहित कई नई सब्जियां बेचते हैं, जो आसनसोल (बंगाल) से मंगाई जाती हैं। मशरूम की कीमत लगभग 300 रुपये प्रति किलो या 60 रुपये प्रति पीस बताई जाती है।
■ अभी भी कई विकास कार्यों की जरूरत:
हालांकि, प्रखण्ड मुख्यालय पाकुड़िया की कुछ सड़कें अब भी जर्जर स्थिति में हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि राम-सीता चौक (अस्थायी बस स्टैंड) और बजरंगबली मंदिर के समीप बस स्टैंड का सौंदर्यीकरण सहित कई बुनियादी विकास कार्य अभी शेष हैं। यदि इन क्षेत्रों में सुधार किया जाए तो पाकुड़िया का स्वरूप और अधिक निखर सकता है।
कुल मिलाकर, प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यटन, कृषि विस्तार और आधारभूत संरचनाओं के विकास के कारण पाकुड़िया प्रखण्ड तेजी से प्रगतिशील राह पर आगे बढ़ रहा है।
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