कर अधिवक्ता पर सहकारी समितियों का लाखों रुपया का हेराफेरी का आरोप
सचिवों ने विभागीय आलाधिकारियों से लगायी गुहार
ललितपुर। जीरो टोलरेंस नीति का हवाला देने वाली भाजपा सरकार के अहम विभाग में जी.एस.टी. के लाखों रुपये गबन का घोटाला सामने आने से हडक़म्प मचा हुआ है। भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हुये एक कर अधिवक्ता पर लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगाया जा रहा है। इस सम्बन्ध में उ.प्र.सहकारी समिति कर्मचारी संघ अध्यक्ष व महामंत्री ने उपायुक्त एवं उपनिबंधक सहकारिता झांसी मण्डल को पत्र लिखकर पूरे मामले की समितिवार जांच कर रकम वापस कराने और कर अधिवक्ता का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर कानूनी कार्यवाही किये जाने की मांग उठायी है। लाखों रुपये गबन का मामला चर्चाओं में आने के बाद से समिति सचिवों व उच्चाधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गयी है।
संघ अध्यक्ष ने बताया कि कर अधिवक्ता द्वारा जीएसटी मद से अधिक शुल्क लेने के सम्बन्ध में एक पत्र सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक ललितपुर को पत्र प्रेषित किया गया था। बावजूद इसके कर अधिवक्ता द्वारा समितियों के जीएसटी रिर्टन भरवाने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है। बताया कि समितियों द्वारा जो धनराशि कर अधिवक्ता के खाते में स्थानान्तरित की गयी, उतनी जीएसटी मद में जमा न करते हुये कम धनराशि कर अधिवक्ता द्वारा जमा की गयी है, जिससे समितियों को आर्थिक क्षति हुयी है एवं कर अधिवक्ता द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग किये जाने का भी आरोप है।
समितिवार आंकलन करने पर आया मामला सामने
संघ अध्यक्ष ने बताया कि जिले की तीस सहकारी समितियों पर कुल 3609254 रुपये की धनराशि कर अधिवक्ता के खाते में जीएसटी मद के लिए ट्रांस्फर की गयी, लेकिन कर अधिवक्ता द्वारा कुल 1646272 रुपये ही जीएसटी मद में जमा की गयी एवं शेष 1962982 रुपये को अपने निजी उपयोग में कर लिया गया। संघ ने कहा कि यदि यह धनराशि समितियों के प्रकीण खातों में वापस ट्रांस्फर हो जाये तो समितियों को अपने विद्युत बिल, कनेक्टिविटी आदि के बिल भुगतान करने में सुगमता होगी। यह भी आरोप है कि समितियों को विधिवत जानकारी न होने के कारण कर अधिवक्ता ने सचिवों को गुमराह कर यह धनराशि अपने खाते में ट्रांस्फर करा ली।
जांच कर कार्यवाही की मांग
उ.प्र.सहकारी समिति कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कमल किशोर बबेले व महामंत्री पंकज सिंह ने संयुक्त रूप से उपायुक्त एवं उपनिबंधक सहकारिता को भेजे पत्र में उक्त कर अधिवक्ता का रजिस्ट्रेशन निरस्त कराते हुये इनके खिलाफ आवश्यक कार्यवाही किये जाने की मांग उठायी है।
आयकर विभाग के नोटिस से खुली नींद
गेंहू पर शून्य जीएसटी है, जबकि गेंहू क्रय केन्द्रों के लिए तैयार बैलेंस शीट में गलत विवरण दर्ज किया गया। आयकर विभाग ने टर्न ओवर के अनुसार समयाविधि तक ऑडिट न होने पर नोटिस जारी कर दिया। नोटिस विभाग में मानो किसी बम की तरह फट पड़ा। कर अधिवक्ता से समितियों ने जबाव तलब करना शुरू कर दिया। रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला कि वर्ष 2017-18 से वर्ष 2024-25 तक रिर्टन दाखिल करने के लिए जिस अधिवक्ता को अधिकृत किया है, उनके द्वारा ही लाखों रुपये का गबन करते हुये घोटाले को अंजाम दे डाला।

Comment List