मतदाता सूची का सत्यापन हर पाँच साल मे जरूरी हो
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दुनिया का सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले भारत देश मे सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती हे ! भारत मे 18 वर्ष आयु के हर व्यक्ति को मतदान करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त हे ! मतदान के लिए निर्वाचन नामावली मे नए मतदाता के नाम जोड़ने ओर मृत या पलायन व्यक्ति के नाम हटाने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा बूथ लेवल अधिकारी नियुक्त किए गए हे जो वर्ष भर निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार कार्य करते भी हे ! भारत मे अधिकांश राज्यों मे 2003 के बाद निर्वाचन नामावली के मतदाताओं का सत्यापन कार्य नहीं हुआ हे !
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा देशभर की निर्वाचन नामावली मे अवेध पाकिस्तानी बांग्लादेशी ओर रोहिंग्या मुस्लिम लोगों के नाम मतदाता सूची मे दर्ज होने की शिकायतों के मतदान प्रभावित होने की शिकायतों के चलते बिहार चुनाव से निर्वाचन आयोग द्वारा देशभर की मतदाता सूची का सत्यापन कार्य करवाने का निर्णय लिया जिसका अमूमन सभी विपक्षी दलों ने विरोध भी किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भारत निर्वाचन आयोग के लिए देशभर मे मतदाता सूची का सत्यापन कार्य होना आसान हुआ हे जो कि राष्ट्रहित मे होना बेहद ही जरूरी भी था !
देश के सीमावर्ती राज्यों से अवेध घुसपेठ पड़ोसी मुल्कों से होती हे जो स्थानीय भारतीय नेताओ के सहयोग से आधार कार्ड ओर अन्य भारतीय होने के प्रमाण पत्र बड़ी आसानी से बनवा भी लेते हे ओर केंद्र व राज्य सरकारों की सेवाओ का लुफ़त भी खूब उठाते हे ओर भारत मे कई मतदाताओ के नाम भी दो दो तीन तीन मतदाता सूची मे भी होने से मतदान प्रभावित होता था !
जब देश मे आबादी से ज्यादा आधार कार्ड बनने का मामला सामने आया तो निर्वाचन आयोग को शंका हुई कि मतदाता सूची मे भी बड़ी संख्या मे गड़बड़ी हो सकती हे सो बिहार चुनाव के पूर्व आयोग द्वारा राजनीतिक दलों के घोर विरोध के बाद भी मतदाता सूची का सत्यापन कार्य सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप केर बाद किया गया ओर 65 लाख मतदाताओ के नाम हटाए गए जो कि मतदाता सूची मे दर्ज थे लेकिन वास्तविक रूप से मोजूद नहीं थे !
बेशक 65 लाख मतदाता किसी भी राज्य के चुनाव को प्रभावित करने के लिए बहुत बड़ी संख्या होती हे ! 2019 की मतदाता सूची के देशभर मे 90 करोड़ के आसपास मतदाता मौजूद हे बेशक यह आकडा अब 95 से सो करोड़ के बीच मे होगा ! लेकिन जब देश भर कि मतदाता सूचियों का सत्यापन राज्य वर जब सामने आएगा तो 20 करोड़ के ज्यादा मतदाता के नाम हटाया जाना सामने आ सकता हे !
देश मे मतदाता सूची का सत्यापन कार्य प्रति पाच वर्ष मे लोकसभा के चुनाव के पूर्व होना चाहिए इस पर किसी राजनीतिक दल को आपत्ति होना भी नहीं चाहिए ! अतएव स्वस्थ लोकतंत्र व्यवस्था की विश्वसनीय के लिए मतदाता सूची रीड की हड्डी कहलाती हे इसलिए मतदाता सूची के सुधार का कार्य पूरी ईमानदारी से करवाना न केवल मतदाताओं का कर्तव्य हे बल्कि सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी भी हे !
अरविंद रावल
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