किसानक्राफ्ट ने सूखे सीधे बीज वाले धान पर किया एक तकनीकी प्रदर्शन
अम्बेडकरनगर।

कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) प्रमुख डॉ. रामजीत ने कहा कि “धान की खेती भारत की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन घटता जलस्तर और बढ़ती लागत किसानों के सामने बड़ी चुनौती है। डीएसआर तकनीक अपनाने से किसान समान उत्पादन के साथ लगभग 50 प्रतिशत तक पानी की बचत कर सकते हैं।”
किसानक्राफ्ट के असिस्टेंट मैनेजर (डेवलपमेंट) आलोक जैन ने बताया कि सूखे सीधे बीज वाले धान की तकनीक से किसान मिट्टी की उर्वरता के अनुसार बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। यह पद्धति पारंपरिक धान की तुलना में कम खर्चीली है और इससे उत्पादित धान के स्वाद में कोई अंतर नहीं आता।
वहीं आर एंड डी हेड डॉ. सुमंत होल्ला ने कहा कि “डीएसआर तकनीक से नर्सरी, पोखरिंग, समतलीकरण और रोपाई की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे श्रम लागत में भारी कमी आती है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि मीथेन गैस के उत्सर्जन को भी कम करती है।”
कृषि विशेषज्ञ डॉ. मार्श मणि पांडेय ने कहा कि प्रदेश में लो-मीथेन धान को बढ़ावा देने के तहत डीएसआर तकनीक को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा दोनों में सहयोग मिल रहा है।
कार्यक्रम का आयोजन एफपीओ डायरेक्टर चंद्रप्रकाश वर्मा के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर किसानक्राफ्ट के सेल्स मैनेजर रत्नेश विश्वकर्मा ने बताया कि कंपनी एक आईएसओ-प्रमाणित निर्माता, थोक आयातक और उच्च गुणवत्ता वाले कृषि उपकरणों की वितरक है। देशभर में 5000 से अधिक डीलरों, एक विनिर्माण इकाई और 14 क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से किसानक्राफ्ट सीमांत किसानों की पैदावार बढ़ाने और उनकी आजीविका सुधारने में कार्यरत है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे और उन्होंने डीएसआर तकनीक के व्यावहारिक लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव किया। इस दौरान किसान वेद प्रकाश श्रीवास्तव, जयप्रकाश वर्मा, ओम प्रकाश सिंह, अनिल कुमार सिंह, रामजन्म तिवारी, मनोज कुमार तिवारी, ओमप्रकाश वर्मा, रामकृष्ण वर्मा, रामकुमार वर्मा, नीरज वर्मा, श्याम सिंह समेत अनेक किसानों ने भागीदारी की।

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