सोनभद्र के पनारी में मनरेगा घोटाला, विकास के नाम पर ₹10.88 लाख की लूट, अब लीपापोती का प्रयास
चोपन विकास खण्ड के पनारी में संबंधित के द्वारा सरकारी धन का बंदरबाँट करने का मामला, उठी जाँच की मांग
विकास के नाम पर छलावा, विकास के दावों की खुल रही पोल
अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट)
सोनभद्र जिले के चोपन ब्लॉक के पनारी क्षेत्र में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बने काशी खाड़ी खड़िया नाले पर जल अवरोधक निर्माण कार्य में गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। वर्ष 2023 में ₹10.88 लाख से अधिक की लागत से बना यह निर्माण अपनी अनुमानित अवधि के आधे से भी कम समय में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुँच गया है।

कई जगहों पर साफ दरारें दिख रही हैं, जबकि कुछ हिस्से पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। 22 मार्च, 2023 को शुरू हुआ यह कार्य, जिसकी मौजूदा हालत भ्रष्टाचार की स्पष्ट गवाही दे रही है, विकास कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाता है। यह केवल एक निर्माण की विफलता नहीं, बल्कि सार्वजनिक धन के घोर दुरुपयोग का एक दुखद उदाहरण है।

Read More माँ अन्नपूर्णा रसोई के दो वर्ष पूर्ण होने पर वार्षिकोत्सव कर दानदाताओं का सम्मान किया गया।पनारी में विकास के नाम पर खुला लूट तंत्र चल रहा है! जंगल से मिट्टी हटाकर, पत्थर निकालकर पैसे खाए गए, क्योंकि विकास के नाम पर सिर्फ कमीशनखोरी हुई। इसे विकास कहना गलत होगा, यह सरकारी लूट और सुनियोजित घोटाला है। जब इस भ्रष्टाचार की खबर सामने आई, तो कुछ जिम्मेदार अधिकारी आनन-फानन में सीमेंट और बालू लेकर लीपापोती करने पहुँच गए।

यह साफ दर्शाता है कि यदि पहले ही काम सही से किया होता तो आज इस तरह की लीपापोती की नौबत ही नहीं आती। यह अधिकारियों की जवाबदेही से बचने और अपनी गलतियों पर पर्दा डालने की स्पष्ट कोशिश है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता की निगरानी कौन कर रहा था। किस आधार पर इस कार्य को पास किया गया। क्या संबंधित अधिकारियों ने निर्माण के दौरान कोई जाँच नहीं की, या फिर जानबूझकर इसकी अनदेखी की गई।

यह मामला स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर गहरा संदेह पैदा करता है और उनकी जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।पनारी गाँव, जिसकी आबादी 35 हजार के करीब है और जिसमें 64 टोले शामिल हैं, चोपन ब्लॉक का एक अनूठा गाँव है। 20 से 22 किलोमीटर के दायरे में फैले इस गाँव में पाँच रेलवे स्टेशन-सलईबनवा, फफराकुंड, मगरदहा, ओबरा डैम और गुरमुरा - हैं।


यहाँ से नौ बीडीसी सदस्य चुने जाते हैं और 2020 में 16344 मतदाता थे, जो अब 21 हजार तक पहुँच चुके हैं।लेकिन इस तथाकथित विकसित गाँव की कड़वी सच्चाई यह है कि अदरा कूदर, छत्ताडांड, ढोढहार जैसे कई टोले, जहाँ प्रत्येक में करीब 700 की आबादी है, आज भी बिना बिजली और बिना स्कूल के अंधेरे में जी रहे हैं। यह विडंबना साफ दर्शाती है कि एक तरफ जहाँ विकास के नाम पर लाखों रुपये पानी में बहाए जा रहे हैं और उन पर भी भ्रष्टाचार हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं के लिए भी लोग तरस रहे हैं।

घटिया निर्माण कार्य सीधे तौर पर जनता के विश्वास को ठेस पहुँचाते हैं और उनके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई की नितांत आवश्यकता है। संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।यह समय है कि जनता भी इस पर चुप न रहे।
अपनी आवाज उठाना, सवाल पूछना और प्रशासन को जवाबदेह ठहराना हम सबका कर्तव्य है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे गाँव और क्षेत्रों में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का ऐसा खेल फिर कभी न हो। पनारी के लोगों को अब अपने अधिकारों के लिए खुलकर सामने आना होगा और इन भ्रष्ट अधिकारियों व ठेकेदारों पर लगाम कसनी होगी।

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