ओबरा (सी )परियोजना की दूसरी इकाई ने वाणिज्यिक भार प्राप्त किया, यूपी को मिलेगी 660 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली
ओबरा परियोजना की महत्वपूर्ण उपलब्धि, प्रदेश की मिलेगी अतिरिक्त बिजली
ओबरा परियोजना का ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ता कदम
अजित सिंह / राजेश तिवारी ( ब्यूरो रिपोर्ट)
ओबरा/ सोनभद्र-
उत्तर प्रदेश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करते हुए सोनभद्र स्थित 2x660 मेगावाट ओबरा (सी) परियोजना की दूसरी इकाई ने सोमवार को रात 8:15 बजे वाणिज्यिक भार (COD) प्राप्त कर लिया है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से राज्य को 660 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलेगी जो प्रदेश की बढ़ती विद्युत आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होगी।
22 दिसंबर, 2016 को शुरू हुई ओबरा (सी) परियोजना की यह दूसरी इकाई, कोविड-19 महामारी के कारण हुई देरी के बावजूद यूपी शासन और निगम मुख्यालय के निरंतर पर्यवेक्षण और निर्देशों के कारण तेजी से पूरी की गई।इस इकाई के वाणिज्यिक संचालन तक पहुंचने के सफर में कई अहम पड़ाव आए बॉयलर हाइड्रो टेस्ट- 30 मार्च, 2024, बॉयलर लाइट-अप- 31 मार्च, 2024
ग्रिड से समकालन (Synchronization), 06 मार्च, 2025,पूर्ण लोड पर संचालन 19 मई, 2025 की रात 8:40 बजे ,पूर्ण लोड पर चलने के लगभग एक महीने के भीतर ही इकाई ने वाणिज्यिक संचालन प्राप्त कर लिया है जो परियोजना से जुड़े इंजीनियरों और कर्मचारियों की दक्षता और समर्पण को दर्शाता है।
इस सफलता का श्रेय ओबरा के मुख्य महाप्रबंधक इंजीनियर आर.के. अग्रवाल और मुख्य अभियंता (सिविल) इंजीनियर एस.के. सिंघल के कुशल निर्देशन को जाता है। दूसरी इकाई के पूर्ण लोड पर परिचालन के समय इंजीनियर आर.के. अग्रवाल और इंजीनियर एस.के. सिंघल के साथ-साथ अधीक्षण अभियंता इंजीनियर संजय पटेल, कार्यकारी अभियंता इंजीनियर रिंकेश कुमार, इंजीनियर अवधेश कुमार, इंजीनियर सुमंत गौतम, इंजीनियर अखिलेश कुमार, इंजीनियर चैतन्य कौशल, इंजीनियर संजीव यादव और अन्य निगमीय तथा डीपीएसआई के कार्मिक भी उपस्थित रहे।
इन सभी के समन्वित प्रयासों ने इस महत्वपूर्ण परियोजना को वास्तविकता में बदलने में अहम भूमिका निभाई है। यह बताना महत्वपूर्ण है कि ओबरा (सी) परियोजना की इकाई संख्या 1 पहले ही 09 फरवरी, 2024 से वाणिज्यिक भार पर परिचालित है। अब दूसरी इकाई के भी पूरी क्षमता से काम करने के साथ ओबरा परियोजना एक बार फिर उत्तर प्रदेश की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में अपनी केंद्रीय भूमिका निभाएगी। यह न केवल राज्य की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा, बल्कि औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा।इस उपलब्धि से उत्तर प्रदेश के विकास को एक नई गति मिलेगी। जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था और जनजीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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