कॉलेज में प्राचार्य पद पर दो-दो दावेदार है पदस्थापित
शिक्षक-कर्मी छात्र असमंजस में,शैक्षणिक माहौल हो रहा है प्रभावित
सुपौल,बिहार
एम के रोशन
त्रिवेणीगंज अनुमंडल के इकलौते नेक मान्यता प्राप्त डिग्री कालेज अनुपलाल यादव महाविद्यालय में प्राचार्य पद को लेकर अजीबो-गरीब स्थिति उत्पन्न हो गई है।जो चर्चा का विषय के साथ साथ चिंता का कारण भी बना हुआ है। चौकाने वाली बात यह है कि कॉलेज में फिलहाल दो-दो प्राध्यापक खुद को प्राचार्य होने का दावा कर रहे हैं, जिससे न केवल प्रशासनिक कामकाज बाधित हुआ है बल्कि शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों में भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
मिल रही जानकारी के अनुसार, पूर्व प्राचार्य डॉ जयदेव यादव के बिगत 31 मई को सेवानिवृत्त होने के बाद प्राचार्य पद को लेकर नियुक्ति प्रक्रिया में अस्पष्टता के कारण दो अलग-अलग व्यक्तियों ने प्राचार्य का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। कॉलेज प्रशासन से जुड़े सूत्रों के अनुसार समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो हेमन्त कुमार को प्रभारी प्राचार्य के रूप में नियुक्ति शासी निकाय के सचिव कपिलेश्वर यादव द्वारा की गई है, जबकि दूसरे बनस्पति बिभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अशोक कुमार को आंतरिक वरिष्ठता के आधार पर सेवानिवृत्त हुए प्राचार्य डॉ जयदेव यादव द्वारा पदभार ग्रहण कराया गया है।

दो दो प्रभारी प्राचार्य के दावे से पैदा हुई इस असमंजसपूर्ण स्थिति ने कॉलेज का शैक्षणिक माहौल बिगाड़ दिया है।छात्र-छात्राएं समय पर कक्षाएं न चलने और निर्णयों के टकराव से परेशान हैं। कर्मीगण भी उलझन में हैं कि दोनों प्राचार्य में से किसके आदेश का पालन करें।अलबत्ता दोनों प्राचार्य कॉलेज में अपने अपने हिसाब से निर्देश जारी कर रहे हैं। पूरा कॉलेज तीन खेमो में बट गया है।कुछ शिक्षक और कर्मी जहाँ डॉ हेमंत कुमार के साथ खड़े हैं, तो कुछ प्रो अशोक कुमार के साथ मजबूती से खड़े हैं।वही कुछ न्यूट्रल हो चल रही गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।

प्राचार्य पद पर दो दो व्यक्ति के आसीन होने का मामला अब बीएनएमयू मधेपुरा प्रशासन तक पहुँच चुका है। कुलपति से इस विषय पर शीघ्र हस्तक्षेप की मांग की जा रही है ताकि कॉलेज में स्थायित्व और शैक्षणिक अनुशासन वापस आ सके।
कॉलेज के एक वरिष्ठ प्राध्यापक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “ इस कॉलेज में ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई थी । यदि विश्वविद्यालय शीघ्र निर्णय नहीं लेता, तो आगामी सत्र भी प्रभावित हो सकता है।वही शिक्षाविद सेवानिवृत्त प्रो रामानंद सिंह कहते हैं कि पूर्व प्राचार्य के सेवानिवृत्त होने से प्राचार्य पद के लिए दो -दो अध्यापक के बीच प्रभारी प्राचार्य बनने के लिए जो नूराकुश्ती चल रही हैं ,वह न तो कॉलेज हित में है न ही समाजहित में।कुलपति महोदय को तुरंत संज्ञान लेकर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है, ताकि दूषित हो रहे वातावरण पर रोक लग सके ।
वही आइसा के सुपौल जिलाध्यक्ष संतोष कुमार ने कुलपति को आवेदन देकर मामले पर संज्ञान लेने की मांग की है।उन्होंने ने कुलपति को दिए आवेदन में कहा है कि अनुपलाल यादव कॉलेज सुपौल जिला अंतर्गत एक मात्र नेक से मान्यता प्राप्त कॉलेज है जो विगत चार दशक से अधिक समय से विश्वविद्यालय के निदेश एवं सहयोग से उत्कृष्ठ संबद्ध महाविद्यालय का दर्जा प्राप्त किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉ. जयदेव प्रसाद यादव की सेवानिवृति के बाद महाविद्यालय शासी निकाय के सचिवकपिलेश्वर यादव द्वारा साजिश रचकर अपने चचेरे भाई डॉ हेमन्त कुमार को कनीय शिक्षक होने के बाबजूद प्रभारी प्रधानाचार्य बना दिया गया है।
जबकि तत्कालीन प्रधानाचार्य ने सेवानिवृति के बाद वैधानिक तरीके से विश्वविद्यालय द्वारा सामंजित व अधिसूचित वरीयतम शिक्षक को प्रभारी प्रधानाचार्य का प्रभार दिया हैं।उन्होंने आवेदन में सचिव कपलेश्वर प्रसाद यादव के शासी निकाय के सचिव पद पर बने रहने को भी चुनौतीदेते हुए कहा कि उन्हें कोर्ट द्वारा सजा मिली हुई है। वे जमानत पर बाहर हैं। ऐसे में शिक्षा के मंदिर का संचालन संभव नहीं है।इस बाबत सचिव कपलेश्वर प्रसाद यादव ने बताया कि हाई कोर्ट से जमानत मिली है। और काफी समय से सचिव के पद पर काम कर रहा हूं।अब सभी की निगाह बीएनएमयू के कुलपति पर टिकी हुई है कि वे इस दोहरे प्राचार्य विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं और कॉलेज में सामान्य स्थिति कब तक लौटती है।
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