ओबरा में बिजली कटौती से त्राहिमाम जारी,1850 मेगावाट उत्पादन के बाद भी जिम्मेदार मौन

पूछ रही है जनता बिजली अधिकारियों से क्यों बना है ऊर्जा‌ की राजधानी

ओबरा में बिजली कटौती से त्राहिमाम जारी,1850 मेगावाट उत्पादन के बाद भी जिम्मेदार मौन

ओबरा में बिजली गुल गर्मी फुल

अजित सिंह ( ब्यूरो रिपोर्ट) 

ओबरा/सोनभद्र-

ऊर्जाधानी के रूप में पहचान रखने वाला ओबरा आज बिजली कटौती की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। कभी एशिया के प्रतिष्ठित बिजली उत्पादन केंद्रों में शुमार और वर्तमान में लगभग 1850 मेगावाट की संयुक्त उत्पादन क्षमता वाला यह क्षेत्र अघोषित और अनियमित बिजली कटौती के कारण त्रस्त है। इतनी बड़ी मात्रा में बिजली उत्पादन के बावजूद स्थानीय निवासियों को आए दिन बिजली गुल होने का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनका सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

सबसे अधिक परेशानी दोपहर 1:00 बजे से 3:00 बजे के बीच होने वाली बिजली कटौती से हो रही है। भीषण गर्मी के इस समय में बिजली चले जाने से घरों में रहना भी मुश्किल हो गया है। यह आश्चर्य की बात है कि जिस क्षेत्र में इतनी अधिक बिजली पैदा होती है, उसके महज चार किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोग एक स्थिर बिजली आपूर्ति के लिए तरस रहे हैं। बिजली विभाग की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि कटौती का कोई निश्चित समय नहीं रह गया है।

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स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस असहनीय गर्मी में दोपहर की बिजली कटौती खासकर बुजुर्गों और महिलाओं के लिए अत्यंत कष्टदायक है। बिजली विभाग के इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ लोगों में गहरा आक्रोश है। ओबरा की वर्तमान स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि शायद ही किसी अन्य क्षेत्र में ऐसी पीड़ादायक स्थिति देखने को मिले, जहां इतना उत्पादन होने के बावजूद स्थानीय लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हों। गर्मी से बेहाल लोग दोपहर में घरों से बाहर निकलने को मजबूर हैं और लू के थपेड़ों का सामना कर रहे हैं।

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बिजली की समस्या को लेकर पहले भी कई बार सड़कों पर धरना-प्रदर्शन हुए और बिजली अधिकारियों का पुतला भी फूंका गया, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्या कारण है कि बिजली विभाग इस तरह मनमानी बिजली कटौती कर रहा है। 1850 मेगावाट बिजली आखिर कहां जा रही है? हैरानी की बात यह है कि यहां के जिम्मेदार अधिकारी भी इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। लोगों को केवल आश्वासन ही मिलते रहे हैं, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है। घरों में छोटे-छोटे बच्चे गर्मी से बेहाल होकर रो रहे हैं, और इस असहनीय गर्मी के कारण लोग विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

स्थानीय निवासियों ने एक बार फिर जिला प्रशासन और ऊर्जा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप करने और ओबरा में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की गुहार लगाई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि बिजली कटौती की समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया, तो वे व्यापक आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। अब यह देखना होगा कि जिम्मेदार अधिकारी इस गंभीर समस्या पर कब ध्यान देते हैं और ओबरा के निवासियों को इस असहनीय पीड़ा से कब मुक्ति दिलाते हैं, जबकि उनके क्षेत्र में ही इतनी अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है।

गौरतलब है कि ओबरा में पहले से ही डिमांड से कम विद्युत सप्लाई की समस्या बनी हुई है, जिससे उपभोक्ता परेशान हैं। पिछले वर्ष इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ था, लेकिन समाधान के तौर पर सिर्फ राम मंदिर में अलग से ट्रांसफार्मर लगाया गया था। वर्तमान उपखंड अधिकारी ने उपभोक्ताओं को मांग के अनुसार पूरी बिजली देने का वादा किया था, जो एक वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका है। लो वोल्टेज के कारण घरों की लाइटें बार-बार ट्रिप हो रही हैं, और बिजली कटौती भी जारी है। उपभोक्ता हर महीने हजारों रुपये का बिल समय पर भरने के बावजूद ठगा हुआ महसूस कर रहा है। बिजली का बिल पूरा चुकाने के बाद भी लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है, और लोगों का कहना है कि दिन में 10 से 15 बार लाइट ट्रिप होती है, जिससे इनवर्टर पर लोड बढ़ता है और बिजली का बिल भी ज्यादा आता है।

आम उपभोक्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है, और समस्या पर कार्रवाई न होने से उनमें निराशा है।पिछले एक वर्ष में ओबरा नगरी में कई बड़े प्रतिष्ठान खुले हैं, जिससे विद्युत लोड बढ़ना स्वाभाविक था। हालांकि, इन बड़े प्रतिष्ठानों को पर्याप्त वोल्टेज मिल रहा है, जबकि आम उपभोक्ता बिजली कटौती और लो वोल्टेज की समस्या से जूझ रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि संबंधित अधिकारियों के पास उनकी समस्या सुनने की फुर्सत नहीं है, और जब तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं होता, तब तक शायद ही कोई समाधान निकलेगा। विद्युत विभाग के प्रति लोगों में गहरा आक्रोश है, और वे जल्द ही कोई बड़ा कदम उठाने को मजबूर हो सकते हैं।

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