जीएसटी अधिनियम की धारा-73 के अंतर्गत सृजित की गई मांग के क्रम में अर्थदण्ड एवं ब्याज माफी योजना जनपद में लागू

जनपद में ब्याज माफी योजना लागू।

जीएसटी अधिनियम की धारा-73 के अंतर्गत सृजित की गई मांग के क्रम में अर्थदण्ड एवं ब्याज माफी योजना जनपद में लागू

अजीत सिंह ( ब्यूरो) 

सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश-

जिलाधिकारी बी0एन0 सिंह ने बताया कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 01 जुलाई, 2017 से 31 मार्च, 2020 की अवधि में जीएसटी अधिनियम की धारा-73 के अंतर्गत सृजित की गई मांग के क्रम में अर्थदण्ड एवं ब्याज माफी योजना को लागू किया गया है, जो 31 मार्च, 2025 तक लागू है।

इस योजना में संबंधित करदाता द्वारा सृजित मांग के संबंध में मूलकर की धनराशि को 31 मार्च, 2025 तक जमा किए जाने तथा कोई अपील दाखिल न किए जाने अथवा दाखिल अपील वापस लिए जाने पर देय अर्थदण्ड एवं ब्याज पर पूरी छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि जनपद में इस प्रकार कुल 1754 प्रकरण हैं, जिसमें कर की धनराशि 76 करोड़ 03 लाख तथा अर्थदण्ड एवं ब्याज की धनराशि 80 करोड़ 82 करोड़ निहित है।

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जिलाधिकारी ने जनपद के संबंधित करदाताओं को इस योजना का लाभ उठाने हेतु अपील करते हुए कहा है कि अर्थदण्ड एवं ब्याज की माफी से संबंधित करदाताओं को बड़ी राहत मिलने का सुनहरा मौका है।

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जीएसटी व्यवस्था लागू होने पर पेट्रोलियम कूड, हाई स्पीड डीजल, पेट्रोल, नेचुरल गैस, एविएशन टरबाइन फ्यूल तथा मानव उपभोग के लिए मदिरा पर करारोपण का अधिकार ही राज्यों में निहित रह गया और इन वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगाया जाता है, उक्त वस्तुएं नॉन जीएसटी के अंतर्गत है, जिसमें पूर्व की भांति वैट राजस्व ही जमा हो रहा है।

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राज्य कर विभाग द्वारा वर्तमान में जीएसटी एवं वैट अधिनियम के अंतर्गत देय राजस्व को प्राप्त किया जाता है। जीएसटी प्रणाली उपभोग पर आधारित कर प्रणाली है। जीएसटी व्यवस्था में तीन प्रकार के कर हैं, यदि सप्लाई इंट्रा-स्टेट प्रकृति की है, तो ऐसी स्थिति में बिल पर कर का 50% एसजीएसटी व 50% सीजीएसटी वसूल किया जाता है

जो क्रमशः राज्य और केंद्र को प्राप्त होता है तथा इंट्रा-स्टेट सप्लाई की स्थिति में आईजीएसटी चार्ज किया जाता है जो 100% केंद्र के खाते में जाता है और भारत सरकार द्वारा आईजीएसटी सेटेलमेंट राज्यवार विवरण के आधार पर प्रत्येक माह सेटेलमेंट की राशि का आदेश किया जाता है। जीएसटी में पंजीयन की अनिवार्यता वस्तुओं के लिए 40 लाख तथा सेवाओं के लिए 20 लाख टर्नओवर से अधिक प्रतिवर्ष रखी गयी है परन्तु उक्त सीमा से कम के व्यापारी भी स्वैच्छिक रूप से पंजीयन प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदेश में अधिकाधिक पंजीयन कराए जाने के संबंध में आपका सहयोग अपेक्षित है तथा पंजीयन अभियान में कोई कठिनाई हो तो उसे संज्ञान में लाया जाए।जिलाधिकारी ने बताया कि रोड चेकिंग की जांच की प्रक्रिया में मुख्यतः प्रांत के अंदर आने वाले माल तथा प्रांत से बाहर जाने वाले माल की जांच की जाती है।

₹50,000 से अधिक माल का मूल्य होने पर परिवहन के समय ई-वे बिल अनिवार्य है जो पूरे भारत में एक ही ई-वे बिल पोर्टल से ऑनलाइन जनरेट होता है। प्रदेश के 55 जनपदों में राज्य कर विभाग के वसूली प्रमाण पत्रों की बकाया वसूली का कार्य जिलाधिकारियों के माध्यम से किया जाता है तथा शेष 20 जनपदों में यह कार्य राज्य कर के विभागीय अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

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