कांग्रेस ने पूजा स्थल अधिनियम के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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स्वतंत्र प्रभात।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी को आशंका है कि अधिनियम में किसी भी प्रकार का परिवर्तन भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डाल सकता है।
कांग्रेस ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा अधिनियम की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है।आवेदन में कहा गया है कि भारत में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए अधिनियम आवश्यक है और इसके खिलाफ चुनौती धर्मनिरपेक्षता के स्थापित सिद्धांतों को कमजोर करने का एक प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण प्रयास प्रतीत होता है।
राजनीतिक दल ने आवेदन में कहा, "आवेदक इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहता है ताकि POWA के संवैधानिक और सामाजिक महत्व पर जोर दिया जा सके, क्योंकि उसे आशंका है कि इसमें कोई भी बदलाव भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डाल सकता है, जिससे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो सकता है।"
कांग्रेस ने आगे कहा कि वह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है और जब पार्टी और जनता दल पार्टी लोकसभा में बहुमत में थी, तब कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।चूंकि आवेदक, अपने निर्वाचित सदस्यों के माध्यम से POWA को पेश करने और पारित करने के लिए जिम्मेदार था, इसलिए आवेदक को हस्तक्षेप करने और POWA के पारित होने की कानूनी वैधता का बचाव करने की अनुमति दी जा सकती है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि देश में सभी समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए पूजा स्थल अधिनियम आवश्यक है। उपाध्याय की याचिका पर परोक्ष और संदिग्ध उद्देश्यों से याचिका दायर की गई है।
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