संघर्ष में सुख को कोई सोच भी नही सकता, यूएस अवस्थी ने अपने जीवन में कर के दिखाया-दिलीप संघाणी

इफको की आम सभा में "संघर्ष का सुख" किताब का विमोचन।

एक छोटे से गांव में जन्मे  और  बचपन में ही अपने पिता को खो देने वाले अवस्थी कितनी विसम परिस्थितियों मेंइंजीनियरिंग  की पढ़ाई पूरी की होगी यह  कोई साधारण बात नहीं है

स्वतंत्र प्रभात 
दया शंकर त्रिपाठी ब्यूरो प्रयागराज।

विश्व की सर्वश्रेष्ठ  सहकारी संस्था इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी के जीवन पर आधारित लिखी गई पुस्तक संघर्ष का सुख  तथा  "The joys of crisis " पुस्तक का विमोचन इफको की आम सभा में आयोजित समारोह में किया गया।

पुस्तक का विमोचन करने के बाद इफको संस्था के अध्यक्ष दिलीप भाई संघाणी ने कहा की जब संघर्ष में सुख की कल्पना भी कोई नहीं कर सकता वैसे समय में  इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने अपने जीवन में ना केवल संघर्ष में सुख की अनुभूति की  बल्कि उस अनुभूती को कार्य रूप में परिणीति भी  करके दिखाया । आज इफको संस्था में कार्य करने वाले लोगों किसानों समाज और देश को भी उस सुख सुख की अनुभूति कराने में वे सफल रहे।

श्री संघाणी ने कहा ही संघर्ष काल में व्यक्ति हताश हो जाता है लेकिन लेकिन प्रबंध निदेशक डॉ अवस्थी ने उस संघर्ष में भी सुख की अनुभूति प्राप्त की और और सहकारिता के माध्यम से इफको को दुनिया में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।

बचपन से ही संघर्ष किया।

 एक छोटे से गांव में जन्मे  और  बचपन में ही अपने पिता को खो देने वाले अवस्थी कितनी विसम परिस्थितियों मेंइंजीनियरिंग  की पढ़ाई पूरी की होगी यह  कोई साधारण बात नहीं है लेकिन उनके ऊपर निश्चित ही ईश्वर की कुछ विशेष कृपा रही है जो पिता की साया उठ  जाने के बाद भी व्यक्तिगत पारिवारिक संघर्ष झेलते हुए अपनी शिक्षा पूरी की ।

श्री संधानी ने कहा कि इस पुस्तक में यह दिखाया गया है कि डॉक्टर अवस्थी ने संघर्ष में जिस सुख को  स्वयं प्राप्त किया  है उस संघर्ष के सुख को उन्होंने पूरे देश समाज को भी  बांटा और यह प्रेरणा दिया कि कभी भी संघर्ष में उद्देश्य से भटकना नहीं न घबड़ाना चाहिए नहीं हताश होना चाहिए ।आज इफको जैसी विश्व की संस्था उनके संघर्ष का ही परिणाम है दुनिया के मानचित्र पर प्रथम स्थान पर है। वहां तक ले जाने में डॉक्टर अवस्थी और सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान है ।

उनके निजी जीवन गाथा से यह प्रेरणा मिलती है कि यदि कोई बेहतर जीवन बनाना चाहता है तो संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए।

राजीव गांधी से लेकर मोदी तक के कार्यकाल में देश की सेवा का अवसर मिला।
प्रशंसा के लिए नही प्रेरणा देने के लिए यह पुस्तक लिखी गई।


 अध्यक्ष ने कहा कि राजीव गांधी से लेकर मोदी जी के प्रधानमंत्री काल तक में डॉक्टर  अवस्थी को काम करने का अवसर मिला और कभी भी  अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भटके नहीं। और ना ही हताश हुए। यह कोई मामूली बात नहीं है ।इफको से  जुड़े लोगों को इससे सबक लेना चाहिए। यह सभी लोगों के लिए उपयोगी  होगा।

उन्होने कहा की डॉक्टर अवस्थी ने इस  पुस्तक को लिखने की अनुमति अपने जीवन पर इसलिए नहीं दी होगी कि उनकी प्रशंसा या नाम हो । वह न तो निंदा से घबराते हैं नाही प्रशंसा से प्रभावित होते हैं। यह उनका व्यक्तिगत गुण रहा है। पारिवारिक व्यक्तिगत संस्था गत सामाजिक राजनीतिक रूप से आए हुए संकटों से वे कभी घबराते नहीं है। बल्कि उस संकट को स्वस्थ्य मन और प्रतिस्पर्धा से मुकाबला करते हुए कैसे अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है इस पर वह डटे रहते है ।

डॉक्टर अवस्थी सच्चे राष्ट्र भक्त।


 उन्होंने कहा की डॉक्टर अवस्थी की यही सोच ना केवल लोगो के  प्रेरणा देती है कि व्यक्तिगत हितों को ध्यान ना देते हुए सदैव सामाजिक हित के लिए कार्य करना चाहिए।  उनकी यह सोच सच्ची राष्ट्रभक्ति किसान भक्ति और सहकारिता को मजबूत करने वाली और सब के लिए प्रेरणादायक बनेगी।  ऐसी प्रेरणादाई सोच रखने वाले विरले ही मिलते है।

पुस्तक को अधिक से अधिक पढ़े।


उन्होंने आशा व्यक्त की इस पुस्तक को अधिक से अधिक लोग पढ़ेंगे और डॉक्टर अवस्थी के इस संघर्ष में सुख की अनुभूति का अनुसरण करते हुए समाज और देश के लिए कार्य करेंगे इस अवसर पर संघर्ष के सुख के लेखक अभिषेक सौरभ और क्राइसिस आप इंजॉय के लेखक अरुण मिश्रा अर्नब मित्रा को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर इसको बोर्ड केसभी साधारण सदस्य निदेशक उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

About The Author: Swatantra Prabhat Desk