दुमका के चुटोनाथ में हर मन्नत होती है पूरी नहीं बन पाई मुख्य धार्मिक पर्यटन स्थल संथाल परगना की सुविधाएं।
दुमका के चुटोनाथ में हर मन्नत होती है पूरी नहीं बन पाई मुख्य धार्मिक पर्यटन स्थल संथाल परगना की सुविधाएं।
दुमका के चुटोनाथ में हर मन्नत होती है पूरी नहीं बन पाई मुख्य धार्मिक पर्यटन स्थल संथाल परगना की सुविधाएं।
दुमका झारखण्ड बाबा चोटूनाथ मंदिर पूजा अर्चना हर दिन हर साल बहुत धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन संथाल परगना की इस मुख्य संथाल परगना अच्छी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकता दूर देखकर बाबा के दर्शन करने के लिए भाग जाते हैं सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाता है आस्था को लेकर लोगों के दिलों में बाबा विशाल प्राप्त करती है जहां स्थानीय लोगों बहुत कहते नहीं थी यहां पर वर्षों से बाबा की चुटूनाथ की पूजा की जाती है जहां अभी तक सारी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है जहां भी इस विषय में सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है जहां दूर-दूर से यहां पर पूजा के लिए भक्त पूजा दर्शन करने आते हैं जहां इसके लिए उनकी रहने की स्थान रहने की आवश्यकता है ।
ओर यहां पर अंधेरी रातों में लाइट की व्यवस्था का भी जरूरत पड़ती है। इसके लिए संथाल परगना पर्यटक की हर सुविधा के लिए सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि हर चीज है भक्तों के सुविधा प्राप्त हो सके।संथाल परगना से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर चोटू नाथ पहाड़िया के बीच झारखंड का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जहां लोग आस्था के प्रतीक बाबा चोटु नाथ का मंदिर है बाबा चोटूनाथ भगवान भोले शंकर के प्रतिरूप माने जाते हैं ।और इसी मान्यता वेदनाथ धाम तथा बासुकीनाथ जैसे प्रमुख एवं प्रसिद्ध स्थल के रूप में है।ऐसे लोग मान्यता है कि बाबा छोटू नाथ अपने भक्तों की हर प्रकार मिलती से रक्षा करते हैं और उनके दरबार में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। हरे भरे वृक्षों के बीच जो चोटू पहाड़ों की तलहटी में चोटू बाबा के मंदिर के निकट ही पहाड़ी बाबा का पूजन स्थल स्थित है।जिनके मनाता छोटू बाबा के कर्ता के रूप में है अर्थात बाबा छोटू नाथ से मांगी गई मनोकामना पहाड़ी बाबा पूरी करते हैं। मनोकामना पूरी होने पर लोग पहाड़ी बाबा को पाठा बकरा मुर्गा आदि की बलि चढ़ाते हैं और मंदिरा भी अर्पित करते हैं।
क्योंकि यह वांदेव के रूप में पूजित हैं। यहां पर चढ़ाई जाने वाली बाली को किसी बली वेदी में नहीं लगाया जाता। सीधे काटकर से वार किया जाता है या अभी बींड बना है कि एक ही वार में सिर धड़ से अलग हो जाता है। और बाली के लिए प्रयुक्त काटकर पर्वत का नामोनिशान नहीं रहता पहाड़ी पर स्थित छोटू नाथ के मंदिर में किसी तरह की बाली नहीं चढ़ाते वहां फूल बेलपत्र और जल से बाबा का पूजन अर्चन करते हैं।संथाल परगना के घटवाल जाति के लोगों में इनके प्रति विशेष साधा है और वे लोग इन्हें अपने इष्ट देव के रूप में पूजा करते हैं इनकी ऐसी मान्यता है कि छोटू नाथ बाबा हर प्रकार के रोग व्याधि और संकट से रक्षा करते हैं।
चतुर नाथ के आसपास की पहाड़ियों में 5 गुफाएं हैं जहां देवी देवता का पूजन होती है। की जंजीरा पहाड़ी की गुफा में स्थित देवी की मान्यता बड़ी देवी के रूप में है। क्यों जाती है कि जंजीरा पहाड़ी में स्थित बड़ी देवी को पुराने समय में नर बलि भी दी जाती थी। छोटू नाथ के पूजन दर्शन काकाकरिया साल के 12 महीना चलता रहता है पर वैशाख के महीने में उनकी विशेष पूजा की जाती है जिससे स्थानीय लोग सड़क पूजा कहते हैं। भक्तों के लिए बाबा छोटू नाथ एक जगत देव है। जिन की दर से कोई भी निराश नहीं लूटता है।

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